संभल: खुद में अनोखे इतिहास को समेटे है यह शहर, जानिए इसके बदलते 3 नामों की कहानी

संभल का इतिहास हमेशा से समृद्ध रहा है। यहां आपको एक से एक इमारत, मंदिर और मस्जित देखने को मिलेंगे। वहीं यहां आपको तोता मैना की कब्र भी मिलेगी। तो आइए जानते हैं संभल का इतिहास और इसके पुराने तीन नाम और इसके बदलने की वजह-

sambhal

उत्तर प्रदेश, संभल

उत्तर प्रदेश का संभल एक बहुत ही छोटा शहर है। कभी यह शासकों और सम्राटों का घर हुआ करता था। संभल का इतिहास हमेशा से समृद्ध रहा है। यहां की हस्तशिल्प दुनियाभर में मशहूर है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यहां के हस्तशिल्प उत्पादों

को पहचान मिली है। आपने अभी तक तोता-मैना की कहानी सुनी होगी। लेकिन, संभल में आपको तोता मैना की कब्र देखने को मिलेगी। इसके साथ ही यहां कई ऐतिहासिक मंदिर, मस्जिद और इमारतें हैं। संभल कुल 2453.30 वर्ग km में फैला है। जनगणना 2011 के अनुसार यहां की कुल आबादी 220,813 है।

संभल के हैं तीन और नाम

संभल के कदम-कदम में इतिहास बसा है। कहा जाता है कि सतयुग में इसका नाम सत्यव्रत था। वहीं त्रेता में इस जगह का नाम महदगिरि पड़ा। जिसके बाद द्वापर में यह पिंगल बना और कलयुग में इसका नाम संभल रखा गया। यहां बनाए जाने वाले हस्तशिल्प प्रोडक्ट राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी फेमस हैं।

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हैंडक्राफ्ट ज्वेलरी के लिए फेमस

संभल में शानदार हैंडक्राफ्ट ज्वेलरी बनाए जाते हैं। इन ज्वेलरी को देश के साथ ही विदेशों में भी खूब पसंद किया जाता है। वहीं ये सुंदर हैंड मेड प्रोडक्ट की कीमत भी काफी कम होती है।

संभल का पुराना किला

संभल में साल 1650-1655 के दौरान सोत नदी के किनारे सैय्यद फिरोज ने एक किला बनवाया था। कहा जाता है कि वह शाहजहां के शासनकाल में संभल के गवर्नर रहे रुस्तमखां दक्खिनी के फौजी थे। हुआ करते थे। शाहजहां ने सोत नदी के किनारे एक हजार बीघा जमीन दी थी। फिरोजशाह ने उसी जमीन पर किला बनाया था,जिसे आज पुराना किला के नाम से जाना जाता है।

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तोता मैाना की कब्र

आपने आज तक सिर्फ तोता मैना की कहानी सुनी होगी। लेकिन, अगर आप आप संभल जाएंगे तो आपको यहां तोता मैना की कब्र देखेगी। जो शहर से 3km दूर संभल-गवां मार्ग पर है। कहा जाता है कि यह कब्र तोता-मैना की प्रेम की निशानी है।

संभल का जामा मस्जिद

संभल के सबसे पुराने इमारतों में से एक है यहां का जामा मस्जिद, जो वास्तुकला का एक शानदार नमूना है। लोग दूर-दूर से यहां आते हैं।

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Maahi Yashodhar author

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