यूपी में बाघ की दहशत : हमले से बाइकसवार मजदूर की मौत, दो सालों में 19 लोग हो चुके बाघ का शिकार, कैमरे से तलाश जारी
UP Tiger Attack : उप निदेशक (बफर) सुंदरेश ने बताया है कि बाघ के हमले का ये हादसा खेरी जंगल से 20 मीटर दूर स्थित कतर्नियाघाट जंगल में हुआ है। आकाश दिवाकर ईख काटने गया था तभी किसी जानवर ने हमला कर दिया।
यूपी में बाघ ने मजदूर को बनाया शिकार। (सांकेतिक चित्र)
UP Tiger Attack : उत्तर प्रदेश के दुधवा टाइगर रिजर्व में बाघ के हमले की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। हाल ही में लखीमपुर खीरी के पास तिकुनिया क्षेत्र में बाघ के हमले से 18 वर्षीय मजदूर की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि अप्रैल महीने में अब तक बाघ के हमले से हुई ये चौथी मौत है। मझरा वन क्षेत्र के आसपास के गांवों में विगत दो वर्षों के अंदर अब तक 19 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। स्थानीय नागरिकों ने ये भी बताया है कि इन घटनाओं से बच्चों में इतना भय व्याप्त हो गया है कि उन्होंने बाहर निकलना भी बंद कर दिया है।
मजदूर को बाघ ने बनाया शिकार
उप निदेशक (बफर) सुंदरेश ने बताया है कि बाघ के हमले का ये हादसा खेरी जंगल से 20 मीटर दूर स्थित कतर्नियाघाट जंगल में हुआ है। मझरा वन क्षेत्र का 18 वर्षीय मजदूर आकाश दिवाकर जो कि साहेनखेड़ा गांव का रहने वाला है, जंगल में ईख काटने के लिए गया हुआ था। जिस समय वह बाइक से आगे बढ़ रहा था कि ठीक उसी समय बाघ ने उस पर जानलेवा हमला कर दिया, इससे आकाश के गले में चोट के गहरे निशान भी पड़ गए थे। बताया गया है कि दिवाकर एक क्षेत्रीय ठेकेदार के लिए जंगल की सामग्री इकट्ठा करने का काम करता था। उप निदेशक ने बताया है कि ये जानते हुए कि क्षेत्र में बाघ मौजूद हैं इसके बावजूद ठेकेदारों ने आकाश को जंगल में भेजा, हालांकि जांच की जा रही है।
कैमरे लगाने के बाद भी हो गया हादसा
हादसे के बाद कतर्नियाघाट के डिप्टी डायरेक्टर आकाशदीप वधावन का कहना है कि पिछली कई घटनाओं के बाद उनकी टीम ने क्षेत्र में कैमरे लगाने का काम किया है। इस दौरान उन्हें बाघ के पद्चिह्न मिले जिससे वहां पर एक वयस्क तेंदुए के होने की आहट भी लगी। अब टीम ये जांच करने में जुटी है कि मजदूर पर हमला करने में कौन सा जानवर शामिल था। जैसे ही यह स्पष्ट होता है वैसे ही उस जानवर को पिंजरे में फंसाने की स्वीकृति मिल सकती है।
समय-समय किया जाता है आगाह
अधिकारियों ने बताया है कि ऐसे हादसों से बचने के लिए स्थानीय ग्रामीणों को आगाह किया जाता है। कई बार लापरवाही में लोगों की जान चली जाती है। हालांकि कैमरे में बाघ या तेंदुए की निगरानी की जा रही है। जैसे ही कोई जानवर में आता है वैसे ही विभाग से पिंजरे की डिमांड की जाएगी। ताकि भविष्य में ऐसी किसी घटना से बचा जा सके।
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शाश्वत गुप्ता author
पत्रकारिता जगत में पांच साल पूरे होने जा रहे हैं। वर्ष 2018-20 में जागरण इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट ए...और देखें
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