Jaipur: गोविंद देव जी मंदिर में अनूठा होता है फागोत्सव, जुटते हैं देश- विदेश के सैलानी, इतने दिन चलता है आयोजन
Jaipur: गोविंद देव जी मंदिर में होली पर्व को अनूठे ढंग से मनाया जाता है। इसे देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी सैलानी देखने आते हैं। चार दिन तक चलने वाले इस बेहतरीन आयोजन में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देने देश भर के कलाकारों का संगम यहां जुटता है। इस बार चार दिवसीय होलिकोत्सव की शुरुआत रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ हुई। मंदिर महंत और मैनेजर ने सत्संग भवन में सर्व प्रथम ठाकुरजी का पूजन किया गया।
जयपुर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में चार दिवसीय फागोत्सव आरंभ (फाइल फोटो)
- जयपुर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में अनूठा होता है होली उत्सव
- चार दिन तक चलने वाले आयोजन में देश भर के नामी कलाकार जुटते हैं
- कार्यक्रम को देखने देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी सैलानी आते हैं
Jaipur: अपने राजसी वैभव के लिए प्रसिद्ध जयपुर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में होली पर्व को अनूठे ढंग से मनाया जाता है। इसे देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी सैलानी आते हैं। चार दिन तक चलने वाले इस बेहतरीन आयोजन में सांस्कृतिक प्रस्तुतियां देने देश भर के कलाकारों का संगम यहां जुटता है। इस बार चार दिवसीय होलिकोत्सव की शुरुआत रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ हुई। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी और मैनेजर मानस गोस्वामी ने सत्संग भवन में सर्व प्रथम ठाकुरजी का पूजन किया।
आयोजन के तहत गोविंद देव जी को कलाकारों ने अरजी म्हारी जी होली खेलण की मरजी थारी जी फाग सुनाया। वहीं पाछा सें मटकी फोड़ी या काईं की होरी जैसी रचना के जरिए भगवान की आराधना की। इसके बाद में कई कलाकारों ने नृत्य व कान्हा जी के फाग का सजीव चित्रण कर कार्यक्रम में मौजूद लोगों से तालियां बटौरी। इस मौके पर नृत्य गुरू शशि सांखला व उनके साथियों ने कृष्ण वंदना पर भावपूर्ण प्रस्तुति देकर गोविंद देव जी के दरबार में चल रहे फागोत्सव की रौनक बढ़ाई। इसके बाद एक से बढ़कर एक कृष्ण लीलाओं को कथक के जरिए प्रस्तुत कर मंदिर की फिजा में होली महोत्सव की खुशियां भर दी।
कथक के जरिए रिझाते हैं कलाकार कान्हा को नृत्य की सबसे कठिन शैली कथक के जरिए नृत्य कलाकार इस मौके पर गोविंद देव जी के मंदिर में उनकी आराधना करते हैं। मंदिर मंहत के मुताबिक, कथक नृत्यांगना मनीषा गुलियानी ने नृत्य प्रस्तुति से भगवान कृष्ण की लीलाओं का वर्णन कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। इसके अलावा कई कलाकारों फागण आय गयो रे होरी खेलो रसिया...म्हारा राधा गोविंद पलकां उघाड़ो फागण आ गयो से होली के रंग बिखेरे। वहीं कथक नृत्यांगना स्वाति गर्ग व उनकी टीम ने ए री आज होरी मैं खेलूंगी...रंग डारुंगी नंद के लालन पर व मैं कैसे होरी खेलूं री सांवरिया जैसी रचनाओं पर कथक नृत्य की प्रस्तुति दी।
चार दिन चलता है होलिकोत्सव मंदिर परिसर में चल रहे चार दिवसीय आयोजन के तहत प्रख्यात ध्रुपद गायिका डाॅ. गायत्री शर्मा ने लोक संगीत में स्व रचित पद कान्हा रंग ना डारो मोपे आज रे... कान्हा खेल रहे होरी, देखो कैसी धूम मची वृंदावन में व प्यारी तो घणी राधा प्यारी जैसी रचनाओं की अर्ध शास्त्रीय गायन में प्रस्तुति देकर खूब तालियां बटौरी। इसके अलावा देश के कई हिस्सों से आए कलाकारों ने द्रोपदी चीर हरण...यशोदा को लाल खेले होरी...म्हे तो गुण गोविन्द का गास्यां ए मां होरी ह रही है बिरज में आज गीत की प्रस्तुतियां दी।
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