Haunted Places of Kanpur: मानो या न मानो...कानपुर में यहां आपकी भी कांप सकती है रूह! सूरज ढलने के बाद नहीं मिलती एंट्री
Haunted Places of Kanpur: कानपुर में कंपनी बाग से स्वरूप नगर की ओर जाने वाली सड़क पर बीच में ठंडी पुलिया वाला हिस्सा पड़ता है। वहां कभी घुप्प अंधेरा रहता था और लोग कहते थे कि वहां सफेद कपड़ों में कोई "सिर कटा" नजर आता था। हालांकिं, अब वहां एमरेल्ड ग्रीन्स बिल्डिंग बन गई है और काफी लाइटिंग रहती है।
Haunted Places of Kanpur: तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (क्रिएटिवः अभिषेक गुप्ता)
Bhairav Ghat
भैरव घाट ही शहर का मुख्य श्मशान घाट है। यह पार्वती बागला रोड के आगे रेव थ्री मॉल के पीछे गंगा किनारे है। बगल में इलेक्ट्रिक शव-दाह गृह और धोबी घाट भी है। दिन हो या रात इस घाट पर चिताएं जलती रहती हैं। श्मशान के बगल में जहां भैरव बाबा विराजमान हैं, वहीं बीचो-बीच मरी माता का मंदिर है। रोचक बात है कि वहां पर मंदिरों के होने के बावजूद कई लोग सूरज ढलने के बाद जाने से कतराते हैं। रात के अंधेरे में अंत्येष्टि स्थल वाले परिसर में उनके लिए कदम रखना तो कोसों दूर की बात है।Ganges Barrage
वैसे तो गंगा बैराज घूमने-फिरने के लिहाज से शहर में सबसे बड़ा हैंग-आउट प्वॉइंट है, मगर रात को वहां जाने से लोग बचते हैं। वहां गंगा बैराज चौकी के पास कथित डेथ प्वॉइंट (जहां सेल्फी के चक्कर में पानी में फिसलकर कई की मौत हुई) और मैग्गी प्वॉइंट के पास सुनसान इलाके के आसपास कोई नहीं फटकता है। चूंकि, ऐसा कहा जाता है कि आगे मैग्गी प्वॉइंट के पास पूर्व में कई सड़क हादसे हुए हैं और वहां उन्हीं लोगों की अतृप्त आत्माएं भटकती रहती हैं।Lal Imli
कानपुर की लाल इमली मिल आज भी अपने वुलेन गुड्स (गर्म शॉल और लोई आदि) के लिए जानी जाती है, मगर सालों से बंद पड़ी यह मिल सन्नाटे के बीच अपनी नई पहचान भी बना चुकी है। कुछ साल पहले तक मिल के बाहर और आसपास का इलाका सुनसान पड़ा रहता था। रात के वक्त मिल के बाहर की हालत, टूटे कांच और और धूल फांकती इमारत को देखकर कमजोर दिल वाले डर सकते हैं। कुछ लोग तो तब उस रास्ते से देर रात निकलने में भी खौफ खाते थे, मगर हाल-फिलहाल के सालों में निगम के प्रयासों के बाद वहां लाइटिंग और सेल्फी प्वॉइंट बनाकर इस इलाके को धरोहर के रूप में पेश किया गया है।Gora Kabristan
कचहरी के सामने वाले हिस्से में बरसों पुराना एक ग्रेवयार्ड है। यह सिविल लाइंस इलाके में आता है और अंग्रेजी हुकूमत की याद दिलाता है। चूंकि, यहां अंग्रेजों की कब्रें हैं, इसलिए इसे गोरा कब्रिस्तान (कचहरी सिमेट्री) भी कहा जाता है। कब्रिस्तान में 1000 से अधिक कब्रें हैं, जिनमें चार-पांच महीने के बच्चों से लेकर 70 साल तक के बुजुर्गों की ग्रेव हैं। अंदर पुराने और विशाल पीपल के पेड़ भी हैं। शाम छह बजे के बाद वहां अंदर एंट्री नहीं दी जाती है। कहते हैं कि कब्रिस्तान के बाहर वाली सड़क पर कई हादसे भी हुए हैं।Jajmau ka Tila
शहर में गंगा किनारे बसे जाजमऊ को लोग सालों से चमड़ा उद्योग और टेनरियों के लिए जानते हैं, पर यह अपने उस टीले के लिए भी लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र है, जहां पर शाम छह बजे के बाद किसी को भी एंट्री नहीं दी जाती है। चूंकि, जहां टीला है, वहां आधे हिस्से में ऊपर कब्रिस्तान (मुस्लिमों का) भी है। ऐसे में लोगों का मानना है कि वहां सूरज ढलने के बाद या रात में जाना ठीक नहीं है। टीले पर पास में जिन्नातों की मजार भी है, जहां दूर-दूर से लोग अपने कष्ट और दुखों के निवारण के लिए पहुंचते हैं। छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ नजर से खबर पकड़ने में पारंगत और "मीडिया की मंडी" ...और देखें
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