Places to Visit in Kanpur: कानपुर में 250 वर्ष पुराना वनखंडेश्वर मंदिर, प्राचीन काल में मिला था शिवलिंग, इतिहास है रोचक, भक्तों की अटूट आस्था
Best Places to Visit in Kanpur: कानपुर स्थित वनखंडेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास 250 साल पुराना है। मंदिर में स्थापित शिवलिंग खुदाई में मिला था। मान्यता है कि पहले इस स्थान पर घना जंगल था। कानपुर ही नहीं यहां देशभर से भक्त आते हैं। नए साल पर आप भी दर्शन कर महादेव का आशीर्वाद ले सकते हैं।
कानपुर का वनखंडेश्वर मंदिर
- 250 साल पुराना है कानपुर का वनखंडेश्वर महादेव मंदिर
- खोदाई में मिला था मंदिर में स्थापित शिवलिंग
- महादेव के दरबार में हाजिरी लगाकर करें नए साल की शुरुआत
Best Places to Visit in Kanpur: यूपी के कानपुर के पी रोड स्थित वनखंडेश्वर मंदिर शहर ही नहीं बल्कि आस-पास के जिलों में प्रमुख शिवालयों के रूप में भी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। श्रावण मास में दिनभर मंदिर में भगवान का विधिवत श्रृंगार किया जाता है। महादेव के दरबार में सैकड़ों श्रद्धालु भगवान को भोग अर्पित करते हैं इसके बाद प्रसाद जरूरतमंदों को बांटते हैं। कानपुर के मध्य में होने की वजह से पूरे शहर और आस-पास के जिलों से भी भक्त यहां दर्शन पूजन के लिए आते हैं। इस मंदिर का इतिहास भी रोचक है। आप भी नए वर्ष पर महादेव के दरबार में पहुंचकर आशीर्वाद लेकर साल की शुरुआत कर सकते हैं।
बताया जाता है कि वनखंडेश्वर मंदिर का इतिहास करीब 250 साल पुराना है। मंदिर में स्थापित भगवान का शिवलिंग खोदाई में प्राचीन काल में मिला था। मान्यता है कि जिस जगह पर इस समय मंदिर है, वहां प्राचीन काल में घना जंगल हुआ करता था और यहां एक गाय आकर रोजाना अपना दूध गिराती थी।
खोदाई में मिला था शिवलिंगइसी को देखते हुए इस जगह पर खोदाई की गई थी, खोदाई में शिवलिंग मिला था। उसी समय से वनखंडेश्वर बाबा के नाम से पूजा-अर्चना की जाने लगी। वनखंडेश्वर मंदिर कानपुर का इकलौता महादेव मंदिर है। यहां शिवलिंग कक्ष के चारों तरफ द्वार बने हुए हैं। आरती के वक्त हर द्वार से श्रद्धालु महादेव का दर्शन करते हैं। प्राचीन मंदिर में महादेव के संग उनका परिवार भी विराजमान है। मंदिर में संकटमोचन हनुमान प्रभु के साथ श्रीकृष्ण समेत कई देवी-देवताओं की प्रतिमा भी स्थापित है।
श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूरी करते हैं महादेवप्राचीन मंदिर में रानी लक्ष्मीबाई का कर्णछेदन संस्कार भी हुआ था। विवाह के बाद रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी में भी बिल्कुल ऐसे ही मंदिर की स्थापना कराई, मंदिर में आज भी बेलपत्र के कई पेड़ लगे हुए हैं। भक्तों के अनुसार, मंदिर में तीन पहर भगवान का चोला बदल दिया जाता है। महादेव के दिन में रौद्र स्वरूप के दर्शन होते हैं। जबकि शयन आरती के बाद महादेव का विनम्र स्वरूप होता है। वनखंडेश्वर मंदिर समिति के सदस्य ने बताया कि महादेव के दर्शन के लिए शहर के साथ देशभर से श्रद्धालु आते हैं। सच्चे मन से महादेव के दर्शन करने से श्रद्धालुओं की हर मनोकामना पूर्ण होती है। श्रद्धा से चढ़ाया गया एक पुष्प भी महादेव स्वीकार करते हैं। महादेव के दरबार से कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं जाता है।
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