Sambhal: नेजा मेला को प्रशासन से नहीं मिली अनुमति, फैसले पर गरमाई सियासत, चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती
Sambhal: यूपी के संभल जिले में नेजा मेला पर प्रशासन द्वारा अनुमति न मिलने पर सियासत गर्म हो गई है। नेजा मेला को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। स्थिति को काबू में रखने के लिए पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है।

संभल में नेजा मेला को प्रशासन से नहीं मिली अनुमति
Sambhal: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में नेजा मेला को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। मंगलवार को जब मेले के आयोजन के लिए ढाल गाड़े जाने की तैयारी थी, उस दौरान पुलिस ने उस स्थान को सीमेंट से ढक दिया और पूरे इलाके में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी। हालांकि अभी संभल में स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है और पुलिस लगातार फ्लैग मार्च कर रही है ताकि शांति बनाए रखी जा सके। प्रशासन की ओर से इस आयोजन को रोकने की पुष्टि की गई है, जिसके बाद राजनीतिक और सामाजिक इलाकों में इसका विरोध भी उठने लगा है। स्थानीय प्रशासन ने ऐतिहासिक और धार्मिक कारणों से इस मेले की अनुमति न देने का निर्णय लिया है, जिसे लेकर विभिन्न समुदायों की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं।
नेजा मेले को प्रशासन ने नहीं दी अनुमति
अपर पुलिस अधीक्षक श्रीश्चंद्र ने नेजा मेला आयोजन के संदर्भ में कहा कि यह परंपरा गलत थी और इसके साथ आगे बढ़ने से विकास नहीं हो सकता है। उन्होंने बताया कि प्रशासन ने इस मेला को अनुमति नहीं दी है, क्योंकि दूसरे वर्ग ने भी आपत्ति प्रकट की थी। उन्होंने यह भी कहा कि ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार, यह मेला सलार गाजी के नाम पर मनाया जा रहा है, जो महमूद गजनवी का भांजा था और लूटमार व हत्याओं के उद्देश्य से भारत आया था।
उनके अनुसार, सलार गाजी की याद में इस तरह का आयोजन और झंडा गाड़ना उचित नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यहां पूरी तरह से शांति है और लोग कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन कोई गैर जरूरी काम की अनुमति नहीं दी जाएगी। सोशल मीडिया पर पैनी निगाह रखी जा रही है और अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
स्थानीय लोगों ने इसे बताया सरकारी मामला
संभल के निवासी मतीन ने नेजा मेला के आयोजन को लेकर कहा कि यह एक सरकारी मामला है और इस पर उनका कोई विशेष बयान नहीं है। उन्होंने सोमनाथ मंदिर को तोड़ने के बारे में कहा कि इस बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं है। वहीं, शहजाद आलम ने प्रशासन और मेला कमेटी से जानकारी ली है कि यह मेला क्यों नहीं हो रहा, लेकिन उन्होंने इसे लेकर कोई टिप्पणी नहीं की।
उन्होंने बताया कि यह मेला पिछले 45 सालों से आयोजित हो रहा था और सलार गाजी को लेकर प्रशासन की बात उन्हें पहली बार सुनने को मिली है। इस बीच, संजय नामक एक स्थानीय निवासी ने प्रशासन के निर्णय को सराहा और कहा कि यह कदम बहुत पहले लिया जाना चाहिए था, लेकिन किसी कारणवश ऐसा नहीं हो सका। उन्होंने सलार गाजी के बारे में बताते हुए कहा कि वह लुटेरा था और बहराइच और संभल में लूटमार की घटनाओं को अंजाम दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि संभल का लोकल फेस्टिवल ध्वजा होली के अगले दिन मनाया जाता है।
अशोक कुमार ने भी इस फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि सलार गाजी ने पृथ्वीराज के बेटे को धोखा देकर मारा था और मंदिर पर कब्जा कर उसे लूटा था। इस प्रकार के कृत्य को उचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने प्रशासन के इस निर्णय को उचित बताते हुए कहा कि इससे हिंदू समुदाय के पलायन को रोका गया है।
(इनपुट - आईएएनएस)
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