यूपी नगर निकाय चुनाव और ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला, आखिर क्यों हो रही है चर्चा
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने नगर निकाय चुनाव कराने के आदेश दिए हैं। आदेश में ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले का भी जिक्र सामने आया। आखिर इस फॉर्मूले में क्या है समझने की जरूरत है।
सीएम योगी आदित्यनाथ बोले, निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण के बाद
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने नगर निकाय चुनाव को तत्काल कराने का आदेश दिया है। यह बात अलग है कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने कहा कि पहले ओबीसी आरक्षण और उसके बाद ही चुनाव कराएंगे। योगी आदित्यनाथ सरकार के इस बयान का विपक्ष आलोचना कर रहा है। लेकिन इन सबके बीच ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला का जिक्र हुआ जिसके तहत ओबीसी आरक्षण तय किया जाता है। यहां हम बताएंगे कि आखिर यह ट्रेपल टेस्ट फॉर्मूला क्या है। ओबीसी आरक्षण के संबंध में सीएम योगी आदित्यनाथ ने पैनल बनाने का आदेश जारी किया है।
क्या है ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला
सुप्रीम कोर्ट ने किशनराव गवली केस में सुनवाई करते हुए ओबीसी आरक्षण के संबंध में एक फॉर्मूला सुझाया था। अदालत ने कहा था कि ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले के जरिए राज्य सरकारें ओबीसी आरक्षण के बारे में फैसला कर सकती हैं।- स्थानीय निकाय में पिछड़ेपन के नेचर को समझने के लिए एक आयोग बनाया जाए। आयोग की अनुशंसा के आधार पर सीटों को आरक्षित करने के संबंध में निर्णय लिया जाए।
- आयोग की सिफारिश को ध्यान में रखकर ओबीसी की संख्या के बारे में जानकारी और उसका सत्यापन हो।
- ओबीसी आरक्षण तय करने से पहले एससी-एसटी के साथ मिलाकर कुल आरक्षण 50 फीसद से अधिक ना हो
इलाहाबाद हाईकोर्ट से योगी सरकार को झटका
योगी सरकार पर आरोप लगा है कि जब ओबीसी आरक्षण के संबंध में 5 दिसंबर को अधिसूचना जारी की गई तो सुप्रीम कोर्ट ने जिन ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले को सुझाया था उस पर अमल नहीं किया। इस पर लखनऊ बेंच ने जब सवाल किया तो सरकार की तरफ से हलफनामा के जरिए जवाब दाखिल किया गया। सरकार ने कहा कि ओबीसी आबादी की पहचान के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए थे जो ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूला की पहली शर्त थी। ओबीसी के आनुपातिक आरक्षण पर सरकार सख्ती से पालन कर रही है और 50 फीसद से अधिक आरक्षण ना हो इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का भी पालन किया जा रहा है। लेकिन लखनऊ बेंच ने ट्रिपल टेस्ट की व्यवस्था को नहीं माना और 5 दिसंबर को अधिसूचना को रद्द कर दिया।
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