लखनऊ के टुंडे कबाब, आंच पर सिंके नर्म गोश्त का ज़ायका, जान देते हैं नॉन वेज लवर्स
Lucknow Tunday kababi mouth watering taste: अगर आप नॉनवेज लवर हैं और लखनऊ आ रहे हैं तो आप टुंडे के लजीज कबाब खाने से खुद को रोक नहीं पायेंगे क्योंकि इनका जायका ही बेहद खास है।
इसका जायका इतना खास है कि नॉनवेज लवर्स इसे बेहद पसंद करते हैं
- टुंडे कबाबी के यहां गलावटी कबाब और सीक कबाब मिलते हैं
- इसमें खास किस्म के मसाले पड़ते हैं और आंच पर सेंका जाता है
- 100 से अधिक मसालों का उपयोग करके ये खास कबाब बनाए जाते हैं
Lucknow Tunday kababi: नफासत का शहर कहलाए जाने वाले लखनऊ के प्रसिद्ध टुंडे कबाब (Lucknow Tunday kababi) के स्वाद के बारे में क्या कहना, इसे बनाने की रेसिपी भी कमाल है, इसका जायका इतना खास है कि नॉनवेज लवर्स इसे बेहद पसंद करते हैं, इसमें खास किस्म के मसाले पड़ते हैं और आंच पर सेंका जाता है। बताते हैं कि सन 1905 में हाजी मुरीद अली ने तैयार किए खास मसालों से कबाब बनाना शुरू किया जिसका जायका लोगों की जुबां पर ऐसा चढ़ा कि उनके हाथ का लजीज कबाब खाने वालों की लाइनें ही लगने लगीं और आज भी ये सिलसिला बदस्तूर जारी है।
गौर हो कि प्रसिद्ध टुंडे कबाव को लखनऊ की मशहूर जगहों में एक माना जाता है। शहर के चौक बाजार स्थित लगभग 117 साल पुरानी इस दुकान में जो भी खाने आता है वो खाने का मुरीद हो जाता है। 100 से अधिक मसालों का उपयोग करने बनाया जाने वाले कबाब के साथ रूमाली रोटी को खाने के लिए लोग भारत के कई शहरों से आते हैं।
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यहां मिलने वाली गलावटी कबाब और सीक कबाब पूरे देश में प्रसिद्ध हैं अगर आप कभी लखनऊ आएं तो यहां के टुंडे कबाब में खाना मत भूलिएगा।
हाजी मुरीद ने अपने मसालों का गुर अपने बेटे हाजी रईस को सिखाया वहीं अभी हाल ही में हाजी रईस का इंतेकाल हो गया और अब उनके जाने के बाद बाद टुंडे कबाब को उनकी तीसरी पीढ़ी संभालेगी और स्वाद की इस बेमिसाल विरासत को आगे बढ़ाएगी।
यूं पड़ा टुंडे कबाब नाम, ये है कहानी
बताते हैं कि टुंडे कबाब के संस्थापक हाजी मुरीद जिन्होंने ये कबाब बनाने की शुरूआत की थी वो बचपन में वो पतंग उड़ाते समय छत से गिर गए जिसके कारण वो विकलांग हो गए और उनका एक हाथ बेकार हो गया था, स्थानीय भाषा में किसी का एक हाथ ना हो तो उसे थोड़ी गंदी जुबान में टुंडा कहा जाता है तो ऐसे ही हाजी मुरीद को भी टुंडा कहा जाने लगा और यूं पड़ गया टुंडे कबाब नाम...
रेसिपी है बेहद खास और गोपनीय
हाजी मुरीद कबाब में नर्म गोश्त के अलावा पपीते का अधिक प्रयोग किया करते थे साथ ही उसमें चुनिंदा कई किस्म के मसालें मिलाते थे, कबाब की रेसिपी यानी इनग्रेडिएंट्स यानी इसमें क्या और किस तरीक के मसाले मिलाए गए हैं इसकी जानकारी परिवार की बेटियों को भी नहीं बताई गई। कबाब को कई खास मसालों से तैयार किया जाता है और ये मसालें दुनिया भर से मंगवाए जाते हैं इसकी जानकारी बेहद गोपनीय रखी जाती है।
120 रुपए में 4 कबाब मिलेंगे
लखनऊ के अमीनाबाद स्थित टुंडे कबाब की दुकान में अगर आप आप मटन के कबाब खाना चाहते हैं तो 120 रुपए में 4 कबाब मिलेंगे, वहीं 60 रूपए में बीफ के 4 कबाब मिल जायेंगे यहां कबाब के अलावा आपको रुमाली रोटी, चिकन बिरयानी, चिकन सीक कबाब और रोस्टेड चिकन आदि आइटम मिल जायेंगे।
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