राजस्थान: भरतपुर के केवलादेव नेशनल पार्क में बनेगा चिड़ियाघर, लुप्त प्रजातियों के जीवों को बसाया जाएगा, ये है पूरा प्रोजेक्ट

Rajasthan: केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान विश्व धरोहर की सूचि में शुमार है। ये अभयारण्य देशी व विदेशी पक्षियों की शरण स्थली के तौर पर समूचे विश्व में पहचाना जाता है। चिड़ियाघर बनने के बाद अब यहां नम भूमि में रहने वाली प्रजातियों के वन्यजीवों जैसे गैंडे, जलीय भैंसे, डाॅल्फिन सहित मगरमच्छों को बसाया जाएगा। इसके लिए फ्रांस की एक संस्था ने पहले चरण के लिए करीब 15 करोड़ की राशि मंजूर की है।

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राजस्थान के भरतपुर में स्थित केवलादेव नेशनल पार्क में बनेगा चिड़ियाघर (प्रतीकात्मक तस्वीर)

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • भरतपुर के केवलादेव नेशनल पार्क में बनेगा चिड़ियाघर
  • कई रेयर प्रजातियों के वन्यजीवों को यहां बसाया जाएगा
  • फ्रांस की एक संस्था करेगी परियोजना में वित्तीय सहयोग

Rajasthan: राजस्थान के भरतपुर शहर में स्थित विश्व प्रसिद्ध केवालादेव नेशनल पार्क में जू बनने की कवायद की जा रही है। इसके लेकर प्रदेश के वन विभाग की ओर से इस राष्ट्रीय उद्यान के भीतर एक चिड़ियाघर बनाने का प्रस्ताव दिया है। बता दें कि, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान विश्व धरोहर की सूचि में शुमार है। ये अभ्यारण्य देशी व विदेशी पक्षियों की शरण स्थली के तौर पर समूचे विश्व में पहचाना जाता है।

चिड़ियाघर बनने के बाद अब यहां नम भूमि में रहने वाली प्रजातियों के वन्यजीवों जैसे गैंडे, जलीय भैंसे, डाॅल्फिन सहित मगरमच्छों को बसाया जाएगा। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, इसके पीछे की प्रमुख वजह है नम भूमि वाले इस अभ्यारण्य में जैव विविधतता का विकास करना है। इसके लिए फ्रांस की एक संस्था ने पहले चरण के लिए करीब 15 करोड़ की राशि मंजूर की है। इसके बाद आने वाले 8 सालों में कुल 12 सौ करोड़ खर्च किए जाएंगे।

ऐसे शुरू होगी परियोजना राजस्थान के प्रधान मुख्य वन संरक्षक और परियोजना निदेशक मुनीश गर्ग के मुताबिक, यह प्रोजेक्ट इस साल अप्रैल के बाद ही शुरू किया जाएगा। इसे लेकर महकमे की ओर से जू का निर्माण नेशनल पार्क से करीब एक से दो किमी की दूरी पर फॉरेस्ट लैंड में विकसित किया जाएगा। जिससे नेशनल पार्क में बसे परिंदों की दिनचर्या में खलल ना पड़े।

इन विलुप्त प्रजातियों को बचाने का प्रयासप्रदेश वन विभाग के चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट मुनीश गर्ग के मुताबिक, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के अंदर कई सुविधाओं को विकसित करने की योजना पर चर्चा चल रही है। वहीं इस प्रोजेक्ट के तहत मुख्य तौर पर विलुप्त प्रजातियों, जैसे ऊदबिलाव, फिश केट, काले हिरण, हॉग हिरण, आदि के लिए एक प्रजनन व रहवास विकसित किया जाएगा। इसके अलावा वेट लैंड के वन्यजीवों जैसे वाॅटर बफैलो, गैंडे, बारहसिंघा, मगरमच्छ व गंगाई डाॅल्फिन मछलियों को यहां बसाया जाएगा। इसके अलावा यहां पर एक एक्वेरियम, रेपटाइल्स के लिए बनाए जाएंगे। वहीं जानवरों के लिए अस्पताल व अन्य सुविधाएं विकसित की जाएंगी। जू की देखभाल करने वाले कार्मिकों व उनके परिवारों के रहने के लिए क्वार्टर व प्रशासनिक ब्लाॅक बनाए जाएंगे। इसके अलावा यहां आने वाले सैलानियों के लिए भी सुविधाएं विकसित की जाएंगी।

इंटरनेशनल स्टेंडर्डस होगा फाॅलोसैलानी परिंदों के आवास मे चिड़ियाघर के निर्माण को लेकर एएफडी प्रवक्ता ने बताया कि, इनकी संस्था राजस्थान के फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को फाइनेंशियल हेल्प को लेकर चर्चा कर रही है। हालांकि इसे अभी तक कोई औपचारिक रूप नहीं दिया गया है। प्रवक्ता के मुताबिक, इस परियोजना को अमलीजामा पहनाने की पहली शर्त ही संस्था कि रहेगी कि, इसमें इंटरनेशल स्टेंडर्डस फाॅलो किए जाए।

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