राजस्थान में तापमान लगातार 45 से ऊपर, लेकिन पहले की तरह आंधी नहीं आ रही; जानें कारण

राजस्थान में गर्मी के महीनों में आने वाली धूल भरी आंधी और बवंडरों की संख्या में भारी कमी देखने को मिल रही है। बवंडर कम आने से भले ही लोगों को परेशानी कम हो रही हो, लेकिन यह चिंताजनक बात है। जानिए इसका कारण क्या है और हवा की रफ्तार अब कितनी रह गई है।

Sand storm in Thar Desert

राजस्थान में धूल भरी आंधी

Rajasthan: गर्मी का मौसम, जला देने वाली धूप और धूल भरी आंधियां... गर्मियों के मौसम में राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके की यह हर साल की तस्वीर है। भीषण गर्मी और इन धूलभरी आंधियों की वजह से लोगों को भारी परेशानी भी होती है। लेकिन इस साल आंधी या धूल का बवंडर नहीं आया है तो यह और भी ज्यादा चिंता का विषय है। धूल का बवंडर न आने से जहां लोगों की परेशानियां कम हुई हैं, वहीं बदलते मौसम चक्र को लेकर माते पर शिकन की लकीरें भी उकेर दी हैं।

राज्य के थार मरुस्थल इलाके में इन दिनों तापमान लगातार 45 से 48 डिग्री के बीच बना हुआ है। इस मौसम में और इतना तापमान होने पर आमतौर पर धूल की आंधी या बवंडर आम बात होते थे, लेकिन इस साल अब तक एक भी बवंडर नहीं आया है। बात सिर्फ राजस्थानी की नहीं है, बल्कि पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन के कारण हवा की गति धीमी रही है, जिसकी वजह से आंधियां नहीं बन पा रही हैं।

ये भी पढ़ें - 20 घंटे की बिजली कटौती : ये राजधानी है या कोई दूर-दराज का गांव, पार्षद को भी उतरना पड़ा सड़क पर

राजस्थान के पश्चिमी हिस्से में बसे थार मरूस्थल में मिडल-ईस्ट यानी ईराक, ईरान और पाकिस्तान से होते हुए आंधियां आती थीं। लेकिन इस बार बवंडर न आने का कारण अरब के रेगिस्तान में भी हवा का पैटर्न बदलना माना जा रहा है। इसके कारण आंधियां या बवंडर रुक गए हैं। एक रिसर्च के अनुसार हर साल राजस्थान में 17 आंधिां आती थीं, जो अब घटकर 5 रह गई हैं।

आंधी या बवंडर के दौरान यहां हवा की स्पीड 60-70 किमी प्रति घंटा तक पहुंच जाती थी, अब हवा की रफ्तार 35-40 के बीच रह जाती है। पत्रिका.कॉम के अनुसार केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) जोधपुर के मौसम वैज्ञानिक डॉ. डीवी सिंह ने बताया कि 35-40 किमी की रफ्तार से भी हवा सिर्फ दो-तीन गंटे ही बहती है। जबकि पहले दो-तीन दिन तक हवा इसी रफ्तार से बहती रहती थी। इधर क्षेत्र में हवा की गति सामान्य तौर पर 20-25 किमी रह गई है। धूलभरी आंधी या बवंडर या अंधड़ में धूल की दीवार सैकड़ों किमी चौड़ी हो सकती है। इसकी ऊंचाई भी एक किमी से ज्यादा तक हो सकती है और इसमें नमी का स्तर 70 फीसद से कम होता है।

ये भी पढ़ें - पटरियों पर सरपट दौड़ने को तैयार वंदे मेट्रो, मिला ऐसा 'कवच' कभी नहीं होगी टक्कर

बात करें वैश्विक स्तर पर तो हवा की रफ्तार 15 फीसद कम हो गई है। दशक-दर-दशक हवा की रफ्तार में 2-3 प्रतिशत की कमी देखने को मिल रही है। उत्तरी गोलार्ध में, जहां भारत मौजूद है में हवा की सामान्य रफ्तार औसतन 28 किमी प्रति घंटा रहती थी, वो अब 20 किमी से कम हो गई है। आंधी कम होने का एक बड़ा कारण काजरी जोधपुर के निदेशक डॉ. ओपी यादव इसे मानते हैं।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | जयपुर (cities News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited