अतीक के बेटे अली-उमर पहुंचे हाईकोर्ट
लखनऊ: माफिया अतीक अहमद और भाई असरफ की हत्या के बाद पूरा परिवार खौफ के साए में है। बीबी शाइस्ता फरार चल रही है। इसी बीच अतीक के जेल में बंद दोनों बेटों ने जान का खतरा जताया है। लखनऊ जेल में बंद उमर अहमद और नैनी जेल में बंद अली अहमद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर सुरक्षा की डिमांड की है। याचिका के जरिए दलील दी है कि कचहरी में पेशी के दौरान आने में उन्हें जान का खतरा है। लिहाजा, वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए से उनकी पेशी कराई जाए। फिलहाल, कोर्ट ने याचियों को विश्वसनीय सुबूत पेश करने को कहा है।
उमर की याचिका पर न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति विवेक कुमार सिंह की खंडपीठ सुनवाई कर रही है, जबकि अली की याचिका पर न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिरला और न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की पीठ सुनवाई कर रही है। इनकी पैरवी करने वाले वकील विजय मिश्रा खुद जेल पहुंच चुके हैं। हालांकि, जेल जाने से पहले विजय मिश्रा 12 जुलाई को दोनों भाइयों के डरने के पीछे के सुबूत हलफनामे के साथ अदालत में दे गए थे।
अतीक के वकील रहे विजय मिश्रा भी गिरफ्तार
अतीक के वकील रहे विजय मिश्रा को एसटीएफ ने गिरफ्तार करके जेल भेज देने के बाद मामले की सुनवाई लगातार टल रही है। यह याचिका कई बार सूचीबद्ध हो चुकी है। इसी हफ्ते दोनों की याचिकाएं लगातार दो दिन सूचीबद्ध हुईं, लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी। शुरुआती सुनवाई में अतीक के दोनों बेटों की जान को खतरा बताने की आशंका के पीछे कोर्ट ने पुख्ता आधार बताते हुए हलफनामा देने का आदेश दिया था। वहीं, राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार संड ने दलील में कहा कि माफिया के बेटों की याचिका काल्पनिक भय पर आधारित है। इस पर कोर्ट ने कहा कि काल्पनिक आधार पर राज्य सरकार को सुरक्षा का आदेश नहीं दे सकते। फिलहाल, याची को विश्वसनीय सबूत दाखिल करने होंगे।
उमेश पाल हत्याकांड से बर्बाद हुआ माफिया परिवार
दरअसल, अतीक अहमद और भाई अशरफ की हत्या 15 अप्रैल को उस वक्त हुई थी, जब वो झांसी एनकाउंटर में मारे गए अपने बेटे असद की कब्र से वापस अस्पताल जांच के लिए जा रहे थे। दोनों को उमेश पाल हत्याकांड की जांच के सिलसिले में अहमदाबाद व बरेली जेल से पूछताछ के लिए लाया गया था। दोनों को रात करीब 10 बजे कॉल्विन हॉस्पिटल के गेट पर तीन शूटरों ने गोलियों से भून दिया था। इसी के बाद डरे अली-उमर ने यह याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की थी।
बेटों को जान का डर
वहीं, नैनी जेल में बंद अली अहमद ने अपनी जेल बदलने की मांग की है। उसने भी अपने हलफनामे में कहा है कि पुलिस सुरक्षा के बावजूद उनके पिता और चाचा की हत्या इसी प्रयागराज में हो चुकी है। यहां उसके तमाम दुश्मन हैं। ऐसे में जेल में भी वह पूरी तरह सुरक्षित महसूस नहीं करते। यहां भी उसे खतरा हो सकता है। लिहाजा, या तो उसकी सुरक्षा बढ़ाई जाए या किसी अन्य जेल में ट्रांसफर कर दिया जाए।