निकाय चुनाव के बारे में यूपी सरकार, ओबीसी आरक्षण के बाद ही इलेक्शन, विपक्ष ने घेरा

यूपी में निकाय चुनाव पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद यूपी सरकार ने अपना रुख साफ किया है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि ओबीसी आरक्षण के बाद ही चुनाव कराए जाएंगे।

मुख्य बातें
  • यूपी सरकार जल्द कराए निकाय चुनाव
  • इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश
  • ओबीसी आरक्षण के बाद चुनाव-यूपी सरकार

यूपी निकाय चुनाव पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए तत्काल चुनाव कराने का आदेश दिया। लेकिन यूपी सरकार ने साफ किया है कि ओबीसी आरक्षण के बाद ही चुनाव कराए जाएंगे। सरकार के इस बयान के बाद सियासत शुरू हो गई है।बता दें कि लखनऊ बेंच ने ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया है। नगर विकास मंत्री ए के शर्मा ने कहा कि बिना ओबीसी आरक्षण चुनाव नहीं कराया जाएगा। अगर आवश्यकता हुई तो हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट दरवाजा खटखटाएंगे। सरकार के इस बयान के बाद समाजवादी पार्टी और बीएसपी दोनों हमलावर हैं। अखिलेश यादव ने कहा कि यह योगी सरकार की तानाशाही सोच है तो मायावती ने कहा कि लोकतंत्र के खिलाफ बीजेपी की सोच उजागर हुआ है।बता दें कि योगी सरकार ने 5 दिसंबर की अधिसूचना में ओबीसी का सभी पदों पर 27 फीसद आरक्षण दिया था।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला

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इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय की लखनऊ पीठ ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार की नगर निकाय चुनाव संबंधी मसौदा अधिसूचना को रद्द करते हुए राज्य में नगर निकाय चुनाव बिना ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) आरक्षण के कराने का आदेश दिया।न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की पीठ ने यह आदेश दिया। इस फैसले से राज्य में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव कराने का रास्‍ता साफ हो गया है।पीठ ने उत्तर प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के लिए राज्य सरकार द्वारा पांच दिसंबर को तैयार मसौदा अधिसूचना को रद्द करते हुए निकाय चुनाव को बिना ओबीसी आरक्षण के कराने के आदेश दिए हैं।

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