Lucknow Sher Darwaza: लखनऊ के इस दरवाजे ने देखा ऐसा कत्लेआम कि कांप जाती है रूह
Lucknow Sher Darwaza: राजधानी लखनऊ का नील दरवाजा आजादी के लिए प्राणों का बलिदान देने वाले वीरों की याद दिलाता हैं। कैसरबाग में हुए युद्ध में अंग्रेजी सेना के 722 सिपाही और फौज का नेतृत्व कर रहा जनरल नील भी ढेर हो गया था।
मुख्य बातें
- लखनऊ के नील दरवाजा पर 1857 की क्रांति में हुआ था कत्लेआम
- कैसरबाग युद्ध में मारे गए थे अंग्रेजी सेना के 722 सिपाही
- फौज का नेतृत्व कर रहा जनरल नील भी हुआ था ढेर
Lucknow Sher Darwaza: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ऐसी कई जगह है जो बताती हैं कि किस तरह क्रांतिवीरों ने ब्रिटिश फौजों को मात दी थी और उन्हें हिंदुस्तान छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था। यह वो जगह हैं, जो आजादी के लिए प्राणों का बलिदान देने वाले वीरों की याद दिलाती हैं। राजधानी लखनऊ में ऐसे ही नील दरवाजा है। आइए जानते हैं लखनऊ के उस स्थान के बारे में जहां अंग्रेजी जनरल मारा गया था।लखनऊ के कैसरबाग के स्वास्थ्य भवन चौराहे से राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह जाने वाले रोड पर 100 मीटर आगे बाएं हाथ पर एक फाटक स्थित है, इस फाटक पर शेरों की आकृति बनी है। इसके कारण करीब डेढ़ सौ साल पुराने इस द्वार को शेर दरवाजा नाम से भी जाना जाता है।
क्रांतिकारियों ने ब्लास्ट करके उड़ा दिया था पुल
आपको बता दें कि 1857 की क्रांति का शेर दरवाजा प्रमुख केंद्र रहा है। ब्रिटिश सेना के अधिकारी जनरल नील को इसी द्वार के पीछे क्रांतिकारियों ने मौत के घाट उतार दिया था। इस वजह से इसे नील गेट के नाम से भी जाना जाता है। आलमबाग के खूनी संघर्ष के बाद जनरल हैवलाककी फौज ने लखनऊ में एंट्री की। नाका हिंडोला होते हुए फौज कैसरबाग में पहुंची। इसी बीच क्रांतिकारियों ने आलमबाग और नगर के बीच में बने पुल को ब्लास्ट करके उड़ा दिया था।
कैसरबाग में युद्ध में अंग्रेजी सेना के 722 सिपाही-जनरल नील ढेर
जब पुल ध्वस्त हो गया तो अंग्रेजी सेना की एक टुकड़ी को आलमबाग कोठी के पास ही पड़ाव डालने को मजबूर होना पड़ा। हालांकि दूसरी टुकड़ी कैसरबाग के उत्तरी और पूर्वी क्षेत्र में दाखिल होने में सफल हो गई। इस दौरान जनरल नील के संग जो भी सिपाही कैसरबाग पहुंचे, क्रांतिकारियों ने उन सिपाहियों का भी रास्ता रोक लिया था। अंग्रेजी सेना के शहर में दाखिल होते ही खुर्शीद मंजिल, मोती महल और कैसरबाग में युद्ध शुरू हो गया था। कैसरबाग में हुए युद्ध में अंग्रेजी सेना के 722 सिपाही ढेर कर दिए गए थे, इसके अलावा, शेर दरवाजे के पास ही फौज का नेतृत्व कर रहा जनरल नील भी ढेर हो गया था। उस समय दो दिन तक कैसरबाग में भीषण टकराव हुआ था।
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