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नवभारत का महाकुंभ : भारत के सांस्कृतिक और आर्थिक विकास का विजन प्रस्तुत

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार 28 जनवरी को हुए 'नवभारत का महाकुंभ' में भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण, विकास एजेंडा और समान विकास के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। राजनीति, व्यापार और आध्यात्मिकता से जुड़े नेताओं ने गहन चर्चाओं में भाग लिया, जिसमें सांस्कृतिक कूटनीति और आर्थिक विकास मुख्य केंद्र बिंदु रहे।

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अपने पूर्वजों पर गर्व करें - योगी आदित्यनाथ

देश के प्रमुख हिंदी समाचार चैनल, टाइम्स नाउ नवभारत की अगुवाई में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 'नवभारत का महाकुंभ' कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में महाकुंभ के सांस्कृतिक, आर्थिक और आध्यात्मिक महत्व का जश्न मनाया गया, जो भारत की पहचान और प्रगति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है।

नवभारत के इस महाकुंभ में हमारे साथ कई जानी-मानी हस्तियां जुड़ीं, जिन्होंने सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और आर्थिक विषयों के अलावा महाकुंभ के कई पहलुओं पर चर्चा की। हमने इस महाकुंभ की शुरुआत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की। उनके अलावा उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, उत्तर प्रदेश के पर्यटन और संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह, समाजवादी पार्टी के नेता अनुराग भदौरिया, राजनीतिक विश्लेषक सौरव मालवीय और आध्यामिक गुरु धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री आदि ने महाकुंभ के सांस्कृतिक, आर्थिक और आध्यात्मिक आयामों का प्रकाश डाला।

'नवभारत का महाकुंभ' के मंच पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'विकासशील देश के रूप में भारत की प्रगति और विकास, उसकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर से गहरे रूप से जुड़े हुए हैं। संभल, जो कभी बिजली चोरियों की समस्या से जूझ रहा था, अब सच्चाइयों को उजागर करने का एक माध्यम बन गया है। संभल जैसे स्थान सनातन धर्म की धरोहर का प्रतीक हैं और ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व से भरे हुए हैं। हमारी सरकार न केवल मंदिरों के रूप में, बल्कि भारत के समृद्ध और विविध इतिहास के प्रतीक के रूप में भी ऐसे पवित्र स्थलों को फिर से जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारी नीतियां सनातन धर्म के सिद्धांतों से प्रेरित हैं, ताकि विकास समावेशी और स्थिर हो सके।'

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