Jaipur: राजस्थान में अब बदमाशों की अंगुली और पंजा ही बनेगा उनका काल, तैयार हो रही डिजिटल कुंडली

Jaipur News: राजस्‍थान पुलिस ने नफीस योजना पर काम शुरू कर दिया है। इसकी शुरूआत जयपुर के नॉर्थ और वेस्ट जिलों से हुई है। यहां के थानों में सितंबर माह से गिरफ्तार अपराधियों के डिजिटल डेटा को तैयार करने के लिए खास मशीन लगाई गई है। डाटा बेस तैयार होने के बाद डेढ़ मिनट में अपराधी के क्रिमिनल रिकॉर्ड की जानकारी मिल जाएगी।

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राजस्‍थान पुलिस बना रही क्रिमिनल्स की डिजिटल रिकॉर्ड (प्रतीकात्मक तस्वीर)

मुख्य बातें
  • नफीस योजना के तहत तैयार किया जा रहा अपराधियों का डिजिटल डाटा
  • डिजिटल स्कैनर मशीनों द्वारा गिरफ्तार अपराधियों का थानों में बन रहा रिकॉर्ड
  • डेटा बेस की मदद से महज डेढ़ मिनट में पता चल जाएगा क्रिमिनल रिकॉर्ड

Jaipur News: राजस्थान में अब अपराध के बाद पुलिस से बचना बदमाशों के लिए मुश्किल होगा। बदमाशों और अपराधियों पर नकेल कसने के लिए राजस्‍थान पुलिस इनका डिजिटल डेटा बेस तैयार करने में जुटी है। यह पूरी कार्रवाई केंद्र की नफीस योजना के तहत किया जा रहा है। योजना के तहत पुलिस क्रिमिनल्स के पंजे और अंगुली के प्रिंट का डिजिटल रिकॉर्ड बना रही है। अभी जयपुर पुलिस कमिश्नरेट में नॉर्थ और वेस्ट जिलों की पुलिस सितंबर महीने से अब तक गिरफ्तार हुए क्रिमिनल्स के सभी रिकॉर्ड का डिजिटल डेटा बेस तैयार कर रही है।

जयपुर पुलिस के अनुसार, नॉर्थ और वेस्ट जिलों में अपराधियों के डिजिटल डेटा को तैयार करने के लिए खास मशीन लगाई गई है। जिससे गिरफ्त में मौजूद क्रिमिनल का रिकॉर्ड और फ्रिंगर प्रिंट का रिकॉर्ड बनाया जा रहा है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, सभी अपराधियों का डेटा बेस तैयार हो जाने के बाद महज डेढ़ मिनट में किसी भी बदमाश के क्रिमिनल रिकॉर्ड्स का पता लगाया जा सकेगा।

अपराधियों को ऐसे पकड़ने में मिलेगी मदद

नॉर्थ डीसीपी परिस देशमुख ने इस योजना की जानकारी देते हुए बताया कि, स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की तरफ अभी कुछ डीसीपी ऑफिस और थानों को डिजिटल स्कैनर मशीनें व टेक्निकल इंस्ट्रूमेंट उपलब्‍ध करवाए जा रहे है। इनकी मदद से गिरफ्तार होकर पुलिस थानों में आने वाले बदमाशों के फिंगर प्रिंट, उनकी फोटो और अन्य अपराधिक जानकारियों को हासिल करके उसका डेटा बेस तैयार किया जा रहा है। डीसीपी ने बताया कि, स्कैनर मशीन से अपराधी की प्रत्येक अंगुली को स्कैन किया जाता है। साथ ही हथेली को भी स्कैन किया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया महज 10 मिनट में पूरी हो जाती है। इस डेटा बेस की मदद से अब किसी भी अपराधिक वारदात के बाद घटनास्थल पर मिलने वाले फिंगर प्रिंट के साथ मैच कर आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि, वारदात में किस बदमाश का हाथ है। इसके बाद एक क्लिक में बदमाश की पूरी अपराधिक कुंडली पुलिस के सामने आ सकेगी। इससे संगठित अपराध को रोकने में भी मदद मिलेगी।

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