इंदौर बनने निकला UP का ये शहर, खुश होकर राज्य सरकार ने दिए 106 करोड़

साफ सफाई किसे पसंद नहीं है। कहते हैं, जहां साफ-सफाई होती है वहां भगवान का वास होता है। साफ सफाई के मामले में इंदौर का कोई मुकाबला नहीं है। लेकिन उत्तर प्रदेश का एक शहर है, जो अब इंदौर की तरह अपना नाम सफाई में आगे बढ़ाना चाहता है। जबकि अभी यह शहर प्रदूषण के लिए बदनाम है।

सफाई और हरियाली का पर्याय बनेगा ये शहर

साफ-सफाई के मामले में इंदौर का कोई जवाब नहीं। सफाई के लिए इंदौर पिछले कई वर्षों से लगातार नंबर-1 पर रहकर स्वच्छता अवॉर्ड अपने नाम करता आ रहा है। कई अन्य शहरों में इंदौर की तरह साफ-सफाई की होड़ लगी है। उत्तर प्रदेश के सबसे प्रदूषित शहरों में गिने जाने वाले एक अन्य शहर ने भी अब इंदौर की तरफ साफ-सुथरा होने के लिए कमर कस ली है। शहर ने प्रदूषण पर रोकथाम के लिए जो काम किया है, उसके लिए राज्य सरकार ने इस शहर को 106 करोड़ रुपये का तोहफा भी दिया है। आखिर ये कौन सा शहर है, शहर ने क्या किया और मिली धनराशि से क्या कार्य होंगे, चलिए जानते हैं -

विकास कार्यों का खाका होगा तैयार

वायु प्रदूषण के मामले में सुधार करने वाले देश के 131 नॉन एटेनमेंट यानी खतरनाक स्तर पर पहुंचने वाले शहरों में कानुपर शहर पहले नंबर पर आया है। इस उपलब्धि के लिए शहर को राज्य सरकार की तरफ से 106 करोड़ रुपये (कुल 1 अरब, 6 करोड़, 90 लाख रुपये) का तोहफा मिला है। तोहफे के रूप में कानपुर को सबसे बड़ी धनराशि दी गई है। वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए मिली इस राशि से अब कानपुर नगर निगम IIT की रिपोर्ट के अनुसार विकास कार्य का खाका तैयार कराएगा।

15वें वित्त आयोग से मिल चुके हैं 204 करोड़

इससे पहले नगर निगम को 15वें वित्त आयोग से भी 204 करोड़ रुपये मिल चुके हैं। दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार इस राशि में से 60 करोड़ रुपये खर्च करके कच्ची सड़कों पर इंटरलॉकिंग टाइल्स का निर्माण कार्य किया गया है। पानी के छिड़काव के लिए स्मॉग गन मशीन और पीने के पानी के टैंकर खरीदने के साथ ही शहर में हर तरफ हरियाली की गई है।

कैसी है प्रदूषण की स्थिति

बता दें कि साल 2019-20 में PM10 का स्तर 196 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब था। अब पांच साल बाद वित्त वर्ष 2023-24 मार्च के अंत में यह 95 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब तक पहुंच गया है।

प्रदूषण रोकथाम के लिए क्या कार्य किए गए

प्रदूषण की रोकथाम के लिए अभी तक 60 करोड़ रुपये खर्च करके कच्चे रास्तों पर टाइल्स लगाई जा रही हैं। शहर में 100 बंद कूड़ाघरों का निर्माण कराया जा रहा है। इसके अलावा 41 भूमिगत यानी अंडरग्राउंड कूड़ाघर भी बनाए जा रहे हैं, जबकि 5 पहले से बने हैं। इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ोतरी के साथ शहर में निराला नगर और मोतीझील में दो इलेक्ट्रिक चार्जिंग स्टेशन भी बने हैं, इसके साथ ही 30 और बनाने की तैयारी है। मरे जानवरों के शवों के निस्तारण के लिए पांच करोड़ की लागत से संयंत्र लगाया गया है।
10 करोड़ रुपये खर्च करके यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए विभिन्न उपकरण खरीदे गए और क्रेन भी ली गई हैं। 10 करोड़ की लागत से 6 रोड़ स्वीपिंग मशीन, 5 पानी के टैंकर, 4 एंटी स्मॉग गन, पानी छिड़काव के लिए 18 टैंकर लगाए गए हैं। 20 करोड़ रुपये खर्च करके 9 नमो वनों का निर्माण किया गया है और शहर की ग्रीन बेल्ट को ठीक कराया गया। 80 करोड़ की लागत से सड़ों का चौड़ीकरण, फुटपाथ पक्के करने का कार्य और पैचवर्क कराया गया है। मियावाकी पद्वति से 10 जगहों पर करीब 4 लाख, 7 हजार पौधे लगाए गए हैं। रूमा में 1.75 लाख पौधे लगाए जा रहे हैं।
नगर आयुक्त शिव शरणप्पा जीएन का कहना है कि वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए शहर को 106 करोड़ रुपये मिले हैं। इससे शहर के अन्य इलाकों में भी वायु प्रदूषण रोकने की दिशा में कार्य होंगे। उन्होंने बताया कि धनराशि जारी हो चुकी है और अब विकास कार्यों का खाका तैयार कर जल्द कार्य शुरू करााए जाएंगे। शहर की मेयर प्रमिला पांडेय कहती हैं कि प्रदूषित शहर का दाग अब धुल गया है। अब शहर को नंबर 1 शहर बनाने की तैयारी है। धनराशि से हरियाली बढ़ाने का काम भी होगा।
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