केदारनाथ मंदिर में मौजूद शिवलिंग
आगामी 8 मार्च को महाशिवरात्रि है। शिवरात्रि के अवसर पर लोग भगवान शिव को जल और दूध चढ़ाने के लिए अपने-अपने इलाके के शिवालयों में जुटते हैं। इस दिन कई श्रद्धालु ज्योतिर्लिंग और बड़े शिव मंदिरों में जाकर भी भोले बाबा को खुश करने की कोशिश करते हैं। भोले बाबा के सबसे बड़े मंदिरों में से एक केदारनाथ के कपाट तो इस समय बंद हैं, ऐसे में केदारनाथ जाने का विकल्प तो आपके पास नहीं है। लेकिन केदारनाथ के विग्रह की पूजा आप उत्तराखंड के इस छोटे से कस्बे में महाशिवरात्रि पर भी कर सकते हैं।
जी हां, केदारनाथ के कपाट भले ही बंद हों, लेकिन उनकी पूजा शीतकाल में उखीमठ में होती है। उखीमठ जाकर आप भगवान के दर्शन कर सकते हैं और भोले बाबा को प्रसन्न भी कर सकते हैं। यहां जाने का डबल मजा और डलब फायदा यह है कि यहीं पर आप मद्यमहेश्वर के भी दर्शन कर सकते हैं। क्योंकि इन दिनों मद्यमहेश्वर के विग्रह की पूजा भी इसी उखीमठ में हो रही है।
केदारनाथ धाम के कपाट गर्मियों में 6 महीने के लिए खुलते हैं। उस समय उखीमठ से उनकी उत्सव डोली यहां लाई जाती है और फिर 6 महीने केदारनाथ मंदिर में उनकी पूजा होती है। ठीक इसी तरह मद्यमहेश्वर की भी सर्दियों में उखीमठ में पूजा होती है। अब जब महाशिवरात्रि आ रही है तो ऐसे में एक ही जगह पर केदारनाथ और मद्यमहेश्वर के दर्शन का अवसर भला कौन छोड़ना चाहेगा?
एक लोटा जल, हर समस्या का हल
उखीमठ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में है और यह समुद्रतल से 1317 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां उखीमठ के ओमकारेश्वर मंदिर में सर्दियों में केदारनाथ और मद्यमहेश्वर की पूजा होती है। यहां शिवरात्रि पर जल चढ़ाकर आप अपने अराध्य को खुश कर सकते हैं।
पुजारियों का रहवास
उखीमठ में मुख्य रूप से केदारनाथ के पुजारी रहते हैं, जिन्हें रावल भी कहा जाता है। अगर आप महाशिवरात्रि पर अपने अराध्य के दर्शनों के लिए यहां पहुंचते हैं तो आपको आसपास के पहाड़ों का खूबसूरत नजारा भी देखने को मिलेगा। इस मौसम में यहां की ऊंची-ऊंची पहाड़ियों पर बड़ी मात्रा में बर्फ गिरती है।
चौखंबा के भी होंगे दर्शन
उखीमठ पहाड़ में ऐसी जगह पर बसा है, जहां से आपको बर्फ से लकदक चोटियां आसानी से दिख जाएंगी। शिवरात्रि पर यहां जाएं तो केदारनाथ और मद्यमहेश्वर की पूजा अर्चना करने के साथ ही हिमालय की चौखंबा और नीलकंठ पर्वतमालाओं को भी करीब से निहार पाएंगे।
भगवान शिव के घर का गेटवे
उखीमठ एक तरह से भगवान शिव के घर का गेटवे है। यहीं से होकर श्रद्धालु केदारनाथ, मद्यमहेश्वर, तुंगनाथ जैसी धार्मिक यात्राओं पर जाते हैं। यहां पर कई बहुत पुराने मंदिर हैं, जो उषा, भगवान शिव, देवी पार्वती, अनिरुद्ध और मंधता को समर्पित हैं। चोपता और देवरिया झील जाने वाले पर्यटक भी उखीमठ से ही होकर जाते हैं।
भगवान कृष्ण से भी जुड़ा है उखीमठ
कहा जाता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध का विवाह यहीं पर हुआ था। अनिरुद्ध और बाणासुर की बेटी उषा यहीं पर विवाह के बंधन में बंधे थे। उषा के कारण ही बाद में इस जगह का नाम उषामठ हो गया, जो कालांतर में उखीमठ के नाम से मशहूर हुआ।
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