नवभारत नवनिर्माण मंच: अंगदान...टीकाकरण अभियान से लेकर टेलीमेडिसीन तक...राजस्थान के बढ़ते कदमों पर खास चर्चा
राजस्थान ने स्वास्थ्य की दिशा में पिछले कुछ वर्षों में बेहतर कार्य किया है। सरकार लगातार स्वास्थ्य से जुड़े कार्यों को बढ़ावा दे रही है और इसका परिणाम भी दिख रहा है। अगस्त 2023 में ही सीएम अशोक गहलोत ने 887 करोड़ रुपए की लागत से मेडिकल कॉलेजों से जुड़े चिकित्सा संस्थानों के 32 कार्यों व तीन नर्सिंग कॉलेजों के भवनों का शिलान्यास किया था। इस कार्यक्रम में ऐसे ही विषयों पर चर्चा हुई।
सोशल मीडिया का इस्तेमाल
आप सोशल मीडिया में जितना जोर लगा लें अगर आपके पास ग्राउंड मुद्दे नहीं हैं तो फायदा नहीं होगा। आधार होना जरूरी है। आने वाले वक्त में सिर्फ कुछ रैलियां हुआ करेंगी, सब कुछ सोशल मीडिया पर होगा, एआई का और अधिक इस्तेमाल होगा। पूरी तस्वीर बदल जाएगी। हम जो भी कैंपन चलाते हैं उसका फोकस ग्राउंड लेवल पर रहता है। हमारी कोशिश रहती है कि दूसरों से हटकर हो, वन-वे कम्युनिकेशन ना हो। लोगों से सीधा जुड़ाव हो सके।चैलेंज हर क्षेत्र में बढ़ गया है
नरेश अरोड़ा ने कहा, आज चैलेंज हर क्षेत्र में बढ़ गया है। चुनौती लेने में मजा भी आता है। घर की डाइनिंग टेबल पर असली चर्चा होती है, घर के मुद्दे उठते हैं। राजस्थान में किस तरह का बदलाव आ रहा है, इस पर अरोड़ा ने कहा कि राजस्थान इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में नंबर वन है। यहां आधार की तरह जनाधार चलता है। जब यहां महंगाई राहत कैंप लगाए गए तो लोग घर से एक स्कीम के लिए निकलते थे, तो जनाधार कार्ड से कई योजनाओं का लाभ लेते थे। राजस्थान सरकार ने तकनीक का उपयोग करके लोगों को लाभ पहुंचाया।चुनाव लड़ने के तरीके बदल गए
नरेश अरोड़ा ने कहा, चुनाव लड़ने के तरीकों के साथ गवर्नेंस के तरीकों पर भी चर्चा होनी जरूरी है। पहले चुनाव में होर्डिंग लगाकर, पेम्फलेट बांटकर चुनाव लड़ा जाता था। आज डिजिटल मंच आ गया है। पहले घर में एक अखबार आता था, मुखिया उसे पढ़कर सबकुछ तय कर लेता था। आज घर से चार लोगों के पास चार फोन हैं, सबके अपने विचार हैं।आगे बढ़ता राजस्थान
राजनीतिक रणनीतिकार और DesignBoxed Less के डायरेक्टर नरेश अरोड़ा भी सत्र में शामिल हुए। आगे बढ़ता राजस्थान पर उन्होंने अपने विचार रखे।टेलीमेडिसीन से बहुत बड़ी कनेक्टिविटी
कोरोना के दौरान डॉक्टर ब्लैक फंगस से कैसे लड़ पाए, इस सवाल पर डॉ. भंडारी ने कहा, टेलीमेडिसीन बहुत बड़ी कनेक्टिविटी प्रदान करता है। हमने दूरदराज में पैरामैडिकल से संपर्क बनाकर इलाज किया। टेलीमेडिसीन के लिए हमने प्रोटोकॉल बनाए। कई बैठकें की और हर बैठक में सीएम मौजूद थे। उन्हें पूरा यकीन था कि हम दूरदराज के इलाकों में लोगों को फायदा दिलाएं। टेलीमेडिसीन के जरिए हम सफलता से इसे हैंडल कर पाए।ब्लैक फंगस के खिलाफ मिला फायदा
डॉ. सुधीर भंडारी: कोविड के दौरान पूरे भारत में ब्लैक फंगस हुआ था, इसमें 32 फीसदी मौतें हुई थीं। केसों के मामले में नंबर दो पर थे, इलाज में नंबर वन पर थे और मौतों के मामले में सबसे पीछे थे। राज्य में जबरदस्त इंफ्रास्ट्रक्चर है जिसका हमें फायदा मिला। टेलीमेडिसीन ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई और लोगों की जान बचाई जा सकी।टेलीमेडिसीन के फायदे
डॉ. सुधीर भंडारी ने कहा- टेलीमेडिसीन ने इलाज को आसान बनाया है। टेलीमेडिसीन के जरिए दूर से ही मरीज का इलाज किया जा सकता है। कोई व्यक्ति दूरदराज में बीमार है तो टेलीमेडिसीन के जरिए उसे मॉनिटर करके उसका इलाज किया जा सकता है। तकरीबन सभी तरह के इलाज में टेलीमेडिसीन का इस्तेमाल हो रहा है। राजस्थान देश में सबसे बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर वाले राज्यों में से एक है। बच्चों में टेलीमेडिसीन बहुत उपयोगी है। अगर किसी को त्वचा संबंधी बीमारी है तो डॉक्टर को इसकी तस्वीर भेजकर इलाज लिया जा सकता है। इसमें समय बचता है, पैसा बचता है, मरीज की रिकवरी तेजी से होती है। इसमें बहुत ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत नहीं होता है। आपको अगर कोई खास बीमारी है तो इसके एक्सपर्ट दूरदराज इलाकों में नहीं होते हैं, आप अपनी डिटेल शेयर करके इलाज करवा सकते हैं। अब इलेक्ट्रानिक स्टेथेस्कोप आ गए हैं, इसे मरीज में लगा दिया जाए तो डॉक्टर दूर से ही मरीज की जांच कर सकता है।स्वास्थ्य के क्षेत्र में नई पहल- टेलीमेडिसन
डॉ. सुधीर भंडारी (वाइस चांसलर, राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस) ने तीसरे सत्र में शिरकत करते हुए टेलीमेडिसीन के बारे में जानकारी दी।मुफ्त दवाएं और योजना का प्रचार
शिव प्रसाद नकाटे: सीएससी में 600 प्रकार की दवाएं मिलती हैं। और जो दवा उपलब्ध नहीं होती है उन्हें अधिकारियों को जानकारी देकर उपलब्ध कराया जाता है। सरकारी योजनाओं के बारे में लोगों को पता ही नहीं, इस सवाल पर नकाटे ने कहा कि लोगों को आशा, सोशल मीडिया प्रचार के जरिए इसके बारे में बताया जाता है। जिंगल, पैम्पलेट्स, वॉट्सऐप ग्रुप के जरिए, और कैंप के माध्यम से भी योजनाओं का प्रचार हो रहा है। जिससे भी आप पूछेंगे उन्हें मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के बारे में पता है, इसमें 25 लाख रुपये तक के इलाज की व्यवस्था है।राजस्थान में मेडिकल कॉलेज
शिव प्रसाद नकाटे: सभी मेडिकल कॉलेजों में सीटें बढ़ रही हैं। जो छात्र डिग्री के लिए रूस, यूक्रेन जैसे दूसरे देशों में जा रहे हैं, उन्हें अब नहीं जाना पड़ेगा और देश में सेवा करने का मौका मिलेगा। केंद्र और राज्य सरकारी की भागीदारी से फंड शेयर किया जा रहा है। उपकरणों की खरीद हो रही है, संसाधनों की कोई कमी नहीं है। राजस्थान में 34 मेडिकल कॉलेज हैं जिनमें से 24 सरकारी कॉलेज हैं। दूरदराज गांवों के लिए डॉक्टर उपलब्ध ही नहीं होते हैं। सरकार इस पर ध्यान देते हुए सराकारी मेडिकल कॉलेज खोल रहे हैं। गांवों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुचाने के लिए काम हो रहा है। आयुष्मान कैंप में विशेषज्ञों को भेजा जा रहा है। इस तरह गांव स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं देने का प्रयास हो रहा है। कैंसर की शुरुआती दौर में ही पहचान के लिए बडे़ जिलों में कैंसर संस्थान बन रहे हैं। लेकिन अब सीजीएचसी स्तर पर भी काम हो रहा है।राजस्थान के मेडिकल कॉलेज
मेडिकल एजुकेशन के आयुक्त (फूड एंड ड्रग कंट्रोल का अतिरिक्त प्रभार), शिव प्रसाद नकाटे ने परिचर्चा में हिस्सा लिया। उन्होंने भविष्य में स्वास्थ्य श्रेत्र को मजबूती देते राजस्थान के मेडिकल कॉलेजों पर बात रखी।मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ उठाएं
सुभाष गर्ग ने कहा, मेरी लोगों से अपील है कि वे मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ उठाएं। आपको मुफ्त इलाज मिलेगा आपको पैसा भी बचेगा।मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना
सुभाष गर्ग :हमारी सरकार मुफ्त जांच की सुविधा दे रही है। दवाई और जांच मुफ्त है। बाहर के कई अस्पतालों को इसमें जोड़ा गया है। मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना में 8 लाख से कम सालाना आय वालों को स्वास्थ्य सुविधा दी जा रही है। आज भी हमें अच्छे डॉक्टर नहीं मिल पा रहे हैं। हमने हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना बनाई। हर जिले में नर्सिंग कॉलेज खुल रहे हैं। इस बारे में बाकी प्रदेशों को भी सोचना होगा। केरल में अच्छा काम हुआ है। लेकिन उत्तर भारत में राजस्थान में बहुत अच्छा काम हुआ है। राजस्थान हर पैरामीटर पर आगे चल रहा है।राजस्थान का स्वास्थ्य मॉडल
सुभाष गर्ग : सीएम गहलोत 2010-11 में मुफ्त दवा, मुफ्त इलाज योजना लेकर आए थे। तब मैं प्रोफेसर था और मेरी उनसे चर्चा हुई थी। जब गहलोत तीसरी बार सत्ता में आए तो अभियान को आगे बढ़ाया। वह सिविल सोसायटी, आम जनता से संवाद करते हैं। नया हेल्थ मॉडल आया है। उन्होंने निरोगी राजस्थान का नारा दिया है। हमें ऐसी नीति को लेकर चलना होगा जिसमें हर तरह की स्वास्थ्य पद्धति शामिल हो न कि सिर्फ एलोपैथी। कोरोना काल ने ऐसा मॉडल दिया जिसने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया। तब दुनिया ने राजस्थान के मॉडल को सराहा। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा राजस्थान के साथ ऑक्सीजन देने में भेदभाव हुआ, यहां ऑक्सीजन उपलब्ध होने के बावजूद ओडिशा से दिया जा रहा था। कोरोना आने पर सीएम गहलोत ने सबसे पहले धर्मगुरुओं से संवाद किया। उनका लक्ष्य मानवता को बचाना था। तब रात दिन हमारे डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी जुटे रहे, राजनीतिक दलों, ग्राम प्रधानों, विधायक, सांसदों सबको साथ लेकर चले। तब भरतपुर में देशभर से यहां आते थे, यहां हमने ऑक्सीजन की कमी नहीं होने दी। मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना से लोगों को लाभ दिया।मंत्री सुभाष गर्ग ने हिस्सा लिया
कृषि व अन्य मंत्रालय से जुड़े मंत्री सुभाष गर्ग ने भी इस सत्र में हिस्सा लिया।जनभागीदारी है जरूरी
डॉ. प्रदीप कुमार चौधरी: जब तक लोगों में जनभागीदारी नहीं होगी तो अभियान सफल नहीं होगा। जहां भी सुविधा हो बच्चों का टीकाकरण करवाए। बच्चे के विकास के लिए टीके लगवाने जरूरी हैं, इसके लिए आगे आएं, हर गांव में हमारी आशा जाती हैं, उनसे जानकारी लें। सरकार प्रयास कर रही है, आप भी साथ दें।टीकाकरण ही सबसे आसान तरीका
डॉ. देवेंदर सोंधी: कई ग्रामीण इलाकों का पोलियो टीकाकरण डेटा हमारे साथ शेयर नहीं हो पाता है। कुछ लोग बच्चे को बुखार आने से डर जाते हैं। लेकिन इससे डरना गलत है, वे दवाई का रिएक्शन होता है। इसके लिए पैरासिटेमॉल दी जाती है। हमारा लक्ष्य है कि टीकाकरण का लक्ष्य 89 फीसदी से अधिक बढ़ाया जाए। छोटा बच्चा जब दुनिया में पहली बार आता है तो नई जगह में एक्सपोज होता है, हमारी अपील है कि हमारे पास बच्चों को लेकर आएं और टीका लगवाए जिससे बच्चे प्रमुख बीमारियों से बच सके। ये सबसे आसान और सस्ता तरीका है।भारत में पोलियो खत्म
डॉ. देवेंदर सोंधी ने कहा- अभी दुनिया में पूरी तरह पोलिया खत्म नहीं हुआ है। पड़ोसी देशों पाकिस्तान और अफगानिस्तान में पोलियो के मामले मिलते हैं। भारत में 2011 के बाद से कोई केस नहीं मिला है। 1978 से शुरू में बच्चों को पांच तरह के वैक्सीन दी जाती थी जो 7 बीमारियों से बचाती थी। आज करीब 11-12 वैक्सीन दी जाती है। आज चेचक पूरी तरह खत्म हो चुका है, टिटनेस भी खत्म कर दिया गया है। जल्द अन्य बीमारियों को पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा ।टीकाकरण क्यों जरूरी
डॉ. प्रदीप कुमार चौधरी ने कहा- बच्चों में टीकाकरण इसलिए जरूरी है क्योंकि बच्चों के लिए 5 साल तक की उम्र सबसे अहम है। इसी दौरान वह शारीरिक रूप से मजबूती हासिल करता है। हमने पोलियो के उन्मूलन में बड़ा काम किया है। बच्चों को दूसरी बीमारी जैसे डिप्थीरिया, डायरिया सहित कई बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण किया गया है। टीकाकरण से बच्चा बीमारियों से बचता है और वरह स्वस्थ रहता है।बच्चों का टीकाकरण
डॉ. देवेंदर सोंधी (स्टेट नोडल ऑफिसर, इम्युनाइजेशन/कोल्ड चेन) भी दूसरे सत्र में शामिल हुए। उनके साथ ही डॉ. प्रदीप कुमार चौधरी भी इस परिचर्चा में शामिल हुए। विषय था बच्चों के टीकाकरण का।कर्मचारियों ने बताए अनुभव
राजस्थान सरकार की इस मुहिम में जुटे कर्मचारियों ने भी अपने अनुभव इस मंच पर साझा किए।विजन डॉक्यूमेंट बनाया
डॉ. चतुर्वेदी ने कहा- हमने पहली बार सभी डॉक्टरों, स्वास्थ्यकर्मियों और विभाग से सुझाव मांगे जा रहे हैं, इसके आधार पर विजन डॉक्यूमेंट बनाया गया है। इसमें से 90 फीसदी पहले ही लागू कर चुके हैं। 10 फीसदी पर काम हो रहा है। हम जमीन पर उतरकर काम कर रहे हैं। आशाओं को इस बात के लिए ट्रेन किया है कि वो नवजात बच्चे के घर चार बार जाए और अगर बच्चे में किसी तरह का खतरे का लक्षण है तो तुरंत कार्रवाई करे। हमने शहरों के बारे में भी सोचा है, अलग-अलग शहरों में 45 बाइक एंबुलेंस चल रही हैं।नर्सरी केंद्र में सफल इलाज
डॉ. प्रदीप ने कहा- पहले हमारे पास बेड की कमी थी। हमने नर्सरी में बेड बढ़ाए हैं, अगर किसी बच्चे को पैदा होने के बाद तकलीफ हो जाए तो आप नर्सरी में तुरंत पहुंच सकते हैं। दूर के इलाकों में ऐसी नर्सरी बनाई गई हैं। नर्सरी में बच्चों के भर्ती कराने की संख्या बढ़ रही है, लेकिन इन्हें बचाना भी महत्वपूर्ण है। पिछले साल हमने 1.12 लाख बच्चे भर्ती किए जिसमें से 84 फीसदी को बचाया है। 40 कुपोषण केंद्र भी हैं जहां बीमार नवजातों का सफल इलाज होता है। एक किलो से कम वजन वाले 70 फीसदी बच्चों को जिला अस्पताल में बचाया जा रहा है।माताओं की मृत्यु दर में कमी
डॉ. तरुण चौधरी ने कहा- पहले जहां सालाना 8-9 हजार माताओं की मृत्यु होती थी अब 800 के करीब है। मौत का आंकड़ा अचानक हुई मौतों के कारण बढ़ता है जैसे कि प्रसव के बाद अचानक रक्तस्राव। हमने दूर के इलाकों में स्वास्थ्यकर्मियों को तैनात किया है। हालांकि विशेषज्ञों की कमी यहां बनी हुई है। नई सुविधाओं से हम हर साल 700-800 महिलाओं को बचाने में सफल होंगे।एमएमआर में कमी आई
डॉ. प्रदीप ने कहा- एमएमआर में कमी आई है। हमने 2030 के लिए लक्ष्य तय किया है कि प्रति 1000, 12 से ऊपर नवजातों की मृत्यु ना हो। हम 2030 तक इसे सिंगल डिजिट में ले आएंगे। हम पहले 32 फीसदी पर थे और पूरे देश का रेशियो 10-12 फीसदी के आसपास है, अब हम तकरीबन बराबर पर आ गए हैं। बच्चे को जन्म देने के बाद मां कहां रहेगी, हमने इसका भी इंतजाम किया है, सेंटर बनाए हैं।दूरदराज के इलाकों पर ध्यान
डॉ. तरुण चौधरी ने कहा- दूरदराज के डिजर्टेड और रिमोट इलाकों में हमने ऐसे व्हीकल भेजे जो आसानी से वहां पहुंच सकते हों। मरीजों को मुफ्त दवाई दे रहे हैं, इलाज की सुविधा दे रहे हैं। बीमारू राज्यों में अगर स्वास्थय पैरामीटर सही रहते हैं तो पूरे देश की स्थिति में सुधार होता है। एमएमआर में कमी आई है। हमने इसमें सुधार किया है। हमने पूरी टीम के रूप में काम किया है।ममता एक्सप्रेस से मदद
डॉ. चतुर्वेदी ने कहा - राजस्थान में ऐसे इलाके हैं जहां पहुंचना मुश्किल होता है, हमने वहां पहुंचकर काम किया है। रिमोट एरिया में पहुंचने के लिए हमने ममता एक्सप्रेस लागू किया है। इसमें उन इलाकों में पहुंचा जाता है जहां हमारे सेंटर नहीं हैं। ममता एक्सप्रेस, बचे समय में जननी एक्सप्रेस में बदल जाती है। प्रदेश में 500-600 जननी एक्सप्रेस चल रही है जो प्रसव के लिए महिलाओं को घर से अस्पताल पहुंचाती है।राजस्थान में मातृ-शिशु स्वास्थ्य में होता सुधार
डॉ. लोकेश चतुर्वेदी (डायरेक्टर रिप्रोडक्टिव एंड चाइल्ड हेल्थ), डॉ. तरुण चौधरी, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, मेटरनल हेल्थ, डॉ. प्रदीप कुमार चौधरी, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, चाइल्ड हेल्थ परिचर्चा में हिस्सा ले रहे हैं। विषय है- राजस्थान में मातृ-शिशु स्वास्थ्य में होता सुधार ।आशा ने काम किया आसान
डॉ. सोनी - जब आप किसी काम में जाते हैं और जो उसके लिए आशा (एएनएम) होती है, हमारे पास ऐसा सिस्टम है जो इसमें काम करता है। आशा के माध्यम से सही जगह पहुंचा जा सकता है। आशा डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से चीजें व्यवस्थित करती हैं। हमें भी नजर रखने में आसानी होती है। इन्हीं के भरोसे हमें मिशन को आगे बढ़ान में मदद मिलती है।2030 का लक्ष्य
विजन 2030 के लक्ष्य पर शुभ्रा सिंह ने कहा, ये प्लानिंग का एक तरीका है। सीएम सर का विचार है कि हमने पिछले 5 साल में 7 गुना तरक्की की, अब 10 गुना तरक्की करें। करीब ढाई करोड़ लोगों ने इस मिशन में हिस्सा लिया है। अधिकारीगण इसका हिस्सा बने हैं। हमने लोगों से वार्तालाप किया कि 2030 तक आप क्या देखना चाहेंगे। इससे आगे की रूपरेखा बनी। हमने जनता के मन की बात सुनी और उनके करीब 1 लाख सुझाव मिले और ढाई हजार सुझाव चुने।181 पर करें कॉल
शुभ्रा सिंह ने कहा- लोग बहुत खुश और हेल्दी जीवन जी रहे हैं। उनकी नॉर्मल लाइफ चल रही है। लीवर देने के बाद आपमें कोई अक्षमता नहीं आती, ये ब्लड डोनेशन जैसा है। पहले लगता है कि खून देने में कमजोरी आएगी, क्या कुछ हो जाएगा। लेकिन आज साफ हो गया है कि इससे और अधिक स्वस्थ होते हैं। याप 181 पर कॉल करके अंगदान की पूरी जानकारी मिल जाएगी। राजस्थान हेल्थ की वेबसाइट पर भी डिटेल मिल जाएगी, आप वहां शपथ ले सकेंगे। लोगों को आगे आना होगा।चल रहा महा अभियान
डॉ. सोनी ने कहा- राजस्थान की आबादी में से 1-1.5 करोड़ लोगों ने शपथ ली। जो इंसान समर्थ है, वो इसे कर सकता है। बदलाव तुरंत नहीं लाया जा सकता, इसके लिए लगातार प्रयास करना होता है। हर जिले में कोऑर्डिनेशन किया जा रहा है। जिन्होंने अंगदान किया है उनका उदाहरण दिया जा रहा है।अंगदान अभियान की शुरुआत
शुभ्रा सिंह ने कहा- अंगदान निशुल्क है, इसके लिए जनचेतना की जरूरत है। राजस्थान ने इनिशिएटिव लिया और एक दिन में 2 करोड़ लोगों ने शपथ लेकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। अभियान गांव-गांव, शहर-शहर पहुंचा। लोगों के साथ संवाद शुरू किया गाया। धर्मगुरुओं को जोड़ा गया। मेडिकल में ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए यूनिट स्थापित किया गया, लोगों को ट्रेनिंग दी गई। आई डोनेशन के लिए भी बहुत काम किया गया। राजस्थान न सिर्फ अपनी जनता के लिए समर्थ हो बल्कि बाकी देश के लिए भी योगदान दे सके।अंगदान...महाभियान
राजस्थान सरकार अंगदान...जीवनदान... महाभियान चला रही है जिसमें लोगों को अंगदान के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।चिरंजीवी योजना के लाभ
शुभ्रा सिंह ने कहा- जनहित में चिरंजीवी योजना लाई गई। 50-50 हिस्सेदारी सरकारी और निजी अस्पतालों की है। इससे गरीबों को फायदा हो रहा है। इस योजना की वजह से गरीब लोग महंगा इलाज करवा पा रहे हैं। राज्य में स्वास्थ्य बीमा 90 फीसदी बढ़ गया है।कार्यक्रम का शुभारंभ
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप जलाकर शुभ्रा सिंह, मेडिकल हेथ एंड फैमिली वेलफेयर विभाग, जयपुर और नेशनल हेल्थ मिशन के एमडी डॉ. जितेंदर सोनी ने किया।कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ
भारत के नवनिर्माण में राजस्थान की भूमिका..कार्यक्रम का हुआ शुभारंभउत्कृष्ट चिकित्सकीय सुविधाएं
सीएम गहलोत ने कहा कि पूरी प्रतिबद्धता एवं संवेदनशीलता के साथ चिकित्सा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र में एक मजबूत ढांचा तैयार किया गया है। स्वास्थ्य योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के परिणामस्वरूप गांवों-कस्बों तक उत्कृष्ट चिकित्सकीय सुविधाएं पहंचाई गई हैं।© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited