राजस्थान के इस मंदिर में चूहों को कहते हैं 'बाबा', चमत्कारों से भरा मां करणी का दरबार
Karni Mata Mandir: बीकानेर से करीब 30 किमी की दूरी पर स्थित देशनोक में मां करणी का मंदिर। मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है यहां रहने वाले 25 हजार चूहे। मंदिर परिसर मेंचांदी की विशाल परात में चूहों के लिए दूध रखा जाता है। बता दें कि आज तक करणी मां मंदिर के चूहों की वजह से प्लेग जैसी खतरनाक बीमारी नहीं फैली। 20वीं शताब्दी में बीकानेर के तत्कालीनमहाराजा गंगासिंह ने राजपूत शैली में इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
चूहों का मंदिर भी कहते हैं
- बीकानेर से करीब 30 किमी की दूरी पर स्थित देशनोक में मां करणी का मंदिर
- मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है यहां रहने वाले 25 हजार चूहे
- करणी मां मंदिर में चूहों की वजह से प्लेग जैसी खतरनाक बीमारी नहीं फैली
Navaratri 2022: राजस्थान में थार में मरुस्थल में स्थित है रजवाड़ी विरासत के प्रतीक बीकानेर से करीब 30 किमी की दूरी पर स्थित देशनोक में मां करणी का मंदिर। मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है यहां रहने वाले 25 हजार चूहे। मां के प्रसाद का भोग चूहों को ही लगाया जाता है। यहां के चूहों को 'काबा'नाम से पुकारा जाता है। मंदिर परिसर में चांदी की विशाल परात में चूहों के लिए दूध रखा जाता है। बतादें कि आज तक करणी मां मंदिर के चूहों की वजह से प्लेग जैसी खतरनाक बीमारी नहीं फैली। चूहों केसंसार को देखकर हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है। मंदिर में हर तरफ चूहे उछल-कूद करते और दौड़ते-भागते दिखाई पड़ते हैं। मां करणी के दरबार में शारदीय नवरात्र के मौके पर नौ दिनों का मेला लगताहै। इलाके के लोग बताते हैं कि करणी मां को साक्षात जगदम्बा का अवतार माना जाता है। मंदिर मेंसफेद चूहा दिखने पर इसे शुभ माना जाता है। वहीं मान्यता के मुताबिक देपावत चारण परिवार केलोगों की मृत्यु होने के बाद उनका जन्म मां के मंदिर में चूहों के रूप में होता है।
राजपूत शैली की अनूठी नजीर है करणी मां का मंदिरप्रचलित कथाओं के मुताबिक आज से करीब650 वर्ष पूर्व मां करणी ने इस मंदिर में मौजूद गुफा में अपनी आराध्य मां भगवती की पूजा-अर्चना की थी। गुफा आज भी मंदिर में मौजूद है। बाद में करणी मां के सांसारिक बंधन से मुक्त होने के बाद उनकीप्रतिमा गढकर मंदिर में स्थापित कर दी गई। बाद में 20वीं शताब्दी में बीकानेर के तत्कालीनमहाराजा गंगासिंह ने राजपूत शैली में इस मंदिर का निर्माण करवाया था। सफेद संगमरमर कीपच्चीकारी व मीनाकरी का बेजोड़ संगम है मंदिर भवन। महाराजा गंगासिंह ने मंदिर में चांदी केदरवाजे बनवाए। वहीं सोने से मां के विराजित गृभग्रह का निर्माण करवाया। मंदिर के सामने महाराजागंगा सिंह ने चांदी के दरवाजे भी बनाए थे।
मां के वरदान से बसे बीकानेर- जोधपुरदंत कथाओं के मुताबिक मां करणी के आशीर्वाद से ही जोधपुर व बीकानेर राज्यों की स्थापना की गई।मां के ब्रह्मलीन होने के बाद देशनोक के इस मंदिर में विक्रम संवत 1595 से ही लगातार पूजा-अर्चनाकी जा रही है। यहां भी एक बात जोधपुर व बीकानेर में समान है। जोधपुर की मां चामुंडा को चील केरूप में रक्षक माना जाता है। वहीं मां करणी को भी बीकानेर राज के वशंज चील के रूप में अपनी रक्षकमानते हैं। मां का जन्म विसं 1444 में जोधपुर के सुआप गांव में एक चारण परिवार में हुआ था।
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