हाथ जोड़ गिड़गिड़ाते रहे पूर्व BJP सांसद, PGI में नहीं मिला इलाज तो बेटे की तड़प कर मौत
बांदा से भाजपा के पूर्व सांसद भैरो प्रसाद मिश्रा के बेटे की लखनऊ स्थित पीजीआई में इलाज न मिल पाने से तड़प-तड़प कर मौत हो गई। जबकि, प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने इलाज की पैरवी की थी, फिर भी डॉक्टरों ने मरीज को हाथ तक नहीं लगाया। मामले में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी पर निशाना साधा है।

पीजीआई में पूर्व सांसद के बेटे की मौत
लखनऊ: राजधानी स्थित पीजीआई में पूर्व भाजपा सांसद के बेटे की इलाज न मिल पाने से मौत हो गई। इसी 28 अक्टूबर की रात इमरजेंसी पहुंचे पूर्व सांसद ने आरोप लगाते हुए कहा है कि किसी डॉक्टर ने उनके बेटे को देखने की जहमत नहीं उठाई। वो डेढ़ घंटे तक डॉक्टरों के सामने गिड़गिड़ाते भी रहे। वहीं, बेटे की मौत के पूर्व सांसद भैरो प्रसाद मिश्रा समर्थकों के साथ इमरजेंसी में ही धरने पर बैठ गए। 29 अक्टूबर को सुबह चार बजे जब पीजीआई के डायरेक्टर और सीएमएस धीराज मौके पर पहुंचे और कार्रवाई का आश्वासन दिया, तब जाकर धरना खत्म हुआ। इसी बीच प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने प्रथम दृष्टया जांच में दोषी पाए गए डॉक्टर को संस्थान से कार्यमुक्त कर दिया है। अब इस पूरे मामले को लेकर राजनीति भी शुरू हो गई है।
अखिलेश यादव ने BJP पर साधा निशाना
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव इस मुद्दे पर भाजपा और योगी सरकार पर जमकर निशाना साध रहे हैं। अपने 'एक्स' अकाउंट पर उन्होंने लिखा है- 'बात किसी विशेष व्यक्ति को इलाज न मिल पाने की वजह से दम तोड़ देने की नहीं है, हर एक सामान्य नागरिक के जीवन के मूल्य की भी है। जब प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा के पूर्व सांसद के पुत्र तक को इलाज नहीं मिल पाया तो आम जनता के बारे में क्या कहना। आशा है दूसरे राज्यों में चुनाव प्रचार से लौटने के बाद उप्र के भाजपाई मंत्रीगण इसका संज्ञान लेंगे, क्योंकि अभी तो उनके लिए चुनाव किसी के जीवन से अधिक महत्वपूर्ण है।'
पीजीआई की इमरजेंसी में नहीं मिला इलाज
चित्रकूट निवासी भैरों प्रसाद मिश्रा बांदा संसदीय क्षेत्र से साल 2014 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। उनका बेटा प्रकाश लंबे समय से गुर्दे की बीमारी से जूझ रहा था। प्रकाश का इलाज पीजीआई से ही चल रहा था। लेकिन, हालत बिगड़ने पर शनिवार रात करीब 11 बजे वह बेटे को लेकर पीजीआई की इमरजेंसी में पहुंचे। आरोप है कि वहां तैनात डॉक्टरों ने बेड खाली नहीं होने की बात कहकर भर्ती करने से इनकार कर दिया।
स्ट्रेचर पर पड़े-पड़े मौत
इमरजेंसी में इलाज नहीं मिलने से प्रकाश की सांसें उखड़ने लगीं। बेटे की तबीयत बिगड़ती देख पूर्व सांसद डॉक्टरों के आगे काफी देर तक गिड़गिड़ाते रहे मिन्नतें करते रहे। उन्होंने हाथ भी जोड़े, लेकिन डॉक्टरों एक न सुनी। आरोप है की डॉक्टरों ने मरीज को हाथ तक नहीं लगाया। आखिरकार प्रकाश ने स्ट्रेचर पर पड़े-पड़े ही दम तोड़ दिया।
जांच कमेटी गठित
पीजीआई के निदेशक मामले को हाईप्रोफाइल समझ कर गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है। कमेटी में संस्थान के सीएमएस डॉ. संजय धीराज, चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वीके पालीवाल और इमरजेंसी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. आरके सिंह को शामिल हैं। कमेटी विभिन्न पहलुओं की जांच कर सोमवार को रिपोर्ट सौंपेगी। निदेशक ने रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई करने की बात कही है।
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