Upcoming Expressways: हो जाइये तैयार, खुलने वाली है रफ्तार की धार; आने वाली है एक्सप्रेसवे की बहार
Upcoming Expressways in India: भारत में दुनिया का सबसे लंबा और हाईटेक दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (Delhi Mumbai Expressway) निर्माणाधीन यानी अपने अंतिम दौर में है। आज हम उन एक्सप्रेसवे का जिक्र करेंगे जो भारत माला परियोजना (Bharat Mala Project) के तहत बनाए जा रहे हैं और ये आने वाले साल में जनता को समर्पित किए जाएंगे। तो आइये जानते हैं कि आगामी साल में कितने और एक्सप्रेसवे पर वाहन दौड़ते नजर आएंगे?
आगामी एक्सप्रेसवे की लिस्ट
Upcoming Expressways of India (एक्सप्रेसवे ऑफ़ इंडिया): भारत में ट्रांसपोर्टेशन और यातायात को सरल बनाने के लिए तेजी के साथ सड़क नेटवर्क विकसित किया जा रहा है। मौजूदा वक्त में भारत का सड़क नेटवर्क अमेरिका और पड़ोसी देश चाइना के बाद तीसरे स्थान पर है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने जल्द ही अमेरिका से बड़ा रोड इंन्फ्रास्टक्चर भारत में होने का दावा किया है।
यही कारण है कि साल 2017 में शुरू हुई भारतमाला परियोजना (Bharat Mala Project) के तहत सभी राज्यों से लेकर छोटे-बड़े शहरों तक सड़कों का जाल फैलाया जा रहा है। इस परियोजना के तहत पांच लाख करोड़ की लागत से देश के 550 जिलों में सड़कों का नेटवर्क तैयार किया जा रहा है। इनमें एक्सप्रेसवे और हाईवे शामिल हैं। सरकार के नए प्रोजेक्ट में बनने वाले सभी एक्सप्रेसवे के पास CCTV, स्पीड मापने की व्यवस्था, पुलिस, एंबुलेंस समेत कई आधुनिक और जरूरी व्यवस्थाएं करने का प्लान है। हालांकि, भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा एक्सप्रेसवे होने का गौरव प्राप्त होने वाला है।
उस सड़क मार्ग के उद्घाटन के महज कुछ दिन शेष हैं। इसके अलावा 13 नए ऐसे एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य जारी है, जिन्हें साल 2024 में तैयार कर ट्रैफिक शुरू करने का दावा किया जा रहा है। तो आइये चलते हैं आज हम आपको देश में बनने वाले टॉप 10 एक्सप्रेसवे से रूबरू कराते हैं। साथ में बताएंगे कि ये सड़क मार्ग कहां से शुरू होकर कहां तक जाएंगे?
अपकमिंग एक्सप्रेसवे लिस्ट (Top Upcoming Expressways in India)
गोरखपुर शामली एक्सप्रेसवे (Gorakhpur Shamli Expressway)
भारत में सभी एक्सप्रेसवे का निर्माण भारत माला परियोजना के तहत किया जा रहा है। इसी प्रोजेक्ट का हिस्सा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे अपने निर्माण के आखिरी दौर में है। हरियाणा के सोहना से लेकर सूरत तक जाने वाला 1350 किलोमीटर का यह सड़क मार्ग 6 राज्यों के कई शहरों को कवर करते हुए गुजरेगा। हालांकि, मध्य प्रदेश के 245 किलोमीटर के हिस्से का कार्य पूर्ण होने पर उस पर ट्रैफिक शुरू हो गया है.
लेकिन अनुमान के मुताबिक अभी ट्रैफिक कम है। इस परियोजना के पूरा होने से कई राज्यों के विभिन्न शहरों की कनेक्टिविटी बेहतर होगी। इससे दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद और जयपुर, अहमदाबाद की ओर, वड़ोदरा, मुंबई एनएच-48 (पुराना एनएच 8) पर और कानपुर की ओर कनेक्ट किया जा सकेगा।
एनएच 19 (पुराना एनएच 2) के माध्यम से लखनऊ, कोलकाता भी जा सकेंगे। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे हरियाणा के सोहना से शुरू होकर राजस्थान, मध्य प्रदेश से होकर महाराष्ट्र तक जाएगा। इस लिहाज से जयपुर, अजमेर, किशनगढ़, कोटा, उदयपुर, चित्तौड़गढ़, सवाई माधोपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, सूरत और आसपास के शहरे कनेक्टीविटी आसान हो जाएगी। 350 किमी. दूरी होगी कममौजूदा वक्त में दिल्ली से सूरत तक वाया रोड दूरी 1150 किमी. से अधिक है। वहीं, एक्सप्रेसवे निर्माण के बाद यही दूरी 800 किमी. तक पहुंच जाएगी। इस लिहाज से करीब 350 किमी. दूरी कम हो जाएगी। वहीं, ट्रेन से जाने में 1121 किमी. की दूरी सूरत तक पड़ती है।
परियोजना की कुल लंबाई | 1350 किलोमीटर |
लेन | 8 से 12 तक बढ़ाया जा सकता है। |
लागत | एक लाख करोड़ |
निर्माण पूरा होने का समय | 2024 |
निर्माणकर्ता कंपनी | NHAI |
द्वारका एक्सप्रेसवे को आठ लेन में शहरी एक्सप्रेसवे को ध्यान में रखकर बनाया गया है। यह दिल्ली में महिपालपुर को हरियाणा के खेरकी दौला टोल को जोड़ता है। इस एक्सप्रेसवे के निर्माण से NH-8 पर ट्रैफिक कम होगा। इसमें प्रतिदिन तीन लाख से ज्यादा लोगों के आवागमन का अंदाजा है। यह 29.10 किमी लंबे प्रोजेक्ट, 18.9 किमी. गुड़गांव में और 10.1 किमी दिल्ली के लिए इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम का इस्तेमाल किया गया है। इसे ट्रैफिक के लिए खोल दिया गया है। हालांकि, अभी अंडरपास समेत कई जगहों पर निर्माण कार्य जारी है। यह भारत का सबसे छोटा एक्सप्रेसवे है।
प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत | 8662 करोड़ |
एक्सप्रेसवे की लंबाई | 29.10 |
लेन की संख्या | 8 लेन+ सर्विस लेन |
निर्माणकर्ता कंपनी | LNT |
मुंबई-नागपुर एक्सप्रेसवे (Mumbai-Nagpur Expressway Samriddhi Expressway)
मुंबई-नागपुर एक्सप्रेसवे समृद्धि एक्सप्रेसवे की लंबाई 701 किमी है। यह एक्सप्रेसवे 390 गांव और 10 जिलों को जोड़ता है, जिनमें नागपुर, कल्याण, औरंगाबाद नासिक, शिर्डी, भिवंडी और वर्धा शामिल हैं। इस सड़क मार्ग के कंपलीट होने से मुंबई और नागपुर के बीच आठ घंटे तक का समय कम हो जाएगा। फिलहाल, नागपुर से मुंबई पहुंचने में 14 से 15 घंटे का सफर तय करना पड़ता है। यह इकलौता ऐसा राजमार्ग है जिस पर 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से वाहन दौड़ाया जा सकता है।परियोजना की लागत | 55,000 करोड़ |
एक्सप्रसवे की लंबाई | 701 किमी |
लेन | 6 |
कार्य पूरा होने की सीमा: | दिसंबर 2021 विलंबित |
निर्माणकर्ता कंपनी | MSRDC |
गंगा एक्सप्रेसवे (Ganga Expressway)
आपको बता दें कि एक्सप्रेसवे की शुरुआत मेरठ से होगी और यह प्रयागराज में जाकर खत्म होगा। इस बीच गंगा एक्सप्रेसवे कुल 12 जिलों को कवर करेगा। सरल किसान वेबसाइट में छपी खबर के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट पर 36,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। गंगा एक्सप्रेसवे का काम तेजी से खत्म करने की बात इसलिए भी चल रही है क्योंकि इसके रास्ते तीर्थ यात्रियों के लिए कुंभ पहुंचना बहुत आसान हो जाएगा। साल 2025 में महाकुंभ का आयोजन होना है। लिहाजा, इसके काम में तेजी लाई जा रही है। कोशिश है कि भक्तों को प्रयाग पहुंचने में कोई दिक्कत का सामना न करना पड़े।
गंगा एक्सप्रेसवे के निर्माण से मेरठ से प्रयागराज महज 8 घंटे में पहुंच जाएंगे। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि गाड़ियां 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकें। इसके अलावा बीच-बीच में भी टोल प्लाजा होंगे, ताकि बीच में कहीं एक्सप्रेसवे पर चढ़ने वाली गाड़ियों से टोल लिया जा सके। ऐसे कुल 12 रैम्प टोल प्लाजा बनेंगे। इसके अलावा शाहजहांपुर के पास एयरस्ट्रीप भी बनाई जाएगी ताकि आपातकालीन परिस्थिति में हेलिकॉप्टर या प्लेन उतारा जा सके। गंगा एक्सप्रेसवे मेरठ-बुलंदशहर (एनएच 334) पर बिजौली गांव से शुरू होकर प्रयागराज में (एनएच 19) पर जूडापुर दादू गांव के समीप पर समाप्त होगा। गंगा एक्सप्रेसवे मेरठ के बाद ये हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ़ से होता हुआ प्रयागराज तक जाएगा। गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण भी 12 चरणों में ही किया जा रहा है।
परियोजना की लागत | 40,000 करोड़ |
एक्सप्रसेवे की लंबाई | 594 किमी |
लेन | 6 से 8 तक विस्तार |
निर्माणकर्ता कंपनी | UPEIDA |
कार्य पूरा होने का समय | 2024 |
दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे (Delhi-Amritsar-Katra Expressway)
दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे की लंबाई 650 किलोमीटर है। यह दिल्ली के बहाहुरगढ़ से शुरू होकर जम्मू कश्मीर में कटरा तक प्रस्तावित है। यह नोकदार, अमृतसर और गुरदासपुर को भी कवर करेगा। इस एक्सप्रेसवे के किनारे ट्रॉमा सेंटर, एंबुलेंस, अग्निशमन की व्यवस्था, मनोरंजक सविधाएं, ट्रैफिक पुलिस, बस बे, ट्रक स्टॉप और रेस्तरां जैसी उच्च कोटि की सुविधाएं मिलेंगी।
परियोजना की लागत फेज-1 | 25000 करोड़ रुपये |
एक्सप्रेसवे की लंबाई | 650 किमी |
लेन | 4 (8 तक बढ़ाया जा सकता है) |
कार्य पूरा होने की तिथि | 2023 |
निर्माणकर्ता कंपनी | NHAI |
अहमदाबाद-धोलेरा एक्सप्रेसवे की घोषणा साल 2010 में की गई थी, लेकिन कई कारणों के चलते इसे 2019 में हरी झंडी मिली। यह चार लेन एक्सप्रसेवे सरखेज में सरदार पटेल रिंग रोड से नवगाम में धोलेरा इंटरनेशनल हवाई अड्डे के मध्य बना है।
परियोजना की लागत | 3000 करोड़ |
एक्सप्रेसवे की लंबाई | 109 किमी |
लेन | 4 |
निर्माणाकर्ता कंपनी | NHAI |
कार्य पूरा होने का समय | 2023 |
बैंगलोर-चेन्नई एक्सप्रेसवे (Bangalore-Chennai Expressway)
यह दक्षिण भारत का एक प्रमुख एक्सप्रेसवे है। यह चार लेन चौड़ा सड़क मार्ग दो राज्यों की राजधानी चेन्नई और बैंगलोर को जोड़ता है। यह कर्नाटक के होसकोटे और बांगरपेट, आंध्र प्रदेश में पलमनेर और चित्तूर और तमिलनाडु में श्रीपेरंबदूर के मध्य 260 किमी तक है। इसे 120 किमी प्रति घंटा की रफ्तार के लिहाज से डेवलप किया जा रहा है।
परियोजना की लागत | 17000 करोड़ रुपये |
एक्सप्रेसवे की लंबाई | 260.85 किमी |
लेन | 4 (8 तक भविष्य में बढ़ाया जा सकता है) |
निर्माणकर्ता कंपनी | NHAI |
समय | निर्धारित नहीं |
रायपुर-विशाखापत्तनम एक्सप्रेसवे (Raipur-Visakhapatnam Expressway)
यह 6 लेन एक्सप्रेसवे 464 किमी एक्सप्रेसवे मध्य और पूर्व मध्य भारत के छत्तीसगढ़, ओड़िशा और आंध्र प्रदेश राज्यों में रेड कॉरिडोर से होकर गुजरता है। इससे यात्रा का समय का 14 घंटे से घटकर महज 7 घंटे रह जाएगा। वहीं, 590 किमी से दूरी घटकर 464 किमी हो जाएगी।
परियोजना की लागत | 20,000 हजार करोड़ |
एक्सप्रेसवे की लंबाई | 464 |
लेन | 6 |
निर्माणकर्ता कंपनी | NHAI |
कार्य पूरा होने का समय 2025 बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे (Bundelkhand Expressway)
चित्रकूट से इटावा तक जाने वाला यह एक्सप्रेसवे अपने आप में खास है। इस सड़क मार्ग को सोलर एक्सप्रेसवे के तौर पर विकसित किया जाएगा। इसके आसपास औद्योगिक सिटी बसाकर लोगों को रोजगार से जोड़ने का प्लान है। यह सबसे कम 28 महीने में बनकर तैयार होने वाला मार्ग है। यह यमुना एक्सप्रेसवे से जुड़ता है। यह एक्सेस कंट्रोल एक्सप्रेसवे है। इसके अलाव बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे देश का पहला सोलर एक्सप्रेसवे (Solar Expressway) होगा, जो बिजली का उत्पादन करेगा। इससे एक लाख लोगों के घरों तक बिजली पहुंचेगी।
परियोजना की लागत | 14,716 |
एक्सप्रेसवे की लंबाई | 296 किमी |
लेन-4 | ( 6 तक बढ़ाया जा सकता है) |
निर्माणकर्ता कंपनी | UPEIDA |
कार्य पूरा होने का समय | 2022 |
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे यूपी के 9 जिलों को कवर करता है। लखनऊ-सुलतानपुर रोड के चंदसराय गांव से शुरू होकर गाजीपुर में मोहम्मदाबाद-बक्सर राजमार्ग पर हैदरिया गांव में समाप्त होता है।
परियोजना की लागत | 22496 किमी |
एक्सप्रेसवे की लंबाई | 340 किमी |
लेन | 6 |
निर्माणकर्ता कंपनी | UPEIDA |
कार्य पूरा होने का समय | 2021 |
लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे NHIA द्वारा शुरू की गई परियोजना है। 63 किलोमीटर 6 लेन इस एक्सप्रेसवे का अभी निर्माण कार्य जारी है। इस एक्सप्रेसवे की मदद से यात्री लखनऊ से कानपुर की दूरी 45-50 मिनट में तय कर सकते हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि ये 2025 में आम जनता के लिए खोल दिया जाएगा। यह रास्ते में उन्नाव को कवर करता हुआ आगे बढ़ेगा।
गाजियाबाद कानपुर एक्सप्रेसवे (Ghaziabad Kanpur Expressway)
गाजियाबाद कानपुर एक्सप्रेसवे परियोजना गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, कासगंज, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर और उन्नाव आदि शहरों को जोड़ेगी। इसके निर्माण पर लगभग 15 हजार करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे है। इस कॉरिडोर के बनने के बाद गाजियाबाद से कानपुर की दूरी केवल 5 घंटे 40 मिनट में तय हो जाएगी।
गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे
गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे एक नहीं बल्कि तीन क्षेत्रों की तस्वीर चमका देगा। इस एक्सप्रेसवे के जरिए बिहार के दरभंगा, चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, किशनगंज, सुपौल, फारबिसगंज को कनेक्ट करेगा। इससे यूपी के गोरखपुर, देवरिया और कुशीनगर में सुधार होने की संभावना प्रबल है। कयास लगाए जा रहे हैं कि गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे के साथ एनसीआर के गोएडा और ग्रेटर नोएडा में निवेश की संभावना बढ़ेगी। गोरखपुर-सिलीगुड़ी
एक्सप्रेसवे के निर्माण से इन दोनों शहरों के बीच की दूरी करीब 600 किलोमीटर घट जाएगी। इस परियोजना के लिए केवल उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, कुशीनगर और देवरिया जिले के कुल 111 गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया गया है। जिसमें चौरी-चौरा तहसील के 14 गांव, कुशीनगर की हाटा तहसील के 19 गांव, तमकुहीराज तहसील के 42 गांव और कसया तहसील के 13 गांव शामिल हैं। वहीं, देवरिया जिले की सदर तहसील के 23 गांव के किसानों की जमीन अधिग्रहित की गई है। यह एक्सप्रेसवे उधर, बरेली-गोरखपुर एक्सप्रेसवे से जुड़ा एक सतत मार्ग होगा। गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश में 84. 3 किमी, बिहार में 416.2 किमी और पश्चिम बंगाल में 18.97 किमी किमी की दूरी तय करता है। इसके निर्माण से इन राज्यों के बीच पड़ने वाले बड़ी सख्या में लोगों को सहूलियत मिलेगी।
जानकारी | विवरण |
एक्सप्रेसवे का नाम | गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे |
एक्सप्रेसवे की लंबाई | 519.58 KM |
परियोजना की लागत | 32,000 करोड़ |
राज्य | यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल |
पूरा होने की तिथि | 2025 |
निर्माण कंपनी - | एनएचएआई |
बिहार में एक और बड़े एक्सप्रेसवे को लेकर तैयारियां जोरों पर है। ये एक्सप्रेसवे राज्य के औरंगाबाद से दरभंगा समेत 8 जिलों से होते हुए गया तक जाएगा। दरभंगा से गया तक फोर लेन होगा। इसके निर्माण से राज्य के संबंधित जिलों के लोगों को आवागमन में सहूलियत होगी। इसके लिए जमीन का अधिग्रहण हो चुका है। 189 किलोमीटर लंबा ये एक्सप्रेस-वे औरंगाबाद के अमास से शुरू होगा। वहीं, अरवल, जहानाबाद, पटना, वैशाली, समस्तीपुर समेत सात जिलों को पार करते हुए दरभंगा तक जाएगा। हाइवे का निर्माण कार्य भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की ओर से किया जाएगा। यह परियोजना 4 फेज में पूरी होगी। इसके निर्माण से दोनों जिलों के बीच की दूरी करीब 4 घंटे कम होने के साथ अमस और दरभंगा के बीच बेहतर कनेक्टिविटी से कृषि उपज, कच्चे माल और औद्योगिक सामानों की तेज आवाजाही में सुविधा होगी।
गोरखपुर शामली एक्सप्रेसवे (Gorakhpur Shamli Expressway)
यूपी के गोरखपुर शामली एक्सप्रेसवे पूर्वी यूपी को पश्चिमी यूपी से जोड़ेगा। यह 700 किमी की दूरी तय करते हुए 22 जिलों और 37 तहसीलों से होकर गुजरेगा।
वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे (Varanasi-Ranchi-Kolkata Expressway)
बिहार-बंगाल और झारखंड के लोगों को भी नए एक्सप्रेसवे की सौगात मिल चुकी है। सबसे पहले बात करते हैं वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे की। इस सड़क मार्ग का निर्माण 7 पैकेज में किया जा रहा है। इसमें से 5 पैकेज में बिहार के कई हिस्सों को जोड़ते हुए एक्सप्रेस वे का निर्माण होगा।
जानकारी | विवरण |
एक्सप्रेसवे का नाम | वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे |
लंबाई | 610 KM बिहार में लंबाई 136.7 किमी |
लागत | 28,500 करोड़ |
लेन | 6 |
शुरुआती प्वाइंट | बरहुली गांव चंदौली |
आखिरी प्वाइंट | रांची |
रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेसवे का निर्माण 2023 में शुरू हुआ था। रक्सौल-हल्दिया एक्सप्रेस वे बिहार के कई जिलों से होकर झारखंड और पश्चिम बंगाल के हल्दिया तक पहुंचेगा। बिहार के पूर्वी चंपारण जिले में रक्सौल और पश्चिम बंगाल में हल्दिया बंदरगाह को जोड़ने वाले मार्ग है। भारतमाला परियोजना के चरण 2 के तहत इस ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का उद्देश्य माल ढुलाई की दक्षता में सुधार करना और नेपाल, बिहार और झारखंड से निर्यात को बढ़ावा देना है। एक्सप्रेसवे के साल 2028 में पूरा होने की उम्मीद है। हालांकि, इसकी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई गई है। रास्ते में यह बिहार के मुजफ्फरपुर और पश्चिम बंगाल के आसनसोल-दुर्गापुर से होकर गुजरेगा।
जानकारी | विवरण |
एक्सप्रेसवे का नाम | वाराणसी-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे |
एक्सप्रेसवे की लंबाई | 695 KM |
लागत परियोजना - | 54,000 करोड़ |
लेन- | 4/6 |
निर्माण कंपनी | NHAI |
कार्य पूर्ण होने की तिथि | 2028 |
दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे यूपी के सहारनपुर से होकर गुजरेगा। यह दिल्ली के साथ यूपी और उत्तराखंड के लोगों का सफर आसान करेगा। दावा है कि 239 किलोमीटर का ये एक्सप्रेसवे कुछ यात्रा के समय को ढाई घंटे कर देगा। इसके जल्द खुलने के आसार हैं। इस एक्सप्रेसवे से यात्री वादियों का नजारा ले सकेंगे।
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