Air Pollution Delhi NCR: दिल्ली की जहरीली हवा पर कानपुर IIT करेगी वार, कृत्रिम बारिश से मिलेगा प्रदूषण से निजात
Air Pollution Delhi NCR - राजधानी दिल्ली में हवा जहरीली और बेहद प्रदूषित होती जा रही है। ऐसी गंभीर स्थिति में दिल्ली सरकार ने आईआईटी कानपुर से संपर्क साधा है। डीजीसीए से मंजूरी मिलने के बाद आईआईटी कानपुर की कृत्रिम बारिश दिल्ली की प्रदूषित हवा को सुधारेगी।
दिल्ली में कानपुर IIT करेगी कृत्रिम बारिश
कानपुर: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण ( Air Pollution Delhi NCR) दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में है। मंगलवार को AQI 395 दर्ज किया गया। स्थिति को गंभीर देखते हुए केजरीवाल सरकार ने कई जतन किए हैं, लेकिन वो कारगर साबित नहीं हो रहे हैं। ऐसे दिल्ली सरकार ने आईआईटी कानपुर से संपर्क साधते हुए समस्या के समाधान की गुजारिश की है। अब आईआईटी कानपुर की कृत्रिम बारिश ही दिल्ली की प्रदूषित हवा को सुधार सकती है। बताया जा रहा है कि क्लाउड सीडिंग की मदद से कृत्रिम बारिश कराकर दिल्ली और उसके आसपास क्षेत्र में बढ़ रहे प्रदूषण को कम किया जाएगा। केजरीवाल सरकार और आईआईटी कानपुर के बीच कृत्रिम बारिश कराने को लेकर वार्ता चल रही है। जल्द ही प्रस्ताव मिलने पर आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
IIT कानपुर प्रशिक्षण में पास
दरअसल, प्रदूषण की भयावह स्थिति से निपटने के लिए आईआईटी ने क्लाउड सीडिंग के जरिए कृत्रिम बारिश की टेक्नॉलजी विकसित कर ली है। ऐसे में बारिश की मदद से हवा में मौजूद प्रदूषक तत्वों को साफ किया जा सकता है। इस टेक्नोलॉजी में विमानों के जरिए बादलों पर विशेष प्रकार के केमिकल का छिड़काव किया जाता है, जिसके बाद वह बारिश होने लगती है। आईआईटी कानपुर ने जुलाई में इसका परीक्षण भी किया है, जिसमें वो सफल भी रही थी।
कृत्रिम बारिश के लिए मंजूरी का इंतजार
दिल्ली-एमसीआर समेत देश के कई शहरों में हवा बेहद प्रदूषित और जहरीली होती जा रही है। बिना बारिश इसका कम होना भी मुश्किल बताया जा रहा है। इसी को लेकर दिल्ली सरकार ने आईआईटी कानपुर से संपर्क साधा है। हालांकि, कृत्रिम बारिश कराने के लिए मौसम में विशेष परिस्थिति की जरूरत होती है। जैसे पर्याप्त नमी के साथ बादल और हवा दोनों हो। फिलहाल, अभी यह इस पर मौखिक चर्चा ही हो रही है। अभी डीजीसीए से भी मंजूरी मिलने का इंतजार है।
ऐसे कराई जाती है कृत्रिम बारिश
इस खास प्रक्रिया में हवाई जहाज की मदद से आसमान में सिल्वर आयोडाइड का छिड़काव करना होता है। यह जैसे ही हवा और आसमान में मौजूद बादलों के संपर्क में आती है, तो तेजी गति से बादल बनने लगते हैं। इन्हीं बादलों से मौसम में तब्दीली आती है और बारिश होने लगती है। इसे वैज्ञानिक भाषा में क्लाउड सीडिंग भी कहते हैं। सिल्वर आयोडाइड बर्फ की तरह ही होती है और इससे नमी वाले बादलों में पानी की मात्रा बढ़ जाती है और फिर बारिश होती है। इसे अत्यधिक सूखाग्रत क्षेत्र और प्रदूषण की गंभीर स्थिति से निपटने के लिए किया जाता है। भीषण आग के हादसो से भी निपटने के लिए क्लाउड सीडिंग का इस्तेमाल किया जाता है।
मंगलवार को इन शहरों में रही ये स्थिति
राजधानी दिल्ली में AQI 395, नोएडा में 350, गुरुग्राम में 366, फरीदाबाद में 380 और गाजियाबाद में 343 रिकॉर्ड किया गया है। यहां वायु गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में बनी हुई है, जिससे दिल्ली में घनी धुंध की परत छाई हुई है।
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