राजस्थान कांग्रेस में सब ठीक नहीं, जानें- क्यों गहलोत के खिलाफ उपवास करेंगे सचिन पायलट
Sachin Pilot Fast against Ashok Gehlot: भारतीय राजनीति में भ्रष्टाचार सदाबहार मुद्दा है। इस मुद्दे के जरिए सरकारें गिरती और बनती हैं। इन सबके बीच राजस्थान कांग्रेस के कद्दावर नेता सचिन पायलट अपनी ही सरकार के मुखिया अशोक गहलोत की घेरेबंदी करने में जुटे हुए हैं।
अशोक गहलोत-सचिन पायलट में पुरानी अदावत
Sachin Pilot Fast against Ashok Gehlot: राजस्थान कांग्रेस में तकरार की राजनीति ज्वालामुखी की तरह है। एक बार फिर सचिन पायलट नें अपनी ही सरकार के खिलाफ निशाना साधा। इस दफा मुद्दा भ्रष्टाचार का है और उसके खिलाफ लड़ाई लड़ने के भूख हड़ताल को हथियार बनाया है। वो अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ 11 अप्रैल को एक दिन का उपवास रखेंगे। पायलट ने कहा कि उन्होंने गहलोत से पिछली वसुंधरा राजे सरकार पर लगे आरोपों पर कार्रवाई करने की अपील की लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। उन्होंने कहा कि हमने वसुंधरा जी की सरकार पर एक साथ उन आरोपों को लगाया। मैंने भी पार्टी की राज्य इकाई के तत्कालीन अध्यक्ष के रूप में कुछ आरोप लगाए। मैं बदले की राजनीति में विश्वास नहीं करता। लेकिन विपक्ष के रूप में हमारी कुछ विश्वसनीयता थी और इसलिए हम सत्ता में आए।
सचिन पायलट ने क्या कहा
सचिन पायलट कहते हैं कि उन्होंने पहला पत्र 28 मार्च, 2022 को लिखा था। कोई उत्तर नहीं मिला। फिर 2 नवंबर 2022 को फिर से लिखा। जनता ने हम पर विश्वास किया और हमें 21 सीटों से 100 सीटों तक पहुंचाया। पायलट ने कहा कि वह विधानसभा चुनाव से पहले इन भ्रष्टाचार के आरोपों पर कुछ कार्रवाई करना चाहते हैं। पायलट ने कहा कि जहां केंद्र कांग्रेस नेतृत्व को निशाना बनाने के लिए ईडी सीबीआई का दुरुपयोग कर रहा हैष वहीं राजस्थान सरकार अपनी एजेंसियों का भी उपयोग नहीं कर रही है, वह चाहते हैं कि यह सार्वजनिक डोमेन में आए। जनता और कांग्रेस नेताओं को यह नहीं सोचना चाहिए कि हमारी कठनी और करनी में अंतर है। मुझे लगता है कि हमें बात करनी चाहिए और मैंने लगभग डेढ़ साल पहले गहलोत जी को लिखा था कि यह उन आरोपों की जांच करने का समय है जो हमने भाजपा सरकार पर लगाए हैं। कांग्रेस को लोगों को दिखाना चाहिए कि हमारे शब्दों और शब्दों के बीच कोई अंतर नहीं है।
क्या कहते हैं जानकार
जानकार कहते हैं कि बात सिर्फ इतनी सी नहीं है। अगर आप पांच साल पहले 2018 की बात करें जब विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार चल रहे थे उस समय कांग्रेस पार्टी सचिन पायलट को नेता के तौर पर प्रोजेक्ट कर रहे थे। लेकिन जब नतीजा सामने आए तो कई दिन तक इस बात पर मंथन और विवाद जारी रहा कि राजस्थान की कमान किसे दी जाए। आखिरकार युवा चेहरे पर अनुभव भारी पड़ा और दिल्ली में अशोक गहलोत के नाम का ऐलान सीएम पद के लिए किया गया।
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ललित राय author
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