एक फोन कॉल के बाद बजा सायरन और स्टेशन पर भागने लगे लोग, न कोई घायल, न कोई दुर्घटना; आखिर ये क्या हुआ?

राजस्थान के बाड़मेर रेलवे स्टेशन पर उस वक्त अफरा तफरी मच गई, जब एक फोन कॉल आने के बाद अचानक से सायरन बजा और लोग इधर-उधर भागने लगे। एनडीआरएफ और रेलवे कर्मी रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गए। कुछ को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर हो क्या रहा है। हालांकि, बाद में बताया गया कि यह एक मॉकड्रिल था।

फाइल फोटो।

बाड़मेर रेलवे स्टेशन पर मंगलवार को एक रेल हादसे की मॉकड्रिल आयोजित की गई, जिसने स्टेशन पर अफरा-तफरी का माहौल पैदा कर दिया। स्टेशन पर एक ट्रेन के हादसे की सूचना के बाद सभी सुरक्षा बल और अधिकारी मौके पर पहुंचने लगे। लैंडलाइन कंट्रोल रूम से आई एक कॉल के चंद मिनटों बाद ही स्टेशन परिसर पुलिस छावनी में तब्दील हो गया। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और रेलवे की टीम ने तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया और करीब एक घंटे की मेहनत के बाद घायलों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया।

लोगों में मचा हड़कंप

इस मॉकड्रिल के दौरान सायरन की आवाज और दौड़ती एम्बुलेंस ने लोगों में चिंता पैदा कर दी। रेलवे यार्ड का दृश्य भयावह था, जहां रेल की दो बोगियां एक-दूसरे पर चढ़ी हुई नजर आईं। ऐसे में स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस प्रशासन को सूचना दी। एनडीआरएफ की टीम ने मौके पर पहुंचकर बोगियों को काटकर कर्मचारियों को बाहर निकाला। जब बाद में आमजन को पता चला कि यह एक मॉकड्रिल थी, तब उन्होंने राहत की सांस ली।

आखिर क्या थी वजह?

इस मॉकड्रिल का उद्देश्य आपातकालीन स्थिति से निपटने की प्रशासनिक क्षमताओं का परीक्षण करना था। इस आयोजन में करीब 300 कार्मिकों ने भाग लिया, जिसमें एनडीआरएफ के आला अधिकारी और रेलवे के एडीआरएम राकेश कुमार भी शामिल थे। यह ड्रिल विभिन्न एजेंसियों की तत्परता और आपसी समन्वय की जांच करने के लिए आयोजित की गई थी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी भी आपात स्थिति में सभी विभाग समय पर और प्रभावी तरीके से प्रतिक्रिया कर सकें। इस अभ्यास ने न केवल अधिकारियों को तैयार रहने की प्रेरणा दी, बल्कि आम जनता को भी इस प्रकार की घटनाओं के प्रति जागरूक किया।

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