Kanpur News: कानपुर में तपेश्वरी मंदिर में माता सीता ने लव-कुश का मुंडन संस्कार कराया था, मां करती हैं हर मनोकामना पूरी
Kanpur News: कानपुर के बिरहाना रोड पर स्थित तपेश्वरी देवी मंदिर का इतिहास त्रेता युग से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि, माता सीता ने इस मंदिर में ही लव-कुश का मुंडन संस्कार करवाया था। माता सीता के तप से ही तपेश्वरी माता प्रकट हुईं थीं। इसके बाद ही यहां पर एक छोटी मठिया की स्थापना की गई थी। उस समय पुत्तू लाल करते थे इस मंदिर की रखवाली।
लोगों का मानना है कि मां करती हैं हर मनोकामना पूरी।
मुख्य बातें
तपेश्वरी देवी मंदिर में माता सीता ने लव-कुश का करवाया था मुंडन संस्कारमाता सीता के तप से ही माता तपेश्वरी देवी हुई थी प्रकटतपेश्वरी देवी मंदिर का इतिहास जुड़ा हुआ है त्रेता युग से
Kanpur News: नवरात्र के दूसरे दिन भी सुबह से ही माता के मंदिरों के बाहर भक्तों का जन सैलाब उमड़ पड़ा। मंदिर परिसर माता के जयकारों से गूंज उठे। सुबह मंगला आरती के बाद लगभग चार बजे माता के दर्शन के लिए पट खोल दिए गए। तपेश्वरी मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिली। माता सीता के तप से ही तपेश्वरी माता प्रकट हुईं थीं। अब यहां भक्तों की लंबी कतार लगती है।संबंधित खबरें
मंदिर का इतिहास त्रेता युग से जुड़ा हुआ हैसंबंधित खबरें
कानपुर के बिरहाना रोड पर स्थित तपेश्वरी देवी मंदिर का इतिहास त्रेता युग से जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि, माता सीता ने इस मंदिर में ही लव- कुश का मुंडन संस्कार करवाया था। अयोध्यावासियों ने उठाए थे माता के चरित्र पर सवाल मंदिर के पुजारी ने बताया कि, इस मंदिर की मान्यता सिद्धपीठ के रूप में है। उन्होंने कहा कि, जब लंका पर विजय प्राप्त कर प्रभु श्रीराम वनवास से लौटे तो अयोध्यावासी माता सीता के ही चरित्र पर सवाल उठाने लग गए थे। माता के तप से प्रकट हुई थी तपेश्वरी देवी इस पर प्रभु श्रीराम ने सीता माता को त्याग दिया था। इसके बाद लक्ष्मण ने माता सीता को वाल्मीकि जी के आश्रम में छोड़ आए थे। कहा जाता है कि, माता सीता के तप से ही माता तपेश्वरी देवी प्रकट हुईं थीं। इसके बाद ही यहां पर एक छोटी मठिया की स्थापना हुई थी। उस समय पुत्तू लाल मंदिर की रखवाली करते थे।संबंधित खबरें
माता करती हैं मनोकामना पूरीसंबंधित खबरें
पुत्तू लाल के निधन हो जाने के बाद उनके पुत्र मन्नू लाल ने मंदिर का निर्माण कराया था। इसके बाद मन्नू के बड़े पुत्र लक्ष्मी नारायण ने यहां शेर की मूर्ति की स्थापना कराई, और उन्होंने मंदिर का सुंदरीकरण का भी कार्य कराया था। मान्यता है कि माता तपेश्वरी देवी के सामने शीश झुकाने और अखंड ज्योति जलाने से भक्त की मनोकामना पूरी होती है।संबंधित खबरें
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