तीन लाख मीट्रिक टन कूड़ा छूमंतर, शहर में उग आया 12 एकड़ का शानदार पार्क

लखनऊ के वसंत कुंज में 12 एकड़ में फैली एक लैंडफिल साइट थी। यहां से कूड़े के सड़ने की बदबू आती रहती थी। लेकिन LDA ने अब यहां बहुत ही खूबसूरत पार्क विकसित किया है और यहां एक लाख पेड़ लगाए गए हैं। अब लोग यहां बड़े शौक से घूमने आ रहे हैं।

राष्ट्रीय प्रेरणा पार्क, लखनऊ

'जहां चाह, वहां राह' ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी। इसका मतलब ये है कि अगर इंसान किसी काम को करने की ठान ले तो फिर कोई भी मुसीबत उसका रास्ता नहीं रोक सकती। सामने भले ही अथाह समंदर हो या कूड़े का पहाड़ ही क्यों न हो। लखनऊ के लोगों ने इस कहावत को सच होते देख लिया है। लखनऊ के वसंत कुंज में IIM रोड पर 12 एकड़ में 3 लाख मीट्रिक टन कूड़े का पहाड़ था। इतनी बड़ी मात्रा में कूड़ा, लखनऊवासियों के लिए शर्म का विषय बन गया था और उन्हें अक्सर चिढ़ाता था। फिर वही हुआ, जिस कहावत के साथ हमने इस खबर को शुरू किया था। यहां 12 एकड़ में 1 लाख अलग-अलग तरह के पेड़ लगाए गए हैं और एक बदसूरत कूड़े के ढेर की जगह पर खूबसूरत हरा-भरा पार्क उग आया है।

पार्क की लागतइस पार्क का नाम राष्ट्रीय प्रेरणा पार्क रखा गया है। जिस तरह से कूड़े के ढेर को खूबसूरत पार्क में बदला गया है, सच में यह प्रेरणा लेने लायक बात तो है। इस पार्क को लखनऊ विकास प्राधिकरण (LDA) ने करीब 3.75 करोड़ में तैयार किया है। आश्चर्यजनक बात यह है कि लखनऊ के लिए शर्म का विषय बन चुके कूड़े के ढेर को पार्क में बदलने का यह प्रोजेक्ट फरवरी 2024 में शुरू हुआ और सिर्फ दो महीने में यानी मार्च के अंत तक पूरा भी हो गया।

वॉक करने आ रहे लोगयहां बिखरा कूड़ा लोगों के लिए चिंता और शर्म का विषय बन गया था। स्थानीय लोग इस संबंध में लगातार शिकायत कर रहे थे। अंग्रेजी दैनिक हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार इस पर संज्ञान लेते हुए LDA ने यहां एक ग्रीन जोन बनाने की मुहिम शुरू की, ताकि स्थानीय लोग यहां पर मॉर्निंग-ईवनिंग वॉक कर सकें और हरियाली के बीच कुछ समय व्यतीत कर सकें। LDA के वाइस-चेयरपर्सन इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि अब यह पार्क ऑपरेशनल है और आसपास के लोग बड़ी संख्या में यहां घूमने आते हैं।

इस पार्क को कूड़े के खत्ते यानी लैंडफिल साइट (Garbage-landfill Site) के ऊपर बनाया गया है। कुछ महीने पहले तक यहां से लोग गुजरना भी पसंद नहीं करते थे। जिन्हें इधर से मजबूरीवश आना-जाना पड़ता था वह भी नाक-मुंह सिकोड़कर जाते थे। आज उसी जगह भव्य हरा-भरा पार्क है और लोग बड़े शौक से यहां आकर समय बिताते हैं।

8-10 फीट ऊंचे पाइप भी लगाएक्योंकि इस पार्क को लैंडफिल साइट के ऊपर विकसित किया गया है। हरे-भरे पार्क के नीचे तीन लाख मीट्रिक टन कूड़ा है, जिससे जहरीली गैसें रिलीज होती हैं। ऐसे में पार्क में जगह-जगह 20 पाइप लगाए गए हैं, जो इन जहरीली गैसों को जमीन के अंदर 20-30 फीट की गहराई से निकालकर सीधे हवा में फेंक देते हैं। इनकी ऊंचाई पार्क से 8-10 फीट ऊपर है, ताकि यहां आने वाले लोगों पर इस जहरीली गैस का कोई दुष्प्रभाव न पड़े।

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