Lucknow: लखनऊ में अनोखा मामला, 20 रुपए के लिए रेलवे से 21 साल से लड़ रहा यात्री
Indian Railways: राजधानी लखनऊ से हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक रेल यात्री ने 21 साल तक रेलवे से केस लड़ा। जिला उपभोक्ता आयोग ने पांच अगस्त 2022 को यात्री के पक्ष में फैसला सुनाया। इस पर पूर्वोत्तर रेलवे ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की। राज्य उपभोक्ता आयोग ने निचली अदालत के आदेश पर स्टे दिया है।
लखनऊ में 20 रुपए के लिए रेलवे से 21 साल से लड़ रहा यात्री
- मथुरा का यात्री 20 रुपये के लिए 21 साल से लड़ रहा केस
- जिला उपभोक्ता फोरम ने यात्री के हक में दिया फैसला
- हर्जाना देने के आदेश, पूर्वोत्तर रेलवे ने आदेश को दी चुनौती
Northeast Railway: पूर्वोत्तर रेलवे एक यात्री से 20 रुपये के लिए 21 वर्ष से कानूनी जंग लड़ रहा है। इस कानूनी जंग में जिला उपभोक्ता फोरम ने यात्री के पक्ष में फैसला सुनाया है। जिला उपभोक्ता आयोग ने पूर्वोत्तर रेलवे को 20 रुपये पर 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से हर्जाना और मानसिक पीड़ा के लिए 15 हजार रुपये यात्री को भुगतान करने का आदेश दिया है। जिला उपभोक्ता आयोग के आदेश के खिलाफ पूर्वोत्तर रेलवे ने राज्य उपभोक्ता फोरम से स्थगन आदेश ले लिया है। आपको बता दें कि मामला साल 2001 में 25 दिसंबर का है। मथुरा के रहने वाले अधिवक्ता तुंगनाथ चतुर्वेदी को साथी के संग ट्रेन से मुरादाबाद जाना था। तुंगनाथ चतुर्वेदी ने पूर्वोत्तर रेलवे के बुकिंग क्लर्क से दो टिकट लिए।
प्रति टिकट की कीमत 35 रुपये थी। अधिवक्ता तुंगनाथ चतुर्वेदी ने बुकिंग क्लर्क को सौ रुपये दिए थे। रेलकर्मी ने 70 रुपये काटने की जगह 90 रुपये काट लिए। अतिरिक्त वसूले गए बीस रुपये लौटाए नहीं। इस पर रेलयात्री ने जिला उपभोक्ता आयोग मथुरा में पूर्वोत्तर रेलवे और बुकिंग क्लर्क के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया।
15 हजार रुपये यात्री को भुगतान करने के आदेशइसके बाद यह मामला 21 वर्ष तक चला। आयोग ने गत पांच अगस्त 2022 को रेल यात्री के हक में फैसला सुनाया था। आयोग ने पूर्वोत्तर रेलवे को एक महीने के अंदर यात्री को 20 रुपये पर 12 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से जुर्माना और मानसिक पीड़ा के लिए 15 हजार रुपये यात्री को भुगतान करने के आदेश दिए।
पूर्वोत्तर रेलवे ने इस आदेश के खिलाफ 29 नवंबर 2022 को राज्य उपभोक्ता आयोग लखनऊ में अपील दायर की। अपील पर मामले में रेलवे को स्टे ऑर्डर मिल गया है। प्रतिवादी को भी नोटिस जारी कर दिया गया है। पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह के अनुसार ऐसे मामलों के लिए रेलवे का क्लेम ट्रिब्यूनल है। यहां आवेदन कर यात्री किराए की वापसी नियम के अनुसार ले सकता था। लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया। आयोग ने निचली अदालत के आदेश पर स्टे दिया है।
डीएल भेजने में लापरवाही पर 57 लाख जुर्माना लगायावहीं, स्मार्ट कार्ड में ड्राइविंग लाइसेंस प्रिंट से डाक से डिलीवरी के मामले में स्मार्ट चिप कंपनी की लापरवाही सामने आई है। डाक से आवेदक के घर के पते पर एक सप्ताह के कार्य दिवस या दस दिन में ड्राइविंग लाइसेंस भेजने की व्यवस्था है। एक साल में पांच लाख से ज्यादा ड्राइविंग लाइसेंस दस-दस दिन की देरी पर भेजने पर कंपनी पर 57 लाख का जुर्माना लगा है। पहले भी परिवहन आयुक्त रहे धीरज साहू ने कंपनी पर 90 लाख का जुर्माना लगाया था। डीटीसी ने रकम कंपनी को देने वाले भुगतान से कटौती के लिए अपर परिवहन आयुक्त से सिफारिश की है।
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