कैराना में 19 अप्रैल को मतदान, यहां का मशहूर बेटा जिसने म्यूजिक में कैराना घराना खड़ा कर दिया
कैराना में 19 अप्रैल को लोगसभा चुनाव के लिए मददान होने जा रहा है। हालांकि कैराना कुछ विवादों के वजह से चर्चा में रहा है, लेकिन यहीं से थे उस्ताद अब्दुल करीम खां, जिन्होंने कैराना घराना खड़ा कर दिया था। आइए जानते हैं क्या है पूरी कहानी-
कैराना घराना की कहानी
उत्तर प्रदेश राज्य के शामली जिले में शामिल कैरान में लोकसभा चुनावा 2024 (Loksabha Election 2024) के पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होने जा रहा है। 19 अप्रैल को होने जा रहे मतदान में 17 लाख, 19 हजार और 11 मतदाता वोट डालने वाले हैं। केंद्रीय चुनाव आयोग की ओर से लोकसभा चुनाव की घोषणा किए जाने के बाद जिले में चुनाव आचार संहिता लागू कर दी गई है। ऐसे में उत्तर प्रदेश के चुनावों की बात हो और कैराना में पलायन की बात न हो ऐसा कभी नहीं हुआ है।
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जब भी यूपी में मददान की बात आती है तो कैरायना में हुए पलायन की बात जरूर सामने आती है। पिछले कुछ चुनावों में तो लगातार कैराना में पलायन का मुद्दा चर्चा का विषय रहा है। कैराना में पलायन के मुद्दे को बीजेपी के पूर्व सांसद हुकुम सिंह ने उठाया था ,जिसके बाद यह राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा मेंल छा गया छा।
विवादों में घिरा रहा है कैराना
आपको बता दें कि पूर्व सांसद हुकुम सिंह ने 2016 में पलायन करने वाले 346 लोगों की एक सूची भी जारी की थी। हालांकि बाद में उन्होंने ये भी माना था कि पलायन की कोई सांप्रदायिक वजह नहीं थी। वहीं इस सूची में शामिल लोगों की कभी आधिकारिक तौर पर पुष्टि भी नहीं की गई। लेकिन, हर बार यह एक मुद्दा जरूर रहा है। हालांकि, कैराना में एक वक्त में लोगों को सरेआम परेशान करने और धमिकियां देने का चलन जरूर बढ़ा था, लेकिन यह केवल किसी एक समुदाय को लेकर था इसकी भी कोई पुष्टी नहीं हुई है। वहीं वहां के लोगों ने या तो अपने व्यापार या किसी और अपने निजी कारणों से भी प्रस्थान किया था ऐसा वहां के लोगों का मानना है।
उस्ताद अब्दुल करीम खां का किराना घराना
चुनाव तो कभी चुनाव के मुद्दों के बीच घिरा कैराना आज ये भूल गया है कि कैराना से ही ताल्लुक रखत थे उस्ताद अब्दुल करीम खां। इनता ही नहीं लोग तो उन्हें किराना घराना का संस्थापक कहते हैं। जी हां, कई तरह के विवादों में घिरे इस कैरानाको जो असली पहचान मिली है वह उस्ताद अब्दुल करीम खाँ और उनके शिष्य पंडित सवाई गंधर्व से मिली है। अगर हम इतिहास में जाकर इस घराने में संगीत की परंपरा को जानने की कोशिश करें तो पता चलेगा कि अब्दुल करीम खां साहब की अहमियत मालूम होगी।
दुनिया को भारतीय शास्त्रीय संगीत से कराया परिचय
दरअसल, कैराना घराना गाने-बजाने की एक विशेष शैली को कहा जाता है। और इस शैली को जिस कलाकार ने शुरू किया उसे ही उस घराना का संस्थापक माना जाता है। जिनका नाम है स्ताद अब्दुल करीम खां। उन्हीं के नाम घराने को जाना जाता है। साल 1872 के नवंबर को कैराना में काले खां के घर जन्मे उस्ताद अब्दुल करीम खां ने पूरी दुनिया को भारतीय शास्त्रीय संगीत से परिचय कराया। और कैराना के नाम पर ही किराना घराने का नाम पड़ा। उन्होंने हिंदुस्तानी ख्याल गायकी के साथ ही भारतीय शास्त्रीय संगीत की शुरुआत की। उस्ताद अब्दुल करीम खां के भतीजे अब्दुल वाहिद खान ने ख्याल गायिकी में अति-विलंबित लय से दुनिया को मिलवाया।
गायक मन्ना डे ने घराने की शान में उतार दिए थे जूते
इस घराने की अहमियत का अंदाजा आप इस बात से भी लगा सकत हैं कि शहूर गायक मोहम्मद रफी ने इसी घराने से गायकी सीखी, जिनकी आवाज की दुनिया कायल है। इतना ही नहीं भीमसैन जोशी, गंगूबाई हंगल, सवाई गंधर्व, सुरेश बाबू माने, रोशन आरा, बेगम अख्तर, हीराबाई बादोड़कर भी इसी घराने के शागिर्द थे। ऐसा माना जाता है कि मशूहर गायक मन्ना डे जब कैराना पहुंचे तो उन्होंने किराना के सम्मनान में अपने जूते हाथ में रख लिए थे। उनका कहना था कि वह किराना की पावन धरती पर जूते पहनकर नहीं चल सकते हैं।
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माही यशोधर Timesnowhindi.com में न्यूज डेस्क पर काम करती हैं। यहां वह फीचर, इंफ्रा, डेवलपमेंट, पॉलिटिक्स न्यूज कवर करती हैं। इसके अलावा वह डेवलपमेंट क...और देखें
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