Amroha Dargah: ऐसी दरगाह जहां बिच्छू नहीं मारते डंक, आखिर क्या है 800 साल पुराने इतिहास का सच?

आपको जानकर हैरानी होगी कि अमरोहा के हजरत शाह विलायत की दरगाह पर बिच्छू जैसा जहरीला जानवर डंक नहीं मारता है। 800 सालों से यह मान्यता चली आ रही है। लेकिन ऐसा क्यो है। आइए आज इस दरगााह के इतिहास से आपको रूबरू कराते हैं।

अमरोहा दरगाह

भारत में वैसे तो आपको कई हैरान कर देने वाली कहानियां सुनने को मिल जाएंगी। इंसानों और जानवरों की प्रेम की अबतक आपने कई कहानियां सुनी होगी, लेकिन आज की इस कहानी के बारे में जानकर आप हैरान हो जाएंगे। दरअसल, अमरोहा में एक मजार है, जिससे जुड़ी एक कहानी जितनी दिलचस्प है, उतनी ही अविश्वसनीय भी। तो आइए जानते हैं आखिर ऐसा क्या है इस मजार में ।

आपको बता दें कि अमरोहा के मजार में एक ऐसा बिच्छू रहता है, जो यहां के लोगों को डंक नहीं मारता है, बल्कि उनसे प्यार करता है। यहां के लोगों का मानना है यह बिच्छू यहां पिछले 800 सालों से यही रहता है। और यहां के लोगों से वह प्रेम करता है। यही वजह है लोग इसे बिच्छू वाले मजार के नाम से भी जानते हैं।

850 साल पुराने दरगाह का इतिहास

वहीं इस माजार के मारे में लोगों का कहना है कि यह 850 साल पुराना है। यह अमरोहा नगर के बिजनौर रोड पर हजरत सैयद शाह शफरुदीन उद्दीन साहब की दरगाह के पास मौजूद है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस मजार के कोने-कोने में आपको बिच्छू नजर आएंगे। लेकिन आज तक कभी किसी इंसान को इन बिच्छुओं ने डंक नहीं मारा है। इस दरगार की पर दूर-दूर दराज से लोग आते हैं। किसी के मन में यहां बिच्छू को लेकर कोई डर नहीं है। लोग बेखौफ दरगार में धूमते नजर आते हैं।

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