Maha Shivaratri 2023: जयपुर के इस मंदिर के पट केवल महाशिवरात्रि के दिन खुलते हैं, ये है इसके पीछे की वजह, जानें पूरी कहानी

Maha Shivaratri 2023: एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर जयपुर के मोती डूंगरी एक पहाड़ी पर बना हुआ है। जिसे शंकर गढ़ी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। आम श्रद्धालुओं के लिए ये साल में एक बार शिवरात्रि के मौके पर ही दर्शनार्थ खुलता है। राज परिवार के लोग हर साल सावन के महीने में सहस्त्रघट रुद्राभिषेक जैसे धार्मिक आयोजन भी करवाते थे। इसकी स्थापना जयपुर से भी पहले की गई थी।

जयपुर से भी पुराना है एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर (फाइल फोटो)

मुख्य बातें
  • आम श्रद्धालुओं के लिए साल में एक बार शिवरात्रि पर खुलता है मंदिर
  • इतिहाकारों के मुताबिक मंदिर जयपुर की स्थापना से भी पहले का है
  • यहां पर सावन में जयपुर का शाही परिवार सहस्त्रघट रुद्राभिषेक करवाता था


Maha Shivaratri 2023: राजस्थान की राजधानी जयपुर वैसे तो अपने राजसी वैभव के प्रतीक प्राचीन किलों, महलों व बेहद खूबसूरत इमारतों के लिए प्रसिद्ध है। मगर, इस शहर में कई मंदिर ऐसे भी हैं, जो इन किलों और महलों से भी पुराने हैं। महाशिव रात्रि पर्व आने वाला है, ऐसे में आपको एक ऐसे ही दुर्लभ बाबा भोले नाथ के मंदिर के बारे में बताते हैं, जिसका वैभव जयपुर से भी पुराना है।

ये मंदिर है एकलिंगेश्वर महादेव का। मंदिर जयपुर के मोती डूंगरी क्षेत्र में स्थित है। जिसे शंकर गढ़ी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। एकलिंगेश्वर महादेव का मंदिर एक पहाड़ी पर बना हुआ है। पहाड़ी के निचले इलाके में बना है खूबसूरत बिड़ला मंदिर है। वहीं बिड़ला मंदिर के नजदीक ही स्थित है जयपुर के प्रथम पूज्य गणेश जी का मंदिर। एकलिंगेश्वर मंदिर की खास बात ये है कि, आम श्रद्धालुओं के लिए ये साल में एक बार शिवरात्रि के मौके पर ही दर्शनार्थ खुलता है।

महादेव का अभिषेक करता था राज परिवारएकलिंगेश्वर महादेव की पूजा शिवरात्रि पर सर्व प्रथम जयपुर राजघराने की ओर से की जाती है। एकलिंगेश्वर महादेव मंदिर में शाही परिवार के समय यहां महादेव का पूजन होता था। राज परिवार के लोग हर साल सावन के महीने में सहस्त्रघट रुद्राभिषेक जैसे धार्मिक आयोजन भी करवाते थे। इन आयोजनों पर खर्च होने वाले धन का प्रबंध भी शाही परिवार की ओर से किया जाता था। शिवरात्रि पर यहां पूजन के लिए शहर के श्रद्धालुओं सहित आसपास के इलाके के ग्रामीण पहुंचते है। इस मंदिर से यहां के लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। यही वजह है कि शिवरात्रि के मौके पर भक्तों की भीड़ एक दिन पहले ही जुटनी आरंभ हो जाती है। मंदिर के सामने कतार कई किमी तक लग जाती है।

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