पिता अपनी बेटी को दहेज में ऐसी चीज देते हैं, आपने सुना भी नहीं होगा; जानकर दंग रह जाएंगे आप

दहेज हालांकि, एक सामाजिक बुराई है। लेकिन एक पिता अपनी बेटी को खुशी-खुशी बहुत कुछ दान में देता है। दहेज की अलग-अलग प्रथाएं देश के हर हिस्से में हैं। लेकिन एक जगह ऐसी भी है, जहां दुल्हन का पिता दहेज के रूप में अपनी बेटी और दामाद को चौराहे और मंदिर दान में देता है। चलिए जानते हैं -

यहां दहेज में देते हैं चौराहा

अपनी बेटी की शादी में पिता दान-दहेज में क्या कुछ नहीं देता। एक पिता अपनी ओर से हर संभव चीज अपनी बेटी को दान-दहेज में देता है। इसके अलावा समाजिक कुरीति ऐसी है कि देश के कई इलाकों में वर पक्ष से किसी खास चीज की डिमांड भी दहेज में हो जाती है। कभी यह कार, बंगला आदि के रूप में होती है तो कभी कैश में मोटी रकम के रूप में। लेकिन जिस दहेज की हम बात कर रहे हैं, वैसे दहेज के बारे में आपने आज तक न सुना होगा और न ही देखा होगा। तो चलिए जानते हैं -

मंदिर और चौराहे दहेज में

मंदिर तो कुछ निजी होते भी हैं, लेकिन चौराहे सार्वजनिक संपत्ति होते हैं। ऐसे में कोई इन्हें कैसे दहेज में दे सकता है। लेकिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ऐसा होता है। यहां पिता दहेज में अपनी बेटी और दामाद को मंदिर और चौराहे ही नहीं, बल्कि बड़े पार्क और महिला अस्पताल भी देते हैं। कुछ साल पहले तक तक दहेज में सिनेमा हॉ भी दिया जाता था और यह सबसे अच्छा दहेज माना जाता था। लेकिन अब महिला अस्पताल और भीड़-भाड़ वाले चौराहे अच्छे दहेज की श्रेणी में आते हैं।

धन्नासेठ नहीं पिता, फिर भी...

दहेज में मंदिर, अस्पताल और चौराहे देने की बात जानकर अगर आप ये सोच रहे हैं कि ये अमीरों की बात होगी। पिता बहुत अमीर होगा इसलिए बेटी और दामाद को इतना महंगा दहेज देते होंगे, तो आप गलत हैं। क्योंकि यहां बात भिखारियों की हो रही है। भिखारी पिता अपनी बेटी की शादी भिखारी से ही करना पसंद करते हैं और उन्हें दहेज में भीख मांगने के लिए मंदिर, बड़ा और भीड़भाड़ वाला अस्पताल व चौराहा देते हैं।

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