इन छुट्टियों में देखें उत्तर प्रदेश के इन छिपे हुए इतिहास के खजानों को, अपने शायद ही सुने होंगे इनके नाम
Best Places to Visit in Lucknow: उत्तर प्रदेश कई ऐतहासिक स्थलों को समेटा हुआ है। यहां कई ऐसे इतिहास के खजाने हैं जिन्हें बहुत कम लोग ही जानते हैं। इन छिपे हुए पर्यटन स्थलों की कहानी इनकी विरासत की महत्ता को दर्शाती है। चाहे वो पारीछा हो या हस्तिनापुर। अगर आप नए साल पर कुछ ऐतहासिक जगहों पर जाने का प्लान कर रहे हैं तो ये यूपी के इतिहास के खजाने आपके लिए बेस्ट साबित हो सकते हैं।
यूपी में घूमने के लिए बेस्ट टूरिस्ट प्लेस
- यूपी के मेरठ में जिले में स्थित है महाभारत काल का हस्तिनापुर
- बुंदेलों और मराठों के युद्ध का साक्षी है बरुआ सागर
- झांसी के पास का पारीछा है पर्यटकों के बीच लोकप्रिय
हस्तिनापुर में है महाभारत के पात्रों के मंदिरहस्तिनापुर मेरठ जिले में स्थित है। यह महाभारत काल के प्रतापी वैभव और संघर्षों का मूक साक्षी रहा है। यह जैन भक्तों के लिए भी एक पवित्र तीर्थ स्थल है। जैन धर्म के लोगों का मानना है कि तीन जैन तीर्थंकरों का जन्म यहीं हुआ था। पांडवों और द्रौपदी जैसे कई महाभारत पात्रों को समर्पित मंदिर हस्तिनापुर के ऐतिहासिक महत्व को बताते हैं।
कालिंजर किला है ऐतहासिक धरोहरकालिंजर का किला झाँसी से लगभग 280 किमी दूर, बांदा के करीब स्थित है। इस किले के शहर का मध्ययुगीन काल में काफी महत्व था। 700 फीट की ऊंचाई पर स्थित कालिंजर किला एक ऐतिहासिक विरासत की महत्ता को दर्शाता है। सुरम्य विंध्य पर्वतमाला इसे एक आकर्षण का केंद्र बना देती हैं, जो लंबे समय तक आपकी यादों में बनी रहेंगी। यहां के नीलकंठ मंदिर की कहानी भी प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने समुद्र मंथन से निकले विष का सेवन करने के बाद कुछ समय के लिए यहां पर विश्राम किया था।
आल्हा-उदल की वीर गाथाओं का गवाह महोबामहोबा एक छोटा सा शहर है। यह अपनी असंख्य झीलों और पहाड़ियों और घाटियों पर स्थित मंदिरों के लिए जाना जाता है। चंदेल राजाओं द्वारा निर्मित अभेद्य पहाड़ी किला और मानव निर्मित झीलें प्राचीन समय की कला का नमूना हैं। बुंदेल योद्धाओं की वीरता के किस्सों में सुने जाने वाले आल्हा-उदल का उद्भव महोबा में ही हुआ था। महोबा के राहिला स्थित सूर्य मंदिर 9वीं शताब्दी की एक अद्वितीय ग्रेनाइट संरचना को दर्शाती है।
ये है विशेषता झांसी के बरुआ सागर कीबरुआ सागर में एक पहाड़ी के ऊपर ऐतिहासिक किला है। यहां पर मराठाओं ने 1744 में बुंदेलों से लड़ाई लड़ी थी। बरुआ सागर झांसी के पास बेतवा नदी के तट पर स्थित है। इसका नाम ओरछा के राजा उदय सिंह द्वारा लगभग 260 साल पहले बनाई गई एक बड़ी झील बरुआ सागर ताल के नाम पर रखा गया है।
रामायण के इन पात्रों की कहानी से जुड़ा शहर है पारीछापारीछा शहर झांसी से 25 किमी दूर कालपी के रास्ते झांसी-कानपुर राजमार्ग पर स्थित है। यह हिंदू तीर्थयात्रा का एक प्रमुख केंद्र है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार यह भगवान राम के पुत्रों लव और कुश का जन्म स्थान है। वाल्मीकि आश्रम, ब्रह्मावर्त घाट, पत्थर घाट, ध्रुव टीला, लव कुश मंदिर, नाना साहेब स्मारक और सिद्धिधाम आश्रम इस शांत शहर में घूमने लायक स्थान हैं।
ऐतहासिक होने के साथ खान-पान के लिए फेमस है कालपीकालपी जालौन जिले में यमुना नदी के तट पर स्थित एक छोटा सा शहर है। यहां कई प्रकार के किलों का प्रभावशाली खंडहर है। यहां पर कई दार्शनिक मंदिर भी हैं। खास बात यह है कि यहां पर कई प्राचीन मकबरे भी देखने योग्य हैं। कालपी में पातालेश्वर मंदिर और वेदव्यास मंदिर है। यह शहर कई तरह की मिठाइयों और खान-पान के लिए भी मशहूर है।
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