Rajsthan News: 380 बीघा भूमि धोखाधड़ी का मामला, इस रियल एस्टेट कंपनी ने मुख्यमंत्री से की जांच की मांग
पिंकसिटी इंफ्रास्ट्रक्चर ने कथित 380 बीघा भूमि के धोखाधड़ी मामले में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से हस्तक्षेप करने और आरोपी ज्ञान चंद अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
पिंकसिटी इंफ्रास्ट्रक्चर
जयपुर: रियल एस्टेट समूह पिंकसिटी इंफ्रास्ट्रक्चर ने कथित 380 बीघा भूमि के धोखाधड़ी मामले में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से हस्तक्षेप करने और आरोपी ज्ञान चंद अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। राजदरबार समूह की कंपनी पिंकसिटी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के प्रवक्ता ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि आरोपी के खिलाफ 200 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं, लेकिन वह अभी भी खुलेआम घूम रहा है और दोनों निदेशकों के साथ मिलकर लोगों को धोखा दे रहा है। एक अन्य रियल एस्टेट फर्म राजस्थान लैंड डेवलपर्स प्रा. लिमिटेड ने दावा किया कि उनसे आरोपी ने संपर्क किया था, जिन्होंने टाउनशिप के लिए जमीन खरीदने में मदद करने का वादा किया था। वर्ष 2005-2006 में ज्ञान चंद अग्रवाल और संजय अग्रवाल जो एक ही व्यवसाय में थे, ने कंपनी के प्रमोटरों स्वर्गीय आर के गर्ग से संपर्क किया और जयपुर के जयसिंहपुरा, चिमनपुरा, कलवाड़ा और आसपास के स्थानों में जमीन और इसकी उपलब्धता के बारे में चर्चा की।
जानिए क्या है मामला
कंपनी को मल्टीपल स्टोरी ग्रुप हाउसिंग आवासीय योजना विकसित करने के लिए जयसिंहपुरा और चिमनपुराए जयपुर में 210 हेक्टेयर भूमि के लिए जयपुर विकास प्राधिकरण से 14 फरवरी 2005 को एनओसी मिल गई। कंपनी ने आगे कहा कि जेडीए से एनओसी प्राप्त होने पर अग्रवाल ने आश्वासन दिया था कि खातेदार उन्हें पैसा हस्तांतरित होने के बाद पिंकसिटी इंफ्रास्ट्रक्चर के पक्ष में भूमि के रूपांतरण के लिए आवेदन करेंगे। परिवर्तन के बाद जेडीए के साथ सभी कानूनी और आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करना और कंपनी के पक्ष में बिक्री की मंजूरी देना अग्रवाल की जिम्मेदारी थी। जेडीए द्वारा पिंकसिटी इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के पक्ष में 90 बी आदेश जारी किए गए थे। इस बीच कंपनी ने अग्रवाल के स्वामित्व वाली नारायण ग्रुप ऑफ कंपनीज और भूमि मालिकों को जमीन खरीदने के लिए लगभग 80 करोड़ रुपये की धनराशि हस्तांतरित की।
पिंकसिटी इंफ्रास्ट्रक्चर की जमीन हड़पी
कंपनी को वर्ष 2005-06 में चिमनपुरा और जयसिंहपुरा में 6 करोड़ रुपये मूल्य की 22 हेक्टेयर भूमि का विक्रय पत्र मिला।अग्रवाल ने कंपनी की इस जमीन को हड़पने के इरादे से पिछली तारीख के जाली दस्तावेज तैयार किए और अपने सहयोगियों को भूखंडों के ऐसे जाली कब्जा पत्र और नकद रसीदें जारी की। कंपनी ने आरोप लगाया कि अग्रवाल ने कुछ भूमि मालिकों, खातेदारों की मदद से अपने नाम पर पावर ऑफ अटॉर्नी निष्पादित की और जमीन को या तो अपने नाम पर स्थानांतरित कर दिया या तीसरे पक्ष को बेच दिया और धोखाधड़ी से काफी जमीन हड़प ली जो पिंकसिटी इंफ्रास्ट्रक्चर की थी। इतना ही नहीं आरोपी ने कंपनी के खिलाफ अलग-अलग नामों से मनगढ़ंत मामले दायर किए।
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