Bundelkhand Expressway: खुशखबरी... बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के किनारे बनेंगे कारखाने, औद्योगिक गलियारे से इतने लोगों को मिलेगा रोजगार

Bundelkhand Expressway - बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के समीप ही जमालपुर और महोखर गांव के 395 किसानों की 576 हेक्टेयर क्षेत्रफल में औद्योगिक गलियारा बनाने की कवायद तेज हो गई है।

Bundelkhand Expressway

बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे

झांसी: उत्तर प्रदेश सरकार एक्सप्रेसवे किनारे नए औद्योगिक गलियारा बनाकर रोजगार पैदा करने की तैयारी में लगी है। इस बड़े प्रोजेक्ट के लिए प्रदेश के 38 जिले चिन्हित किए हैं। इनमें बुंदेलखंड का बांदा भी शामिल है। यहां बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के समीप ही जमालपुर और महोखर गांव के 395 किसानों की 576 हेक्टेयर क्षेत्रफल में औद्योगिक गलियारा बनाने की कवायद तेज हो गई है। फिलहाल, प्रशासन ने इन किसानों की जमीन को चिन्हित करके एक हफ्ते के अंदर आपत्तियां मांगी हैं। वहीं, शासन ने औद्योगिक गलियारा के लिए 25 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित कर दी है।

कारखानों के विकसित होने से मिलेगा लाभ

गलियारा का स्ट्रक्चर तैयार होने के बाद यूपीडा उद्योगपतियों को यहां उद्योग लगाने के लिए भी आमंत्रित करेगा। वहीं, एक्सप्रेसवे शुरू होने के डेढ़ वर्ष बाद उद्योगों से बंजर बुंदेलखंड की धरती पर अब बड़े कल-कारखाने लगाए जाएंगे। इसके लिए शासन ने पूरा खाका तैयार कर लिया है।

576 हेक्टेअर जमीन पर बनेगा औद्योगिक गलियारा

दैनिक जागरण में छपी खबर के मुताबिक, पहले चरण में शहर के निकट बसी ग्राम पंचायत जमालपुर और महोखर में 576 हेक्टेअर जमीन औद्योगिक गलियारा के लिए चिह्नित की गई है। यहां मवई बुजुर्ग टोल प्लाजा और महोखर रैंप प्लाजा से कारोबारियों के वाहन औद्योगिक गलियारा तक आसानी से पहुंच सकेंगे। औद्योगिक गलियारा के लिए चयनित भूमि में ग्राम पंचायत जमालपुर में 270 किसानों की 245 हेक्टेअर चिह्नित की गई है, जबकि इसी गांव से जुड़े ग्राम पंचायत महोखर में एक्सप्रेसवे के किनारे 125 किसानों की 125 हेक्टेअर भूमि चिह्नित की गई है। प्रशासन की ओर से जमीन का अधिग्रहण शुरू कर दिया गया है।

किसानों के कच्चे माल की खपत

यूपीडा पैकेज एक के सहायक अभियंता एसके सिंह के मुताबिक, औद्योगिक गलियारा बनने के बाद यहां जनपदवासियों को परोक्ष और अपरेक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। उद्योगों के जरिए किसानों के कच्चे माल की खपत होगी और वह अच्छी आय अर्जित कर सकेंगे। वहीं, किसानों के पढ़े लिखे बेटों और बेटियों को उद्योगों में सीधे नौकरियां मिलेंगी। इससे उन्हें पलायन का दर्द नहीं झेलना पड़ेगा।

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