Lucknow: नवाबों का शहर बन जाएग Manufacturing Hub, इतने करोड़ रुपए की गई है Investment, जाने क्या है CM Yogi का मास्टर प्लान

Manufacturing Hub: हाल के वर्षों में गुजरात और दक्षिण भारत को छोड़ दें तो उत्तर प्रदेश में किसी दिग्गज आटो कंपनी (Auto Company) का यह पहला और बड़ा निवेश होगा। इसके पहले पश्चिम बंगाल (West Bengal) के कोलकाता में अंबेसडर और हरियाणा (Haryana) के मानेसर में मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) ने इस सेक्टर में बड़ा निवेश किया था।

Lucknow: नवाबों का शहर बन जाएग Manufacturing Hub, इतने करोड़ रुपए की गई है Investment, जाने क्या है CM Yogi का मास्टर प्लान

Lucknow: नवाबों का शहर बन जाएग Manufacturing Hub, इतने करोड़ रुपए की गई है Investment, जाने क्या है CM Yogi का मास्टर प्लान?

तस्वीर साभार : IANS

Manufacturing Hub: उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था (One Trillion Dollar Economy) बनाने के लिए लागातार प्रयास हो रहे हैं। उसी दिशा में हिंदुजा समूह (Hinduja Group) के स्वामित्व वाली लीलैंड कंपनी (Leyland Company) से एक ,1500 करोड़ रुपए का मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिन ( Memorandum of understanding) हुआ। कंपनी की ओर से दावा किया गया है कि इसे 18 महीने में धरातल पर उतार देंगे। अगर ऐसा हुआ तो जानकार बताते हैं कि नवाबों का शहर इलेक्ट्रिक गाड़ी का मैन्युफैक्चरिंग हब (Manufacturing Hub) बन सकता है।

जानकर बताते हैं कि अगर लखनऊ में हिंदुजा का यह प्लांट लगा तो भविष्य में नवाबों का यह शहर डेट्रायट की तरह मोटर सिटी (Motor City) के रूप में भी जाना जाएगा। यही नहीं हाल के वर्षों में गुजरात और दक्षिण भारत को छोड़ दें तो उत्तर प्रदेश में किसी दिग्गज आटो कंपनी (Auto Company) का यह पहला और बड़ा निवेश होगा। इसके पहले पश्चिम बंगाल (West Bengal) के कोलकाता में अंबेसडर और हरियाणा (Haryana) के मानेसर में मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki) ने इस सेक्टर में बड़ा निवेश किया था। फिलहाल कंपनी और सरकार का संबंधित विभाग इसके लिए जमीन तलाश रहे हैं। अधिक संभावना यह है कि प्रस्तावित इकाई लखनऊ के बंद पड़ी स्कूटर्स इंडिया की खाली जमीन पर ही लगेगी। हालांकि प्रयागराज में भी जमीन देखी गई है।

एमओयू के तहत अशोक लीलैंड (Ashok Leyland) उत्तर प्रदेश में ई-मोबिलिटी (E-MOBILITY) पर केंद्रित एक एकीकृत वाणिज्यिक वाहन बस संयंत्र स्थापित करेगा, जो राज्य में अशोक लीलैंड का पहला संयंत्र होगा। साझेदारी के तहत, अशोक लीलैंड मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक बसों के उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करेगा, जिसमें वर्तमान में उपलब्ध ईंधन के साथ-साथ उभरते वैकल्पिक ईंधन द्वारा संचालित अन्य वाहनों को भी असेंबल करने की सुविधा होगी।

अशोक लीलैंड के चेयरमैन धीरज हिंदुजा ने कहा कि उत्तर प्रदेश की यह नवीन इकाई आगामी 18 माह में प्रारंभ हो जाएगी। चरणबद्ध रूप से यहां ई-मोबिलिटी के विभिन्न आयामों पर कार्य किया जाएगा। उन्होंने बताया कि हम आने वाले वर्षों में कंपनी डीजल बसों और वाणिज्यिक वाहनों (Commercial Vehicle) के अपने पूरे बेड़े को इलेक्ट्रिक और अन्य वैकल्पिक ईंधन में बदलने की योजना पर काम कर रहे हैं।

एसआरएम टाटा मोटर्स (SRM Tata Motors) के सेल्स हेड अमित श्रीवास्तव कहते हैं कि कोई भी उद्योग निवेशक के लिए तो लाभप्रद होता ही है इसमें बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार भी मिलता है। मुख्य इकाई के साथ कल पुर्जे बनाने वाली स्थानीय इकाइयों और तैयार वाहनों के ले जाने के लिए ट्रांसपोर्टेशन (Transportation) के भी क्षेत्र में। हिंदुजा की इकाई लगने से ये सारे लाभ उत्तर प्रदेश खासकर जहां यह इकाई लगेगी वहां के लोगों को होंगे। प्रस्तावित इकाई में कमर्शियल इलेट्रिकल वाहनें ही बनेंगे। भविष्य में प्रदूषण के मद्देनजर सरकारो का पूरा फोकस ऐसी ही वाहनों पर है। क्योंकि सरकार भविष्य में ऐसे ही वाहनों के संचलन के पक्ष में है। इस इकाई से स्थानीय जरूरत के बाद अन्य प्रदेशों एव देशों में भी इनका निर्यात हो सकेगा।

आटो क्षेत्र के विशेषज्ञ बताते हैं कि किसी जमाने में फोर्ड और मोटर कार एक दूसरे के पर्याय थे। हेनरी फोर्ड नामक एक अमेरिकी उद्यमी ने वहां के डेट्रायट शहर में वाहन बनाने की एक इकाई लगाई। दूसरे विश्व युद्ध के बाद यह शहर न सिर्फ मोटर कारों का बल्कि अन्य कामर्शियल वाहनों के उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन गया। बड़ी संख्या में मुख्य इकाइयों और अनुषांगिक इकाइयों में निवेश हुए। बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार भी मिला।

आटो इंडस्ट्री के जरिए यही प्रयास हिंदुजा समूह से मिलकर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार भी करने जा रही है। पिछले दिनों इसी बाबत मुख्यमंत्री की मौजूदगी में धीरज हिंदुजा समूह के स्वामित्व वाली लीलैंड कंपनी से एक ,1500 करोड़ रुपए का मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिन (एमो) हुआ। यह एमओयू इलेक्ट्रिकल कमर्शियल वाहनों के लिए किया गया। प्रदेश सरकार ने इलेक्ट्रिकल कमर्शियल वाहनों के उत्पादन के लिए पहली बार किसी औद्योगिक घराने से ऐसा (एमओयू) किया है।

ज्ञात हो कि वैश्विक महामारी कोरोना के कहर के बाद से सर्वाधिक तेजी से उभरे सेक्टर्स में ऑटो इंडस्ट्री ही है। आंकड़ों के मुताबिक जीडीपी की वृद्धि में ऑटोमोबाइल उद्योग का बहुत बड़ा योगदान होता है। देश की कुल जीडीपी में इस सेक्टर का योगदान करीब 21 फीसद है। करीब दो करोड़ लोगों को इस सेक्टर में रोजगार मिला हुआ है। सेक्टर के प्रगति की दर यही रही तो ,2030 तक इस क्षेत्र में करीब पांच करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा। तब इसमें उत्तर प्रदेश का भी एक बड़ा योगदान होगा।

एक नजर में देश की ऑटो इंडस्ट्री पर

जानकारों की माने तो भारत इस समय दुनियां में ट्रैक्टर उत्पाद में नंबर एक, बस उत्पादन में नंबर दो और भारी ट्रक उत्पादन करने में तीसरे नंबर पर है। वहीं, अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले कुछ वर्षों में भारत ई-कारें उत्पादित करने के मामले में तीसरे नंबर पर होगा। इन कारों की बिक्री बढ़ने का बड़ा कारण इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में वृद्धि के साथ घटती कीमतें होंगी। यह इस सेक्टर में क्रांति जैसी होगी। और इस क्रांति में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल और दूरदर्शिता से उत्तर प्रदेश एक अहम किरदार होगा।

(आईएएनएस इनपुट के साथ)

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