143 साल पहले एक अंग्रेज लेफ्टिनेंट गवर्नर के स्वागत के लिए बना था यह सबसे ऊंचा घंटाघर

आप अपने शहर को कितना जानते हैं? आपकी जानकारी अपने शहर के बारे में जितनी भी हो, हम उसमें इजाफा करेंगे। आपके अपने शहर लखनऊ में एक घंटाघर है, क्या आप जानते हैं कि इसे 1881 में बनवाया गया था। यही नहीं एक लेफ्टिनेंट गवर्नर के स्वागत के लिए इसे बनाया गया था। जानिए इसके बारे में सब कुछ -

1881 में बना था यह घंटाघर

हमारा देश लंबे समय तक गुलाम रहा है। अंग्रेजों ने भारत को लूटकर अपना खजाना खूब भरा। इसके साथ ही अंग्रेजों ने भारत को कई चीजें भी दीं, जो आ भी मौजूद हैं। ऐसा ही एक चीज है क्लॉक टावर यानी घंटाघर। अंग्रेजों के समय पर ही देश के अलग-अलग हिस्सों में घंटाघर बनवाए गए। लेकिन आज कहानी देश के सबसे ऊंचे घंटाघर की, जिसे एक अंग्रेज लेफ्टिनेंट गवर्नर के स्वागत के लिए नवाब ने बनवाया था। चलिए जानते हैं इसकी पूरी कहानी -

कहां है यह घंटाघरअब तक तो आप समझ ही गए होंगे कि हम लखनऊ में मौजूद हुसैनाबाद क्लॉक टावर (Hussainabad Clock Tower) यानी घंटाघर की बात कर रहे हैं। इस क्लॉक टावर को साल 1881 में मशहूर रूम दरवाजा के पास बनवाया गया था। यह लखनऊ में गोमती नगर के पास है और यहां पास में ही गुलाब वाटिका भी है। किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज भी यहां से काफी नजदीक है।

किसने और क्यों बनवाया घंटाघरलखनऊ के इस घंटाघर को नवाब नासिर-उद्दीन हैदर (Nawab Nasir-ud-din Haider) ने 1881 में बनवाया था। यह अद्भुत कलाकारी का नमूना है। इस टावर को युनाइटेड प्रोविंस ऑफ अवध के पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर (First Lieutenant Governor of United Province of Avadh) सर जॉर्ज कूपर (Sir George Couper) के आगमन पर उनके स्वागत के लिए बनवाया गया था।

यह टावर अंग्रेजी वास्तुकला का बहुत ही शानदार उदाहरण है। इसमें विक्टोरियन और गॉथिक स्थापत्य कला का इस्तेमाल किया गया है। आज के लखनऊ के बीच में मौजूद यह टावर अपने इतिहास और ऐतिहासिक वास्तुकला को समेटे हुए है। जब कभी भी लखनऊ आना हो तो यहां जरूर जाएं।

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