Rajasthan में सियासी संकटः Congress से नाता तोड़ 'नई उड़ान' भरेंगे Sachin Pilot? 11 जून को अमल में आ सकता है यह प्लान
Rajasthan Political Crisis Latest Update in Hindi: दरअसल, कांग्रेस आलाकमान की ओर से बड़ी बैठकों के बाद भी गहलोत और पायलट के बीच मसलों को लेकर कुछ ठोस हल नहीं निकल सका है। सूबे में यह सारा सियासी संकट इसलिए भी अहम हो जाता है, क्योंकि आगे विस चुनाव हैं।
राजस्थान में कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट। (क्रिएटिवः अभिषेक गुप्ता)
सूबे के मुख्यमंत्री और सियासत के जादूगर कहलाने वाले अशोक गहलोत के साथ लंबे समय से चली आ रही खट-पट के चलते अंग्रेजी मैग्जीन 'दि वीक' की रिपोर्ट में बताया गया कि वह राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले अपनी खुद की पॉलिटिकल पार्टी का ऐलान कर सकते हैं। पता चला है कि इस प्रक्रिया में चुनावी चाणक्य माने जाने वाले रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) की कंस्लटेंसी फर्म आई-पैक उनकी मदद कर रही है।
ऐसा कहा गया कि पीके के वॉलंटियर्स ने 11 अप्रैल को हुई उनकी एक दिन की भूख हड़ताल में मदद की थी, जिसमें सचिन और उनके समर्थकों की ओर गहलोत सरकार पर ऐक्शन (वसुंधरा राजे के कार्यकाल के दौरान कथित भ्रष्टाचार के मसले पर) लिए जाने की मांग उठाई गई थी। जानकारी के मुताबिक आगे पायलट ने जो पांच दिवसीय पदयात्रा (अजमेर से जयपुर तक पेपर लीक केस को लेकर) की थी, उससे भी फर्म का कनेक्शन रहा था।
सबसे रोचक बात है कि पायलट की ओर से अब तक यह दोनों बड़े कार्यक्रम 11 तारीख को किए गए, जबकि अगला 11 जून, 2023 के लिए प्रस्तावित है। चूंकि, इस खास तारीख पर उनके पिता और बड़े किसान नेता राजेश पायलट की पुण्यतिथि है। माना जा रहा है कि वह उनके स्मारक पर जाकर कुछ बड़ी घोषणा कर सकते हैं। वह उस दौरान रैली के बाद पार्टी का ऐलान कर सकते हैं, जिसका नाम "प्रगतिशील कांग्रेस" हो सकता है।
वैसे, इससे पहले चार जून, 2023 को सूत्रों के हवाले से यह खबर भी आई थी कि वह न तो बनाएंगे कोई सियासी दल बनाएंगे और और न ही किसी और पार्टी का दामन थामेंगे। दरअसल, कांग्रेस आलाकमान की ओर से बड़ी बैठकों के बाद भी गहलोत और पायलट के बीच मसलों को लेकर कुछ ठोस हल नहीं निकल सका है। सूबे में यह सारा सियासी संकट इसलिए भी अहम हो जाता है, क्योंकि आगे विस चुनाव हैं। राजस्थान की विधानसभा का कार्यकाल जनवरी, 2024 में खत्म हो जाएगा। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले इस साल के अंत में पांच राज्यों (राजस्थान के साथ मिजोरम, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मध्य प्रदेश) में विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं।
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