अफसरों के सामने हार गया किसान...छह सालों से जिंदा होने का सबूत दे रहे थे बुजुर्ग, तहसील में ही तोड़ दिया दम

बुजुर्ग किसान को छह साल पहले कागजों में मृत घोषित कर दिया गया था। वो पिछले छह सालों से अपने जिंदा होने का सबूत दे रहे थे।

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जिंदा साबित करने के चक्कर में गई बुजुर्ग की जान (प्रतीकात्मक फोटो- Pixabay)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ डिजिटल

यूपी के संतकबीर नगर से अधिकारियों की लापरवाही का एक शर्मनाक नमूना सामने आया है। एक बुजुर्ग किसान ने खुद को कागजों पर जिंदा करने की कोशिश करते-करते दम तोड़ दिया।

आरोप है कि बुजुर्ग के भतीजे ने संपत्ति को हड़पने के लिए लेखपाल के साथ मिलकर साजिश रची। दरअसल बुजुर्ग के भाई की मौत 2016 में हो गई थी। जिनकी मौत हुई उनके बेटों ने इसी का फायद उठाया और अपने पिता की जगह मृतक के रूप में चाचा का नाम लिखवा दिया। तहसील के अधिकारियों के साथ मिलकर भतीजे ने खेल खेला और बुजुर्ग की संपत्ति पर कब्जा जमा लिया।

इस घटना के बारे में जब बुजुर्ग को जानकारी हुई तो वो अफसरों के पास पहुंचे, लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी। एक अधिकारी से लेकर दूसरे अधिकारी तक वो खुद के जिंदा रहने का सबूत देते रहे और अधिकारी उन्हें छह सालों तक टहलाते रहे। काफी कोशिशों के बाद सीओ के पास उन्हें बयान दर्ज कराने के लिए बुधवार को बुलाया गया था।

बुजुर्ग किसान चलने फिरने में असमर्थ थे, फिर भी अधिकारियों के सामने चक्कर लगाते रहे। बुधवार को सीओ कार्यालय पहुंचे तो उनकी अचानक तबीयत बिगड़ गई। इससे पहले कि उनका बयान दर्ज होता, उन्होंने दम तोड़ दिया। उनकी मौत के बाद तहसील में हंगामा मच गया, अधिकारी सफाई देने लगे।आखिर जिस बुजुर्ग की मौत छह साल पहले भ्रष्ट अधिकारियों ने कागजों में दिखाई थी, उसे अब उन्हें किस मुंह से फिर से मरा हुआ दिखाते।

अब अधिकारी कह रहे हैं कि संपत्ति उनके नाम किए जाने की तैयारी की जा रही थी, लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर छह साल तक अधिकारी क्या कर रहे थे? आज मौत के बाद जिस संपत्ति को अधिकारी उनके परिवार के नाम करने की बात कह रहे थे, वो इतने दिनों से क्यों नहीं हुआ?

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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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