बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए टीकाकरण बहुत जरूरी, नवभारत नवनिर्माण मंच पर बोले राजस्थान के एक्सपर्ट्स
Navbharat Navnirman Manch Rajasthan: बाल स्वास्थ्य के प्रोजेक्ट डाइरेक्टर डॉक्टर प्रदीप चौधरी और इम्यूनाइजेशन/कोल्ड चेन के स्टेट नोडल ऑफिसर डॉ. देवेंद्र सोंढी ने 'स्वस्थ समाज देश की ताकत-टीकाकरण की भूमिका' सत्र में टीकाकरण की जरूरत एवं इसके महत्व पर विस्तार से चर्चा की।
एक्सपर्ट्स ने बताया कि टीकाकरण क्यों जरूरी है।
Navbharat Navnirman Manch Rajasthan: स्वस्थ बच्चे एक स्वस्थ समाज की नीव होते हैं। बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए उनका टीकाकरण बहुत जरूरी है। टीकाकरण हो जाने पर बच्चे बहुत कम बीमार पड़ते हैं। राजस्थान की स्वास्थ्य सेवा की चर्चा देश और दुनिया में हो रही है। राजस्थान में बच्चों का टीकाकरण अभियान कहां तक पहुंचा है और इसकी चुनौतियां कौन सी हैं, नवभारत नवनिर्माण मंच पर इसके बारे में चर्चा हुई। बाल स्वास्थ्य के प्रोजेक्ट डाइरेक्टर डॉक्टर प्रदीप चौधरी और इम्यूनाइजेशन/कोल्ड चेन के स्टेट नोडल ऑफिसर डॉ. देवेंद्र सोंढी ने 'स्वस्थ समाज देश की ताकत-टीकाकरण की भूमिका' सत्र में टीकाकरण की जरूरत एवं इसके महत्व पर विस्तार से चर्चा की।
टीका लगने से बच्चे कम बीमार पड़ते हैं-डॉ. प्रदीप
डॉ. प्रदीप कुमार ने कहा कि पांच साल तक बच्चों के विकास के लिए टीकाकरण बहुत जरूरी है। टीकाकरण होने पर बच्चों का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का विकास सही तरीके से होता है। जो बच्चे बार-बार बीमार पड़ते हैं उनका वजन और लंबाई प्रभावित होती है। आज बच्चों को पैंटावेलेंट टीका लगाया जा रहा है। इन टीकों के लग जाने से बच्चे बहुत कम बीमार पड़ते हैं। प्रभावी टीकाकरण अभियान से हमने देश को पोलियो से मुक्त कर दिया। हालांकि, हमारे पड़ोसी देशों पाकिस्तान एवं अफगानिस्तान में पोलियो के केस मिलते रहे हैं। देश में 2011 में और राजस्थान में 2009 में पोलियो का अंतिम केस मिला था।
1977 में हमने स्मॉल पॉक्स को खत्म कर दिया-डॉ. देवेंद्र
डॉ. देवेंद्र ने कहा कि टीकाकरण अभियान भारत में साल 1978 में शुरू हुआ। आज की तारीख में टीकाकरण अभियान के तहत 10 नि:शुल्क वैक्सीन लगाई जाती है। ये टीके करीब 12 तरह के गंभीर बीमारियों से बच्चों को बचाते हैं। इस अभियान के चलते ही हमने 1977 में स्मॉल पॉक्स को खत्म कर दिया। मीजल्स और रूबेला को हम खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य सभी बच्चों को टीका लगाने की है। फिर भी कुछ बच्चे छूट जाते हैं। इन छूटे बच्चों के लिए हम अभियान चलाते हैं।
मिशन इंद्रधनुष के दो चरण पूरे
डॉ. देवेंद्र ने बताया कि मिशन इंद्रधनुष के दो चरण पूरे हो गए हैं। इसके तहत दो से पांच साल के छूटे हुए बच्चों को टीका लगाया जा रहा है। टीका लगने के बाद बच्चों को कभी-कभी बुखार आ जाता है। लोगों में कुछ भ्रांतियां हो सकती हैं, इसलिए टीकाकरण में हिचकते हैं। हम सोशल मीडिया, धर्मगुरुओं, सरपंचों के जरिए टीकाकरण की अपील कराते हैं।
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