Valentine Week 2023: जयपुर के नजदीक ये टूरिस्ट स्पॉट है बेहद खास, बॉलिवुड से जुड़े लोगों की पहली पसंद, अपने पार्टनर संग जरूर जाएं यहां

Valentine Week 2023: राजस्थान के पाली में अरावली की खूबसूरत वादियों के बीच सुमेरपुर कस्बे के निकट स्थित जवाई बांध सैलानियों के आकर्षण का प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट है। 70 साल पुराने इस बांध के बॉलीवुड सितारे भी दीवाने हैं। यहां कुदरत ने जमकर सुंदरता लुटाई है। यहां पर विदेशी परिंदों के अलावा वन्यजीवों की मौजूदगी पर्यटकों को रोमांचित करती है।

Valentine Week celebrate

राजस्थान के पाली में स्थित जवाई बांध है बेहद खूबसूरत (फाइल फोटो)

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • राजस्थान के पाली में स्थित बेहद सुंदर है जवाई बांध
  • यहां प्रकृति के मनोरम दृश्य हर किसी को करते हैं आकर्षित
  • वन्यजीवों व सैलानी परिदों की अठखेलियां बढ़ाती है इसकी खूबसूरती को

Valentine Week 2023: अपने अदम्य साहस व राजपूती रवानी की कहानियों को इतिहास में समेटे राजस्थान की प्रकृति भी इसके जैसी ही खूबसूरत है। जो हर किसी को आकर्षित करती है। जयपुर से करीब 298 किमी की दूरी पर मारवाड़ और मेवाड़ के संगम की सरजमीं पर स्थित है भाषाई सौम्यता का प्रतीक पाली जिला। यहां अरावली की मनमोहक वादियां प्रकृति के खजाने से भरपूर है।

यहीं पर अरावली की गोद में मंथर गति से बहने वाली लूणी नदी की सहायक जवाई नदी के मुहाने पर बना है करीब 70 साल पुराना जवाई बांध। बांध के आसपास जंगल व पहाड़ों की सुंदरता हर किसी को लुभाती है। यहां के मनोरम दृश्य को देखने बॉलीवुड की कई हस्तियां आ चुकी। जिनमें अभिनेत्री काजोल से लेकर कटरीना कैफ तक शामिल हैं। इस बार अगर आप वैलेंटाइन वीक सेलिब्रेट करने के लिए किसी अच्छी जगह की तलाश में हैं तो राजस्थान के ये टूरिस्ट स्पाॅट आपके लिए बेहतरीन विकल्प हो सकता है। तो देर किस बात की जवाई बांध के इस पर्यटन स्थल को करें अपने प्लान में शामिल और अपने पार्टनर के साथ यहां जरूर विजिट करें। यहां आने के लिए नजदीकी रेलवे स्टेशन पाली है व एयरपोर्ट की अगर बात करें तो करीब 72 किमी दूर जोधपुर है।

जोधपुर के महाराजा ने बनवाया था ये बांधजवाई बांध प्रदेश के पाली जिले के नजदीक सुमेरपुर शहर के पास स्थित है। इसका निर्माण जोधपुर के तत्कालीन महाराजा उम्मेद सिंह ने करवाया था। बता दें कि, साल 1946 में इसका निर्माण शुरू किया गया था व ये सन 1957 में पूरा हुआ था। करीब सात दशक पहले इसके निर्माण पर जोधपुर राजपरिवार की ओर से उस जमाने में दो करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। यह पश्चिमी राजस्थान का सबसे बड़ा डेम है, जिसकी कुल क्षमता 7887.5 मिलियन क्यूबिक फीट है।

देशी- विदेशी परिंदों की अठखेलियां करती है सभी को आकर्षितबता दें कि, सर्दियों के मौसम में यहां पर कई देशों के परिंदे अपना डेरा जमाते हैं। वहीं आपको यहां पर लेपर्ड, हायना व भालू अपनी प्यास बुझाते आसानी से दिख जाएंगे। इसके अलावा आप यहां पर हिंगलाज माता का मंदिर, श्री नवलखा पार्श्वनाथ जैन मंदिर, जैन मंदिर, देवगिरी मंदिर, रामेश्वर महादेव मंदिर, सोमनाथ मंदिर, साईं बाबा मंदिर, करणी माता मंदिर, बंगोर मंदिर, इलोजी मंदिर, महालक्ष्मी मंदिर भी देख सकते हैं।

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