बिहार के इस जिले का नाम क्यों पड़ा सारण, जानिए इसका दूसरा नाम और इतिहास -
बिहार का सारण अपनी सभ्यता और संस्कृति के लिए देशभर में जाना जाता है। लेकिन, क्या आपको पता है कि सारण का नाम कैसे पड़ा और इसके नाम मतलब क्या है ? अगर नहीं तो आज जान लीजिए-
बिहार, सारण
बिहार के 38 जिलों में एक सारण भी है। यह अपने सभ्यता और संस्कृति के लिए जाना जाता है। सारण अभी छपरा का जिला है। यहां की क्षेत्रफल 10,863 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। जनगणना 2011 के अनुसार यहां कि जनसंख्या 34,06,061 हैं। सारण के लोग हिंदी और भोजपुरी भाषा बोलते हैं। यह घाघरा नदी और गंगा नदी के संगम के पास बसा हुआ है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि इसका नाम सारण क्यों पड़ा या सारण से पहले इसका दूसरा नाम क्या था, सारण के नाम का मतलब क्या है ? अगर नहीं तो आज जान लीजिए।
कहां बसा है सारण ?
यह छपरा जिला के नाम से भी जाना जाता है। सारण का सोनपुर में लगने वाला पशु मेला काफी फेमस है। गंगा, गंडक और घाघरा नदी से घिरा सारण जिला भारत के प्राचीन केंद्रों में बसा है। इसके उत्तर में सीवान और गोपालगंज जिले स्थित हैं।
ये भी पढ़ें- MP: पहले इस नाम से जाना जाता था खंडवा, गौरवशाली है इतिहास, जानिए क्या-क्या है खास
ऐतिहासिक शहर है सारण
इस ऐतिहासिक शहर का काफी महत्व है। छपरा भारत के गौरवशाली अतीत के विभिन्न युगों में चमका हैं। ऐसा माना जाता है कि यह कोसल के प्राचीन साम्राज्य का एक हिस्सा रहा था। सम्राट अशोक के अधीन मौर्य साम्राज्य से इसके संबंध जुड़े हुए हैं।
इन चीजों के लिए है फेमस
बिहार का सारण पिड़िकिया के लिए फेमस है। इसे सूजी या खोआ को चीनी के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है। इसे पानी और घी के मिश्रण से बनी पतली पत्तियों में मिलाकर बनता है।
ये भी जानें- संभल: खुद में अनोखे इतिहास को समेटे है यह शहर, जानिए इसके बदलते 3 नामों की कहानी
कैसे पड़ा नाम ?
सारण को पहले सारण या शरण के नाम से जाना जाता था। कहा जाता है कि ये नाम सम्राट अशोक द्वारा बनाए गए स्तूप को दिया गया था। वहीं ऐसा भी कहा जाता है कि सारण नाम का नाम सरंगा-अरण्य या हिरण के जंगल से लिया गया है।
सारण का इतिहास
सारण के बारे में कहा जाता है कि सारण को पहले पटना डिवीजन में शामिल किया गया था, जब 1829 में आयुक्त के प्रभाग की स्थापना की गई थी, तो उस समय यह 1866 में चंपारण से अलग हो गया था। जब इसे (चंपारण) एक अलग जिला बना दिया गया था। उस वक्त सारण को तिरहुत प्रभाग का एक हिस्सा बनाया गया था। इस समय से इस जिले में तीन उप-विभाजन हैं। यानी सारण, सिवान और गोपालगंज। 1972 में पुराने सारण जिले को स्वतंत्र जिला बन गया।
सारण की जगहें
ऐतिहासिक सारण में कई शानदार जगहें हैं। इनमें से बाबा हिरनाथ मंदिर, दक्षिर्णेश्वरी काली मंदिर, नौलखा मंदिर और वैष्णों माता गुफा मंदिर जा सकते हैं। यहां दूर-दूर से लोग दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | शहर (cities News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |
माही यशोधर Timesnowhindi.com में न्यूज डेस्क पर काम करती हैं। यहां वह फीचर, इंफ्रा, डेवलपमेंट, पॉलिटिक्स न्यूज कवर करती हैं। इसके अलावा वह डेवलपमेंट क...और देखें
शाहबेरी से क्रॉसिंग रिपब्लिक के बीच खत्म होगा जाम का झाम, गाजियाबाद जाने वालों को मिलेगी बड़ी राहत
आज का मौसम, 22 January 2025 IMD Winter Weather Forecast LIVE: उत्तर भारत में आज करवट लेगा मौसम, कई राज्यों में बारिश और बर्फबारी का अलर्ट
Rajasthan Weather: पश्चिमी विक्षोभ से आज बदलेगा मौसम, 8 जिलों में गरज-चमक के साथ बारिश का अलर्ट, सर्द हवाएं बढ़ाएंगी ठिठुरन
कर्नाटक में भीषण सड़क हादसा, ट्रक पलटने से 10 लोगों की मौके पर मौत; 15 लोग घायल
बिहार के लखीसराय में बड़ी वारदात, चलती ट्रेन में यात्री की गोली मारकर हत्या
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited