रोचक मुकाबला: झूमेगा पठान या डबल हैट्रिक के साथ संसद की राह पकड़ेंगे अधीर

आपको बता दें कि 1999 से 5 बार अधीर रंजन यहां से जीत चुके हैं। अगर इस बार जीतेंगे तो डबल हैट ट्रिक होगी। 52 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले इस क्षेत्र में उनके खिलाफ पहली बार कोई मजबूत मुस्लिम प्रत्याशी खड़ा है।

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यूसुफ पठान और अधीर चौधरी

Murshidabad: तृणमूल कांग्रेस के युवराज अभिषेक बनर्जी राजनीति में अभी नए हैं। वो भी उन्हीं युवाओं में से हैं, जो कहते हैं कि चलो कुछ कर के दिखा देते हैं। अरब सागर के किनारे वाले क्रिकेटर यूसुफ पठान को बंगाल की खाड़ी के पास बहरमपुर में लड़ा देने का आइडिया भी उन्हीं का था। जिसके लिए उन्होंने पहले यूसुफ से टाइम लेने की कोशिश की,उन्हें कई मेसेज भिजवाए और मिलने की कोशिश की। आखिरकार, कई प्रयास के बाद मिलने में और मनाने में सफल भी रहे। इस बात को गोपनीय रखी गई। कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में फिर घोषणा हुई और भारतीय क्रिकेट टीम से खेल चुके यूसुफ अपनी राजनीतिक पारी पिछले चुनाव में मात्र 81 हजार वोट से जीत गए। ऐसे में इस बार मुकाबला आसान नहीं होगा।

1999 से 5 बार जीत चुके हैं अधीर रंजन

आपको बता दें कि 1999 से 5 बार अधीर रंजन यहां से जीत चुके हैं। अगर इस बार जीतेंगे तो डबल हैट ट्रिक होगी। 52 प्रतिशत मुस्लिम आबादी वाले इस क्षेत्र में उनके खिलाफ पहली बार कोई मजबूत मुस्लिम प्रत्याशी खड़ा है। तृणमूल की रणनीति है मुस्लिम वोट के सहारे ऐसे दुश्मन को परास्त करना, जो बहुत बोलता है। इस बार फार्म में कौन है? प्रत्याशी के तौर पर निश्चित तौर पर अधीर। उनके समर्थकों के पास उनकी तारी में लंबे-लंबे तर्क हैं। बाहरी नहीं हैं। फ्रंट में आकर खेलते हैं। लोगों के दुख-सुख में काम आते हैं और बड़ा नाम हैं। उधर, तृणमूल ने टीम अधीर रजन चौधरी और फील्डिंग अच्छी सजाई है।

अधीर के विरोधी भी कम नहीं

बंगाल में तृणमूल का शासन है। संगठन के लिहाज से यह सबसे मजबूत पार्टी है। इनकी कुछ योजनाएं लोगों को फायदा पहुंचा रहीं। यह लंबे समय तक राजनीति कर रहे अधीर के विरोधी भी कम नहीं हैं। यूसुफ को बांग्ला नहीं आती। वह हिंदी बोलते हैं। कहते हैं तृणमूल ने मौका दिया है, तो यहां के लोगों की आवाज संसद में पहुंचाऊंगा।

'खोका बाबू' को मुझे हराने का असाइनमेंट

अधीर लोगों को बता रहे कि कहां खोजने जाइएगा। चुनाव बीतने के बाद वह नहीं मिलेंगे। यूसुफ की दलील है कि पीएम गुजरात से आकर बनारस में लड़ सकते हैं, तो मैं बहरमपुर में क्यों नहीं लड़ सकता ? अधीर कहते हैं सब भाजपा के इशारे पर हो रहा। नौ घंटे तक ईंडी की पूछताछ के बाद ही 'खोका बाबू' को मुझे हराने का असाइनमेंट मिला है।

मुस्लिम वोट बंटा तो भाजपा का मिलना ही है

मुस्लिम बहुल इलाकों में कांग्रेस-माकपा द्वारा यह प्रचार किया जा रहा है कि ममता अंदर ही अंदर भाजपा के साथ मिली हुई हैं अपने दल के भ्रष्टाचार में लिप्त नेताओं को बचाने के लिए। संशय का माहौल है। यह संशय वोट को बांट देगा। यहां से भाजपा के उम्मीदवार निर्मल साहा के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यंमत्री आदित्यनाथ ने रैली की है। मुस्लिम वोट बंटा तो भाजपा का अपना वोट उसे मिलना ही है।

पीछली बार बहरमपुर में दलों को मिले थे इतने बोट

कांग्रेस- 46.0%

तृणमूल- 39.7%

भाजपा- 11.1%

आरसीपी-1.0%

पीछले लोकसभा में अधीर को मिले इतने वोट

अधीर की जंग वास्तव में 'पीसी' (बुआ) और 'खोका बाबू' (भतीजा) से है। जंगीपुर से प्रणब मुखर्जी पहली बार चुनाव जीते थे, तो उसका श्रेय अधीर को जाता है। चैलेंज देना उनकी आदत है। वह हारे तो राजनीति छोड़ देंगे, टाइप चैलेंज वह कई बार कर चुके हैं। जेएसएम-जेएसएम जेएसएम 1999 बार कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी यहां से जीते हैं। 5,91,106 वोट पाकर अधीर रंजन चौधरी ने पिछले लोकसभा चुनाव में बहरमपुर से पाई थी जीत

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Maahi Yashodhar author

माही यशोधर Timesnowhindi.com में न्यूज डेस्क पर काम करती हैं। यहां वह फीचर, इंफ्रा, डेवलपमेंट, पॉलिटिक्स न्यूज कवर करती हैं। इसके अलावा वह डेवलपमेंट क...और देखें

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