Kanpur H3N2: अब कानपुर में कोविड संग होगी एच3एन2 की RTPCR जांच, KGMU में भेजे जाएंगे गंभीर रोगियों के सैंपल

Kanpur Influenza H3N2: मौसम में आ रहे बदलाव की वजह से लोगों में इन्फ्लूएंजा एच3एन2 वायरस पूरे भारत में फैल रहा है। एच3एन2 वायरस चिंता की वजह बन गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि एच3एन2 इन्फ्लुएंजा ज्यादा संक्रामक है। एच3एन2 के रूप में जाना जाने वाला इन्फ्लूएंजा वायरस लोगों को सांस लेने का काफी परेशानी दे रहा है। एच3एन2 इन्फ्लुएंजा इंफेक्शन के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। इसको लेकर स्वास्थ्य महानिदेशालय ने गाइडलाइन जारी की है।

Kanpur H3N2

तेजी से फैल रहा एच3एन2 इन्फ्लुएंजा

तस्वीर साभार : Times Now Digital
मुख्य बातें
  • भारत में तेजी से फैल रहा एच3एन2 इन्फ्लुएंजा
  • लोगों को सांस लेने का काफी परेशानी दे रहा वायरस
  • स्वास्थ्य महानिदेशालय ने जारी की गाइडलाइन

Kanpur Influenza H3N2: सीजनल इंफ्लुएंजा एच3एन2 को लेकर स्वास्थ्य महानिदेशालय ने गाइडलाइन जारी कर दी है। कोरोना वायरस की जांच के वास्ते लिए जा रहे सैंपल की अब एच3एन2 आरटीपीसीआर जांच भी होगी। कानपुर स्थित जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग और उर्सला की पैथोलॉजी में यह जांच की जाएंगी। गंभीर मरीजों के सैंपल जांच के लिए लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में भेजे जाएंगे। गाइडलाइन में संदिग्ध मरीजों की सैंपलिंग बढ़ाने और सांस के रोगियों की निगरानी करने के लिए कहा गया है। इंफ्लुएंजा के जैसी बीमारी (आईएलआई), सांस की तकलीफ (एसएआरआई) के मरीजों को चिह्नित करके उनकी सघन निगरानी के लिए भी निर्देश दिए गए हैं।

सीएचसी और ब्लॉक स्तर पर रोगियों को चिह्नित करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं। गाइडलाइन में कहा गया है कि यह मौसमी बीमारी हैं। अधिकतर रोगियों में यह खांसी, जुकाम, खांसी के बाद नियंत्रित हो जाती है। हालांकि अस्थमा, मोटापा, वृद्धावस्था के रोग, सीओपीडी, गुर्दा रोग, डायबिटीज से पीड़ित पुराने रोगियों में गंभीर लक्षण हो सकते हैं।

स्वास्थ्य विभाग ने जारी किए ये निर्देशगर्भवती महिलाओं को भी गंभीर लक्षण हो सकते हैं। इन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ता है। बिना उचित सुरक्षा के छींकने और खांसने एवं बंद स्थानों पर बैठकों और समारोहों के आयोजन से संक्रमण का फैलाव हो सकता है। उधर, स्वास्थ्य विभाग के निर्देश के अनुसार, आम जनमानस में जागरुकता बढ़ाई जाए, भीड़भाड़ वाली जगहों पर मास्क का इस्तेमाल किया जाए, बार- बार हाथ धोए जाएं, खुली जगहों पर थूकने से बचें, लक्षण वाले मरीजों की सूचना स्वास्थ्य केंद्रों को दी जाए और आइसोलेशन के प्रति जागरूक किया जाए।

मरीजों की निगरानी के साथ सैंपल की संख्या बढ़ानी होगीइसके साथ ही सर्विलांस बढ़ाना। सांस के मरीजों की निगरानी के साथ सैंपल की संख्या को बढ़ाना। सीजनल इंफ्लुएंजा प्रशिक्षण जिले से लेकर पीएचसी स्तर तक दिया जाना चाहिए। फ्रंट लाइन वर्कर्स, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के कर्मियों और एएनएम, आशा कार्यकर्ताओं को बीमारी के लक्षणों, बचाव के उपाय, रोगियों के चिह्नीकरण के संबंध में प्रशिक्षित किया जाना चाहिए। सीएमओ, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक और प्रभारियों के स्तर से अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों में दवाओं की उपलब्धता, मेडिकल ऑक्सीजन, चिकित्सीय उपकरणों के संबंध में समीक्षा की जानी चाहिए। चिकित्सा शिक्षा विभाग और निजी क्षेत्र की भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए।

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