अयोध्या की आबादी चुनौती भी, अवसर भी...दिल्ली-NCR जैसे करना पड़ सकता है विस्तार- मंदिर समिति के चीफ का बयान
यह पूछे जाने पर कि क्या न्यास भगवान श्रीराम से जुड़े देश के अन्य स्थलों के विकास का बीड़ा भी उठा सकता है, इसके जवाब में मिश्रा ने कहा, "उन स्थानों का जीर्णोद्धार ट्रस्ट करे, ऐसा वर्तमान में ट्रस्ट के कार्यक्रम में नहीं है।"
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)
श्रीराम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने कहा है कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर का पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाने के बाद इसके आसपास के क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में 'एकाएक' तेजी आएगी और आने वाले समय में दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की तर्ज पर इस तीर्थ स्थल का भी विस्तार करना पड़ सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव रह चुके मिश्रा ने 'पीटीआई वीडियो' को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के पास बिहार और छत्तीसगढ़ से लेकर नेपाल तक के, मर्यादा पुरुषोत्तम से जुड़े स्थलों के जीर्णोद्धार की मांग लगातार आ रही है लेकिन उसने इसे स्थानीय लोगों पर ही छोड़ देने का फैसला किया है।
मंदिर निर्माण का कार्य पूरा हो जाने और 'रामलला' के दर्शन के वास्ते इसे आम जन के लिए खोल दिए जाने के बाद अयोध्या की आर्थिक गतिविधियों के बारे में पूछे जाने पर मिश्रा ने दावा किया कि इससे निश्चित है कि 'एकाएक अयोध्या और आसपास के क्षेत्रों का आर्थिक स्तर ऊंचा उठेगा'। उन्होंने कहा, "क्योंकि यहां धनराशि आएगी। लोगों को अनेक अवसर मिलेंगे और इन अवसरों के साथ-साथ आगे निवेश भी बढ़ेगा। 16 होटल बनाने के आवेदन आ चुके हैं। वहां पर एक स्मार्ट सिटी की योजना भी बनाई जा रही है।"
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य मिश्रा ने बताया कि अयोध्या में परिवहन व्यवस्था सुगम बनाने के लिए भी एक मास्टर प्लान बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा, "एक दिन ऐसा आ सकता है कि जैसे दिल्ली में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र है, वैसे ही अयोध्या का विस्तार करना पड़े।" उन्होंने इसकी वजह भी विस्तार से बताई और कहा कि वर्तमान अयोध्या 'इतनी बड़ी जनसंख्या' की सही ढंग से देखरेख नहीं कर पाएगी। मिश्रा ने बताया कि अयोध्या की वर्तमान आबादी करीब सवा तीन लाख है और अनुमान है कि जनवरी से यहां पांच लाख अतिरिक्त जनसंख्या का बोझ पड़ सकता है।
उन्होंने कहा, "यह आबादी एक चुनौती भी है और साथ में अवसर भी है। जितने वहां के लोग हैं, वह अन्य लोगों को रहने का अवसर दे सकते हैं। वह अपने भवन इस प्रकार से निर्मित कर सकते हैं कि उसमें एक-दो अतिरिक्त कमरे हों। ताकि कम बजट पर आने वाले लोग रह सकें। यह सही है कि इस क्षेत्र को बढ़ाना होगा।" उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य सरकार को अयोध्या के आस-पास के जनपदों के कुछ हिस्सों को इसमें नियोजित तरीके से शामिल करने की प्रक्रिया पर ध्यान देना होगा। मिश्रा ने कहा कि नियोजित तरीके से विस्तार के लिए राज्य सरकार को यथोचित कदम उठाने पड़ेंगे, जिनमें अयोध्या के आस-पास के जनपदों को अधिसूचित करना तथा अनियोजित निर्माण कार्यों पर रोक लगाना शामिल है।
यह पूछे जाने पर कि क्या न्यास भगवान श्रीराम से जुड़े देश के अन्य स्थलों के विकास का बीड़ा भी उठा सकता है, इसके जवाब में मिश्रा ने कहा, "उन स्थानों का जीर्णोद्धार ट्रस्ट करे, ऐसा वर्तमान में ट्रस्ट के कार्यक्रम में नहीं है।" उन्होंने कहा कि यह सही है कि बिहार के बक्सर और छत्तीसगढ़ के बस्तर से लेकर नेपाल तक से इस प्रकार की मांग आई है। उन्होंने कहा, "लेकिन न्यास ने उचित समझा कि उसे इस प्रकार से विस्तार के कार्यक्रमों को अपने हाथ में नहीं लेना चाहिए बल्कि इसे स्थानीय लोगों पर ही छोड़ देना चाहिए।" मिश्रा ने कहा कि भगवान राम जहां-जहां गए, उससे जुड़े स्थलों की स्मृतियों को संजोकर रखने का काम न्यास एक संग्रहालय में करेगा।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के एक संग्रहालय को इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए विकसित किया जा रहा है। श्रीराम मंदिर निर्माण कार्य के दौरान हुए जमीन विवाद को भी उन्होंने खारिज कर दिया और दावा किया कि यह अब कोई विवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में नजूल जमीनों के कारण न्यास को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। नजूल भूमि वह भूमि कहलाती है जिसपर किसी का भी मालिकाना अधिकार नहीं होता है।
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