'गड़े मुर्दे उखाड़ने से देश को क्षति', संभल मस्जिद विवाद पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख का बयान

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने संभल की जामा मस्जिद को लेकर उठे विवाद और कोर्ट द्वारा सर्वे के आदेश पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि इतिहास के तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर सांप्रदायिक तत्व देश में अशांति फैलाने का प्रयास कर रहे हैं।

फाइल फोटो।

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने संभल की जामा मस्जिद के संबंध में पैदा हुए विवाद और कोर्ट द्वारा सर्वे के आदेश पर गहरी चिंता व्यक्त की है। मौलाना मदनी ने कहा कि इतिहास के झूठ और सच को मिलाकर सांप्रदायिक तत्व देश की शांति और व्यवस्था के दुश्मन बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि पुराने गड़े मुर्दे उखाड़ने से देश की धर्मनिरपेक्ष बुनियादें हिल रही हैं। इसके साथ ही ऐतिहासिक संदर्भों को दोबारा वर्णित करने की कोशिशें राष्ट्रीय अखंडता के लिए किसी भी तरह से अनुकूल नहीं हैं।

बाबरी विध्वंस का जिक्र

मौलाना मदनी ने याद दिलाया कि देश ने बाबरी मस्जिद की 'शहादत' सहन की है और उसके प्रभावों से आज भी जूझ रहा है। इसी पृष्ठभूमि में पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 लागू किया गया था ताकि देश मस्जिद-मंदिर विवादों का केंद्र न बनने पाए। सुप्रीम कोर्ट ने भी बाबरी मस्जिद मामले में निर्णय सुनाते हुए इस कानून को अनिवार्य बताया था, लेकिन अदालतें आज इसे नजरअंदाज करके फैसले दे रही हैं।

उन्होंने कहा कि हर गुजरते दिन के साथ कहीं न कहीं मस्जिद का विवाद खड़ा किया जा रहा है और फिर 'सच्चाई जानने' के नाम पर न्यायालयों से सर्वेक्षण की अनुमति ली जाती है। इसके बाद इस सर्वे को मीडिया द्वारा दो समुदायों के बीच दीवार बनाने के लिए का इस्तेमाल किया जाता है। मौलाना मदनी ने कहा कि हम न्यायालय के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन न्यायालयों को फैसला लेते समय यह जरूर देखना चाहिए कि देश और समाज पर इसके क्या प्रभाव पड़ेंगे।

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