चुनाव से पहले राजस्थान कांग्रेस में फिर घमासान, गहलोत से आर-पार के मूड में पायलट, क्या पंजाब जैसा होगा हश्र?
Ashok Gehlot Vs Sachin Pilot: पायलट और गहलोत के बीच विवाद नया नहीं है। साल 2018 में सरकार बनने के बाद दोनों नेताओं के बीच सियासी लड़ाई एवं विवाद कई बार देखने को मिला है। राज्य में गहलोत और पायलट के अपने-अपने गुट हैं जो मौका मिलते ही एक-दूसरे को नीचा दिखाने एवं हमला बोलने में देरी नहीं करते।
राजस्थान में 11 अप्रैल को पायलट अनशन पर बैठेंगे।
विवाद नहीं सुलझा तो पंजाब जैसी हो सकती है हालत
पायलट के इस कदम से पार्टी आलाकमान सकते में है। जानकारों का मानना है कि राजस्थान में गहलोत-पायलट का विवाद यदि नहीं सुलझा तो आगामी चुनाव में कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है। कांग्रेस की हालत पंजाब जैसी हो सकती है जहां नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह के विवाद एवं आपसी वर्चस्व की लड़ाई की वजह से पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ा और सत्ता गंवानी पड़ी। पंजाब में कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण सिद्धू-कैप्टन के बीच चला सियासी विवाद रहा। हालांकि, राजस्थान के मामले में कांगेस आलाकमान हरकत में आ गया। पायलट की नाराजगी सामने आते ही पार्टी आलाकमान दोनों नेताओं को समझाने-बुझाने की बात कही है।
गहलोत-सचिन का विवाद है पुराना
पायलट और गहलोत के बीच विवाद नया नहीं है। साल 2018 में सरकार बनने के बाद दोनों नेताओं के बीच सियासी लड़ाई एवं विवाद कई बार देखने को मिला है। राज्य में गहलोत और पायलट के अपने-अपने गुट हैं जो मौका मिलते ही एक-दूसरे को नीचा दिखाने एवं हमला बोलने में देरी नहीं करते। 2018 के विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर दोनों गुट में खींचतान नजर आई और इसके बाद सीएम पद को लेकर भी दोनों में गतिरोध दिखा। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन और गहलोत के बेटे की हार के बाद पायलट और गहलोत में तल्खी और बढ़ गई। दोनों नेता एक-दूसरे के खिलाफ ज्यादा हमलावर हुए और जुबानी जंग तेज हुई।
2020 में 18 विधायकों के साथ बागी हो गए पायलट
दोनों नेताओं के बीच तल्खी और आपसी वर्चस्व की जंग इतनी बढ़ गई कि साल 2020 में पायलट अपने खेमे के 18 विधायकों को लेकर बागी हो गए। कांग्रेस टूटने की कगार पर आ गई। पायलट के बागी तेवर अपनाने पर गहलोत ने कार्रवाई की। सीएम गहलोत ने पायलट को मंत्री पद से हटाते हुए बागी विधायकों को अयोग्य करार दे दिया। इस दौरान अटकलें यह भी लगीं कि भाजपा और पायलट के बीच साठगांठ है और वह पायलट को अपना समर्थन दे सकती है। हालांकि, इन अफवाहों को खुद पायलट ने खारिज कर दिया। उन्होंने साफ कहा कि वह भाजपा के साथ नहीं जाएंगे। विधायकों की अयोग्यता का मामला राजस्थान हाई कोर्ट तक पहुंचा। बाद में कांग्रेस आलाकमान खासकर प्रियंका गांधी के दखल के बाद पायलट के सुर नरम पड़े और उन्होंने अपना बगावती तेवर छोड़ा।
गहलोत ने पायलट को कहा-'गद्दार'
राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो यात्रा' के दौरान भी दोनों नेताओं के बीच गुटबाजी एवं जुबानी हमले देखने को मिले। राहुल गांधी की यात्रा जब राजस्थान प्रवेश की तो दोनों नेताओं के बीच पोस्टर वार शुरू हो गया। 24 नवंबर को गहलोत ने पायलट को 'गद्दार' बता दिया और कहा कि उन्हें सीएम नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने पार्टी को धोखा दिया और गद्दारी की है। गहलोत ने आरोप लगाया कि पायलट भाजपा से मिले हुए थे और 2020 में उन्होंने अपनी ही सरकार गिराने की कोशिश की। गहलोत के इस बयान पर पायलट ने कहा कि 'गद्दार' कहे जाने पर उन्हें दुख हुआ। पायलट ने गहलोत को इस तरह के बयान न देने की सलाह दी।
2018 में कांग्रेस की जीत में पायलट की भूमिका अहम
राजस्थान के 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस ने सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली। प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पायलट ने मुद्दों की लड़ाई लड़नी शुरू की। वह लोगों तक पहुंचे और उनके आवाज बने। प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने पार्टी को जन-जन से जोड़ने की कोशिश की। पायलट की यह मेहनत रंग लाई और 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 100 से ज्यादा सीटें जीतने में सफल हुई। 2013 के विस चुनाव में पार्टी महज 20 सीटों पर सिमट गई थी। कांग्रेस की इस बड़ी चुनावी सफलता का श्रेय सचिन पायलट को दिया गया। इस जीत के बाद यह माने जाने लगा कि सीएम पद पर ताजपोशी पायलट की होगी लेकिन सत्ता और सीएम पद की रेस में बाजी गहलोत ने मार ली। समझा जाता है कि दोनों नेताओं के बीच विवाद की मूल वजह पायलट को सीएम न बनाया जाना ही है।
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