ट्रेनों के AC कोच में कैसी हैं व्यवस्थाएं? क्या मिल रहे हैं साफ चादर-कंबल; रेलवे ने दिया बड़ा अपडेट

रेलवे की ओर से एसी कोच में स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता के बैडरोल उपलब्ध करवाये जा रहे है। ये कहना है पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण का। उन्होंने बताया कि उदयपुर, अजमेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, जयपुर, जोधपुर और बाड़मेर में मैकेनाइज्ड लॉन्ड्रिंया स्थापित की गई है।

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जयपुर: उत्तर पश्चिम रेलवे पर संचालित होने वाली सभी ट्रेनों में वातानुकूलित श्रेणी के कोचों में साफ, स्वच्छ और उच्च गुणवत्ता वाले बैडरोल प्रदान किये जा रहे हैं। पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण के अनुसार सभी चद्दरों और पिलो कवर को प्रत्येक उपयोग के बाद मैकेनाइज्ड लॉन्ड्री में धुलाई और इस्त्री की जाती है ताकि यात्रियों को स्वच्छ बैडरोल देकर उनकी आरामदायक, स्वच्छता के साथ सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने बताया कि उदयपुर, अजमेर, बीकानेर, श्रीगंगानगर, जयपुर, जोधपुर और बाड़मेर में मैकेनाइज्ड लॉन्ड्रिंया स्थापित की गई है। इनकी क्षमता में लगातार वृद्धि की जा रही है। उन्होंने बताया कि अक्टूबर 2023 में इन लॉन्ड्री में धुलाई की जाने वाले कपड़ों की क्षमता को 20 टन प्रति दिन से बढ़ा कर 56 टन प्रति दिन किया गया है। इस क्षमता में जनवरी 2025 में 10 तथा मार्च 2025 में 14 टन प्रतिदिन की ओर वृद्धि की योजना है।

एसी कोच का तापमान भी 24 डिग्री सेल्सियस

कैप्टन शशि किरण ने बताया कि कंबलों की धुलाई 2010 में जहां तीन महीने में एक बार की जाती थी, उस अवधि को घटा कर 2010 से दो महीने में एक बार तथा वर्तमान में 30 दिन में एक बार किया गया है। उन्होंने बताया कि रेलवे द्वारा एसी कोच में प्रत्येक यात्री को दो चादरें दी जाती हैं जिसमें से एक सीट पर बिछाने तथा दूसरी कंबल के कवर के रूप में इस्तेमाल के लिए दी जाती है। इसके अतिरिक्त एसी कोच का तापमान भी 24 डिग्री सेल्सियस के आसपास रखा जाता है ताकि कंबल की आवश्यकता ही ना पड़े और चादर ही पर्याप्त हो।

उत्तर-पश्चिम रेलवे पर बैडरोल की अनुपलब्धता और गंदे या फटे बैडरोल की शिकायतों में निरंतर कमी आ रही है। पिछले वर्ष अप्रैल 2023 से अक्टूबर 2023 के मध्य चारों मंडलों में कुल 5181 शिकायतें पंजीकृत की गई जबकि इस वर्ष अप्रैल से अक्टूबर 2024 के मध्य शिकायतों की संख्या लगभग 15 प्रतिशत घटकर 4529 ही रही। उन्होंने बताया कि चादरों और कंबलों को कुछ समय बाद बदला भी जाता है तथा नए लिनेन सेट की खरीद की जाती है। उन्होंने बताया कि मैकेनाइज्ड लॉन्ड्रियों में भी सफाई के लिए उच्च गुणवत्ता वाले पदार्थो का इस्तेमाल किया जाता है तथा सीसीटीवी एवं स्टाफ द्वारा निरंतर निगरानी रखी जाती है। धुले हुए कपड़ों की गुणवत्ता को जांचने के लिए व्हाइटोमीटर का इस्तेमाल किया जाता है।

अधिकारी ने बताया कि उत्तर-पश्चिम रेलवे मुख्यालय एवं मंडल स्तर रेल मदद पर प्राप्त बैडरोल सहित अन्य शिकायतों की निगरानी के लिए वार रूम स्थापित किए गए हैं, जो यात्रियों की शिकायत एवं फीडबैक पर निरंतर चौबीस घंटें निगरानी करते हैं।

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Pushpendra kumar author

पुष्पेंद्र यादव यूपी के फतेहुपुर जिले से ताल्लुक रखते हैं। बचपन एक छोटे से गांव में बीता और शिक्षा-दीक्षा भी उसी परिवेश के साथ आगे बढ़ी। साल 2016 स...और देखें

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