Lucknow: अब रिंग रोड और बाइपास के किनारे अवैध कब्जा किया तो होगी कार्रवाई, सैटेलाइट तस्वीरों से कसेगा शिकंजा

Satellite Image: उत्तर प्रदेश में अब रिंग रोड और बाइपास के किनारे पर अवैध कब्जा करने पर कार्रवाई की जाएगी। विकास प्राधिकरणों को निर्माणाधीन रिंगरोड और बाईपास के 500 मीटर दायरे की सैटेलाइट तस्वीरें लेने के निर्देश जारी किए गए हैं। इसके तहत दोनों ओर होने वाले निर्माण अवैध माने जाएंगे। अवैध निर्माण होगा तो जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी।

रिंग रोड और बाईपास पर अवैध कब्जा करने वालों पर होगी कार्रवाई

मुख्य बातें
  • रिंग रोड और बाइपास के किनारे अवैध कब्जा करने वालों पर होगी कार्रवाई
  • अवैध निर्माण हुआ तो जिम्मेदार अफसरों और कर्मचारियों पर भी कार्रवाई
  • रिंगरोड और बाईपास के 500 मीटर दायरे की सैटेलाइट तस्वीरें लेने के निर्देश


Outer Ring Road: लखनऊ समेत पूरे उत्तर प्रदेश में नए बन रहे रिंग रोड और बाईपास के 500 मीटर दायरे में होने वाले अवैध निर्माणों पर शिकंजा कसा जाएगा। सैटेलाइट तस्वीरों के जरिए शिकंजा कसा जाएगा। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), लोक निर्माण विभाग और उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) को पांच-पांच सौ मीटर के दायरे की सैटेलाइट से तस्वीरें लेने के निर्देश दिए हैं। इन विभागों से मिलने वाली तस्वीरों की संबंधित प्राधिकरणों के स्तर पर स्थलीय जांच भी की जाएगी, इससे आउटर रिंग रोड और बाईपास के करीब होने वाले अवैध निर्माण रुकेंगे।

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उत्तर प्रदेश में कई शहरों में आउटर रिंग रोड और बाईपास का निर्माण हो रहा है। जैसे ही नए आउटर रिंग रोड या बाईपास का निर्माण होना शुरू होता है, उसके आसपास अवैध निर्माण भी शुरू हो जाते हैं। ऐसे में इस बार शासन ने पहले से अंकुश लगाने की तैयारी कर ली है।

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500 मीटर परिधि की सैटेलाइट तस्वीर लेने का निर्देश प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण ने इस संबंध में 23 जनवरी को आदेश जारी कर प्रदेश के सभी विकास प्राधिकरण उपाध्यक्षों, अध्यक्षों, आवास आयुक्त को लोक निर्माण विभाग, एनएचएआई और यूपीडा की तरफ से जहां-जहां भी आउटर रिंग रोड या बाइपास बनाए जा रहे हैं, उसके एलाइनमेंट के दोनों ओर 500-500 मीटर की परिधि की सैटेलाइट तस्वीर लेने का निर्देश दिए है। संबंधित विकास प्राधिकरण को यह इमेज भेजी जाएंगी। इसके आधार पर प्राधिकरण अफसर मौके का निरीक्षण कर रिपोर्ट बनाएंगे। इस तस्वीर और रिपोर्ट से यह जानकारी होगी कि कौन सा निर्माण यहां पहले से है, और कौन बाद में हुआ है। इनकी पूरी रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसी के आधार पर भविष्य में होने वाले निर्माण अवैध होंगे।

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