झांसी आग कांड के बाद बड़ा एक्शन, लखनऊ के अस्पतालों में नहीं मिले NOC; जान बचाने वाले कर रहे खिलवाड़
Jhansi Fire Incident: उत्तर प्रदेश के झांसी आग कांड में 10 नवजात शिशुओं की मौत के कुछ घंटों बाद लखनऊ के लखनऊ के 80 अस्पतालों को नोटिस दिया गया है। 906 अस्पताल में से सिर्फ 301 अस्पतालों के पास फायर एनओसी मिली है। शेष बचे अस्पतालों में अभी भी जांच कर कार्रवाई करेगा।
Jhansi Fire Incident: झांसी जिले में आग लगने से कम से कम 10 नवजात शिशुओं की मौत के कुछ घंटों बाद राज्य सरकार ने शनिवार को बड़ा एक्शन लिया है। लखनऊ के 80 अस्पतालों को नोटिस दिया गया है। फायर विभाग ने अस्पतालों को नोटिस दिया है। चूंकि, गाइडलाइंस के मुताबिक अस्पतालों में इंतजाम नहीं मिले। कुल 906 अस्पताल में से 301 अस्पतालों के पास ही फायर एनओसी मिली है। अब बचे हुए अस्पतालों में जांच कर एक्शन लिया जाएगा। कार्रवाई के बाद अस्पताल संचालकों में हड़कंप की स्थिति है। इधर, मृतकों के माता-पिता को पांच-पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की। मेडिकल कॉलेज ने बताया है कि घटना के समय 52 से 54 बच्चे भर्ती थे। उनमें से 10 की मौत हो गई, 16 का इलाज जारी है जबकि अन्य के लिए सत्यापन जारी है।
त्रिस्तरीय जांच के आदेश
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा शनिवार को जारी एक बयान में कहा गया है कि राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में हुई इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने घटना की त्रिस्तरीय जांच के आदेश भी दिए हैं। राज्य सरकार ने शनिवार को मृतकों के माता-पिता को पांच-पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की। 10 नवजात शिशुओं की मौत के कुछ घंटों बाद, राज्य सरकार ने शनिवार को मृतकों के माता-पिता को पांच-पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता देने की घोषणा की। उत्तर प्रदेश सरकार के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू में हुई इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया है। उन्होंने घटना की त्रिस्तरीय जांच के आदेश भी दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी बच्चों की मौतों पर शोक व्यक्त किया और प्रत्येक मृतक के परिजनों को दो लाख रुपये की सहायता देने की घोषणा की। बयान में कहा गया है कि घटना में असामयिक मृत्यु का शिकार हुए नवजात शिशुओं के माता-पिता को मुख्यमंत्री के निर्देश पर मुख्यमंत्री राहत कोष से पांच-पांच लाख रुपये और घायलों के परिजनों को 50-50 हजार रुपये की सहायता प्रदान की जा रही है।’’
16 बच्चे हैं घायल
इससे पहले, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक बयान में कहा गया कि शुक्रवार देर रात घटना की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री ने उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक और प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) को मौके पर भेजा। इसमें बताया गया कि मुख्यमंत्री रात भर घटनास्थल से हर पल की जानकारी लेते रहे। बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री ने झांसी के संभागीय आयुक्त और पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) को घटना के संबंध में 12 घंटे के भीतर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। दरअसल, शुक्रवार रात महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में आग लगने से 10 शिशुओं की मौत हो गई। अधिकारियों ने बताया कि इस हादसे में घायल हुए 16 अन्य बच्चे जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) अविनाश कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज की नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में शुक्रवार रात करीब पौने 11 बजे आग लग गई, जो संभवतः शॉर्ट सर्किट के कारण लगी थी।
तीन बच्चों के माता-पिता की नहीं पहचान
झांसी में शनिवार को कड़ी सुरक्षा के बीच सात बच्चों का पोस्टमार्टम हुआ। तीन बच्चों के माता-पिता की पहचान न होने पर उनका पोस्टमार्टम नहीं हो पाया। पुलिस के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। झांसी पुलिस अधीक्षक (एसपी सिटी) ज्ञानेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि शुक्रवार की रात झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के बच्चा वार्ड में अचानक लगी आग की वजह से दम घुटने और झुलसने से 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई थी। मृत बच्चों में से सात के माता-पिता की पहचान हो जाने पर शनिवार को उनके शवों का पोस्टमॉर्टम करवाया गया है। तीन बच्चों के माता-पिता की अभी तक पहचान नहीं हो पाई, इसलिए उनके शव रखे हुए हैं। पहचान होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कही ये बात
उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने शनिवार को कि से कहा कि घटना में 10 नवजात बच्चों की मौत हो गई है। झांसी मेडिकल कॉलेज के अन्य वार्ड में 16 बच्चों का इलाज जारी है। यह घटना बिजली के शॉर्ट सर्किट के कारण हुई और उन्होंने आश्वासन दिया कि दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। ब्रजेश पाठक ने कहा कि झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के नवजात शिशु गहन चिकित्सा कक्ष (एसएनसीयू वार्ड) में अग्निकांड की हुई दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना की त्रिस्तरीय जांच के निर्देश दिए गए हैं। प्रथम दृष्टया आयुक्त झांसी एवं उप महानिरीक्षक झांसी द्वारा 24 घंटे में जांच कर रिपोर्ट प्रेषित करने के निर्देश जारी किए हैं। अग्निशमन विभाग द्वारा भी जांच की जाएगी। साथ ही घटना की मजिस्ट्रेट जांच के निर्देश भी दिए गए हैं। पाठक ने कहा कि प्रदेश सरकार ने मामले को गंभीरता से लिया है। घटना के कारणों की पड़ताल की जा रही है। घटना के कई चरणों में जांच के निर्देश दिये गये हैं। घटना की पहली जांच शासन स्तर से स्वास्थ्य महकमा, दूसरी जांच जिला पुलिस और फायर विभाग करेगा। इसके अलावा तीसरी मजिस्ट्रेट स्तर की जांच होगी। घटना के कारण का पता लगाया जाएगा। यदि किसी स्तर पर लापरवाही पाई गई तो कड़ी कार्रवाई करेंगे।
समिति तीन बिंदुओं पर करेगी जांच
उत्तर प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने इस घटना के संबंध में शनिवार को चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग के महानिदेशक की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय जांच समिति गठित करने की अधिसूचना जारी की। अधिसूचना के अनुसार झांसी मेडिकल कॉलेज में आग लगने की घटना की जांच के लिए गठित समिति तीन बिंदुओं पर जांच करेगी। इसके तहत आग लगने का प्राथमिक कारण, किसी भी प्रकार की लापरवाही या दोष की पहचान और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं के बचाव हेतु सिफारिशें देने का दायित्व समिति को सौंपा गया है।
चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण विभाग के महानिदेशक की अध्यक्षता में निदेशक (स्वास्थ्य) चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं, अपर निदेशक, विद्युत चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं और महानिदेशक अग्निशमन द्वारा नामित अधिकारियों को समिति में शामिल किया गया है। प्रमुख सचिव ने जांच समिति से अपेक्षा की है कि वह अपनी जांच आख्या एक सप्ताह के अंदर शासन को उपलब्ध कराए। झांसी में पाठक ने कहा कि हम बच्चों के साथ उनके परिजनों की भी पहचान कर रहे हैं। मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए गए हैं। घटना कैसे हुई, इसके क्या कारण थे और किसकी ओर से लापरवाही हुई, इसका पता लगाया जाएगा। सबसे पहली चुनौती घायल बच्चों को गुणवत्तापूर्ण उपचार देना है। उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने उन आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की, जिसमें कहा गया था कि झांसी मेडिकल कॉलेज में कुछ अग्निशामक यंत्रों की समय-सीमा समाप्त हो गई थी, जैसा कि कुछ समाचार चैनलों ने बताया है। मेडिकल कॉलेज में सभी फायर फाइटिंग इक्विपमेंट (अग्निशमन उपकरण) सही स्थिति में हैं।
मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने दी स फाई
इस बीच, झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. नरेंद्र सिंह सेंगर ने मेडिकल कॉलेज में अग्निशामक यंत्रों के खराब होने के आरोपों को "निराधार" बताया। पाठक ने एक बयान में कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार बच्चों और उनके परिवारों के साथ खड़ी है। हमारे कर्मचारियों, डॉक्टरों और बचाव दल ने बच्चों को बचाने के लिए बहादुरी से काम किया है। बच्चों की प्राथमिकता के आधार पर देखभाल की जा रही है। मेडिकल कॉलेज में सभी अग्निशमन उपकरण पूरी तरह से ठीक थे। फरवरी में यहां अग्नि सुरक्षा ऑडिट किया गया था और जून में एक मॉक ड्रिल भी आयोजित की गई थी।
महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज, झांसी के प्राचार्य डॉ. नरेंद्र सेंगर ने कहा, ‘‘एनआईसीयू वार्ड में शॉर्ट सर्किट के कारण दुखद घटना हुई। यहां एनआईसीयू वार्ड में 25 बच्चों का उपचार किया जा रहा है, 16 बच्चे मेडिकल कॉलेज में उपचार करा रहे हैं, जो किसी तरह से झुलसने या दम घुटने से पीड़ित नहीं हैं, बल्कि उन्हें जो बीमारियां हैं, उनका उपचार हो रहा है। एक बच्चे का जिला अस्पताल में उपचार हो रहा है, सात बच्चों का अन्य अस्पतालों में उपचार हो रहा है। एक बच्चे को छुट्टी दे दी गई है।
उन्होंने कहा कि अस्पताल में उपचार करा रहे बच्चों को झुलसने या दम घुटने से कोई परेशानी नहीं है, उन्हें समुचित उपचार दिया जा रहा है। झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सेंगर ने कहा, "मेडिकल कॉलेज में कुल 146 अग्निशमन यंत्र लगे हैं। हादसे के समय एनआईसीयू वार्ड के अग्निशमन यंत्र का भी इस्तेमाल किया गया था। इन सभी उपकरणों का समय-समय पर ऑडिट भी किया जाता है। इस दौरान कमियों को दूर किया जाता है।
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