Jaipur: राजस्थान को दो स्टेट से जोड़ेगा ये 423 किमी लंबा एक्सप्रेसवे, इतनी आएगी लागत, जानिए पूरी डिटेल
Jaipur: चंबल एक्सप्रेसवे का सबसे बड़ा हिस्सा मध्य प्रदेश में 306 किमी होगा और हिस्सा बाकी यूपी में 47 और राजस्थान में 72 किमी रहेगा। इस परियोजना के लिए तीनों राज्यों में कुल 3 हजार 900 एकड़ भूमि एक्वायर की गई है। इसके बनने के बाद वाहन 120 किमी प्रतिघंटा रफ्तार से दौड़ने लगेंगे। इस एक्सप्रेसवे के निर्माण में करीब 9 हजार करोड़ रुपए की लागत आएगी। ये तीनों राज्यों के 214 गांवों से होकर गुजरेगा।
अब चंबल के बीहड़ों में फर्राटे भरेंगी लग्जरी गाड़ियां (सांकेतिक तस्वीर)
- चंबल एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 423 किमी होगी
- इसके निर्माण पर लगभग 9 हजार करोड़ की लागत आएगी
- एक्सप्रेसवे राजस्थान, एमपी व यूपी के 214 गांवों से होकर गुजरेगा
Jaipur: कभी डकैतों की पहचान व आम लोगों में भय का संचार करने वाले चंबल के बीहड़ों की अब तस्वीर बदल रही है। इस इलाके में आने वाले दिनों में लग्जरी गाड़ियां बेखौफ फर्राटे भरेंगी। केंद्र सरकार करीब 9 हजार करोड़ खर्च कर यहां चंबल एक्सप्रेसवे बना रही है। जिसकी कुल लंबाई 423 किमी है और इसका सीधा फायदा राजस्थान समेत यूपी व एमपी को होगा।
चंबल एक्सप्रेसवे का सबसे बड़ा हिस्सा मध्य प्रदेश में 306 किमी होगा और बाकी हिस्सा यूपी में 47 और राजस्थान में 72 किमी रहेगा। इस परियोजना के लिए तीनों राज्यों में कुल 3 हजार 900 एकड़ भूमि एक्वायर की गई है। इसके बनने के बाद वाहन 120 किमी प्रतिघंटा रफ्तार से दौड़ने लगेंगे। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक, इस एक्सप्रेसवे के निर्माण में करीब 9 हजार करोड़ रुपए की लागत आएगी व इसका निर्माण पूरा होने के बाद तीनों राज्यों में व्यापारिक प्रगति बढ़ने की संभावना है।
ऐसे जुड़ेगा दूसरे हाईवे सेकेंद्रीय सड़क परिवहन विभाग के मुताबिक चंबल एक्सप्रेसवे तीन राज्यों राजस्थान के कोटा, मध्य प्रदेश के श्योपुर, भिंड व मुरैना और यूपी के इटावा जनपद से होकर गुजरेगा। इसके अलावा इसकी एक खास बात ये रहेगी कि, ये एक्सप्रेसवे ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर, नॉर्थ-साउथ कॉरिडोर, स्वर्णिम चतुर्भुज, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे जैसे सात नेशनल हाईवेज से होकर गुजरेगा जिसके चलते इससे पांच अन्य राज्य भी जुड़ेंगे। बता दें कि, पूर्व में ये एक्सप्रेसवे 162 गांवों से होकर गुजरना था, मगर इस एक्सप्रेसवे के बनने की घोषणा के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि, एक्सप्रेसवे के एक हिस्से की योजना पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्र के बीच से बनाई गई है। इसके बाद एनएचएआई ने इसके मार्ग में बदलाव किया। यही वजह है कि, ये अब तीनों राज्यों के 214 गांवों से होकर गुजरेगा।
चंबल के साथ सफर करेगा एक्सप्रेसवेइसका नामकरण तीनों राज्यों के बीहड़ों से होकर बहने वाली चंबल नदी पर किया गया है। खास बात ये है कि, ये लगातार चंबल नदी के बहाव वाले इलाके में नदी के साथ सफर करेगा। फिलहाल इसका निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इस एक्सप्रेसवे पर 18 बड़े पुलों का निर्माण भी होगा। इसका सबसे अधिक फायदा तीनों ही राज्यों के किसानों को मिलेगा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक, बीहड़ों में बसने वाले आदिवासियों व पिछड़ों की किस्मत का पासा पलटेगा। देश के सबसे अधिक पीछड़े इलाके की पहचान रखने वाले चंबल के बीहड़ अब विकास की राह की ओर अग्रसर होंगे।
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